शेयरों और डेट के रिटर्न पर दबाव के बीच निवेशकों के लिए थोड़ी राहत भरी बात यह है कि पिछले एक साल में सोने के दाम तकरीबन दोगुने हो गए हैं। हाल के दिनों में सोने की कीमतों में तेजी आई है। हालांकि अगर निवेशक सोने में अपना निवेश निकालने की जल्दी दिखाते हैं तो सरकार को साल की दूसरी छमाही में अतिरिक्त 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ सकता है। नवंबर 2015 में सरकार ने सोने में निवेश करने वालों को आकर्षित करने के लिए सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड जारी किया था। इसके पीछे मकसद सोने के आयात को कम करना था क्योंकि इससे गैर-उत्पादक चीजों में विदेशी मुद्रा का प्रवाह होता है। सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड की परिपक्वता अवधि आठ साल है लेकिन निवेशकों को पांच साल बाद भी इसे भुनाने की अनुमति दी गई है। नवंबर 2020 से ये बॉन्ड भुनाने योग्य हो जाएंगे। सरकार ने वित्त वर्ष 2016 में तीन किस्तों में बॉन्ड जारी किए थे। इसके जरिये सरकार ने 4,835 किलो के सोने के लिए बॉन्ड बेचकर 1,321.2 करोड़ रुपये जुटाए थे। अगर निवेशक अपने बॉन्डों को भुनाने का निर्णय करते हैं तो मौजूदा भाव पर सरकार को करीब 2,248 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। इसके अलावा सरकार करीब 180 करोड़ रुपये ब्याज मद में भी भुगतान कर चुकी है क्योंकि इस बॉन्ड पर 2.5 फीसदी की दर से सालाना ब्याज दिया जाता है। इसमें सरकार द्वारा इन बॉन्डों की बिक्री के लिए चुकाया गया एक फीसदी का कमीशन शामिल नहीं है। बॉन्ड से जितना पैसा जुटाया गया था अब उसकी लागत करीब दोगुनी हो गई है यानी सालाना 14.4 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह सरकार द्वारा ली जाने वाली सामान्य उधारी की लागत से कहीं ज्यादा है। 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल पिछले सल 6.5 से 7.5 फीसदी के दायरे में रहा था।आने वाले वर्षों में सरकार को लगातार भुगतान करना होगा क्योंकि इन बॉन्डों की परिपक्वता अवधि पूरी हो रही है। अप्रैल, 2020 तक सरकार 38 सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड की खेप जारी कर चुकी है, जिसके जरिये 10,475 करोड़ रुपये जुटाई है। चार्टर्ड अकाउंटेंट और स्वर्ण विशेषज्ञ भार्गव वैद्य ने कहा, 'सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड की पहली किस्त अब भुनाने योग्य हो जाएगी क्योंकि पांच साल की अवधि पूरी हो रही है। उम्मीद है कि जिन लोगों को तत्काल नकदी की जरूरत नहीं होगी वे परिपवक्ता तक निवेश बनाए रखेंगे। इस पर सालाना ब्याज, कर लाभ और पारदर्शी कीमत की पेशकश की जाती है। ऐसे में सोने में निवेश का यह सबसे बेहतरीन तरीका है।' कोविड-19 संकट से निवेशकों पर प्रतिकूल असर पड़ा है और कई छोटे कारोबार और वेतनभोगियों के समक्ष नकदी का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में वे गोल्ड बॉन्ड से अपना निवेश निकालकर पैसे जुटा सकते हैं। निवेशक बैंक में इसे गिरवी रखकर भी पैसे ले सकते हैं। पिछले एक साल के दौरान सोने की कीमतों में काफी तेजी आई है। कोविड संकट के बीच निवेशकों ने सुरक्षित निवेशक मानकर सोने पर दांव लगाया है। गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों के अधीन आने वाली संपत्तियों में भी इजाफा हुआ है। हालांकि निवेशक अब सोने में मुनाफावसूली शुरू कर रहे हैं। मार्च 2020 में गोल्ड ईटीएफ से 194 करोड़ रुपये की निकासी की गई। विशेषज्ञों के अनुसार सरकार इन बॉन्डों को भौतिक प्रारूप मे ंनहीं ले सकती है। सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को जारी करने के समय सोने के बाजार मूल्य के हिसाब से कीमत तय की गई थी। इसके तहत निवेशक 1 ग्राम से लेकर 4 किलो तक सोना खरीद सकते हैं। पांच साल के बाद इन बॉन्डों को बेचने पर 20 फीसदी की दर से पूंजी लाभ कर लगेगा। हालांकि इसमें मुद्रास्फीति लाभ मिलेगा जिससे कर देनदारी कम हो जाएगी। आठ साल बाद बॉन्ड बेचने पर कोई कर नहीं लगेगा। हालांकि ब्याज आय पर आयकर दायरे के हिसाब से कर लगता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में इस साल के लिए सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड निर्गम के कैलेंडर की घोषणा की है। इसकी पहली किस्त बीते शुक्रवार को बंद हुई। मई से सितंबर के बीच चार किस्त लाने की योजना है।
