भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.5 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 252.33 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया है। यह ताजा गिरावट 27 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में देखी गई है जिसकी वजह डॉलर के मुकाबले रुपये का पुनर्मूल्यांकन रही। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए अनुमानों के अनुसार विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, जिसमें यूरो, स्टर्लिंग और येन की कीमतों में आने वाले उतार-चढाव के प्रभाव भी शामिल हैं, में 1.64 अरब डॉलर की गिरावट आई है और यह 241.59 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। इसमें आईआईएफसी द्वारा जारी किए गए डिनॉमिनेटेड बॉन्ड में विदेशी मुद्रा में 2,500 लाख डॉलर का निवेश शामिल नहीं हैं। इसी अवधि के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड और विशेष निकासी अधिकार में कोई परिवर्तन नहीं देखा गया। अंतरर्राष्ट्रीय मुद्रा भंडार (आईएमएफ) में रिजर्व पोजीशन में बढ़ोतरी देखी गई और यह 1,210 लाख डॉलर की छलांग लगाकर 9,820 लाख डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। पिछले दो सप्ताहों से विदेशी संस्थागत निवेशकों की शेयर बाजार में बिकवाली के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी देखने को मिली है। इस वजह से रुपये की कीमतों में भी सुधार हुआ है। 26 मार्च 2009 को रुपया 50.80 के स्तर पर बंद हुआ जबकि 20 मार्च को यह 50.64 के स्तर पर बंद हुआ था। इस समीक्षाधीन सप्ताह में भी विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 6,520 लाख डॉलर मूल्य के इक्विटी की खरीदारी की है। साल-दर-साल के अधार पर विदेशी मुद्रा भंडार में 9 फीसदी की तेजी देखी गई और 27 मार्च 2009 की समाप्ति पर यह 9,47,014 रुपये दर्ज किया गया। इसकी मुख्य वजह आरबीआई के साथ जमा रकम में बढ़ोतरी रही। इसमें मौजूदा जारी मुद्रा, आरबीआई में बैंकरों के जमा रकम शामिल हैं। पिछले तीन महीनों के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 3-5 फीसदी के बीच झूल रही है।
