तंगहाली जब घेरा डाले तो कर्ज न लें बल्कि पीएफ निकालें | |
बिंदिशा सारंग / 05 02, 2020 | | | | |
कोरोनावायरस महामारी ने पूरी दुनिया को तो परेशान किया ही है, इसका आर्थिक असर और भी ज्यादा पड़ा है। कमोबेश सभी देशों में और सभी क्षेत्रों या उद्योगों के कर्मचारियों तथा रोजगार पर इसका बुरा असर साफ दिखाई दे रहा है। निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के सामने तो ऐसे बुरे वक्त में वेतन कटौती का खतरा मंडराने ही लगता है, इस बार सरकारी कर्मचारी भी नहीं बच सके हैं। कुछ का महंगाई भत्ता रोका गया है तो कई राज्यों ने अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर दी है।
जाहिर है कि ऐसे दौर में परिवार की जिम्मेदारी उठा रहे कर्मचारियों के सामने माली किल्लत पैदा हो ही गई होगी। उनकी मुश्किलों को आसान करने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने पीएफ खाते से निकासी के नियमों में कुछ ढील दे दी है ताकि पैसे की किल्लत झेल रहे कर्मचारियों को राहत दी जा सके। ईपीएफओ ने नई नॉन-रिफंडेबल अग्रिम सुविधा शुरू की है। इसके तहत खाताधारक की कुल संचित निधि का 75 फीसदी हिस्सा देखा जाता है और उसके तीन महीने के मूल वेतन एवं महंगाई भत्ते की राशि देखी जाती है। इन दोनों में से जो भी कम राशि होती है, उसके बराबर धनराशि पीएफ खाते से निकाली जा सकती है।
सरकारी कर्मचारियों को शुरू से यही समझाया जाता है कि किसी भी सूरत में अपने ईपीएफ खाते से पैसा नहीं निकालना चाहिए क्योंकि इसका असर सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाली धनराशि पर पड़ता है। ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के संस्थापक और प्रबंध निदेशक पंकज मठपाल भी यही कहते हैं, 'ईपीएफ का पैसा आपकी सेवानिवृत्ति के लिए जमा किया जा रहा कोष है। इसे निकालने से आप अपनी फौरी जरूरतें तो पूरी कर लेते हैं, लेकिन लंबी अवधि में आपको जो फायदा होने वाला होता है, वह कम हो जाता है। यह आपका अंतिम विकल्प होना चाहिए। ईपीएफ से निकासी का मतलब ईपीएफ के सबसे बड़े फायदे चक्रवृद्धि बढ़ोतरी से वंचित होना है।'
हालांकि इस सिद्घांत से इस वक्त समझौता किया जा सकता है क्योंकि यह सामान्य समय नहीं है। यह समय ज्यादातर लोगों के सामने अब तक की सबसे विकट चुनौतियां आ रही हैं। बेहतर है कि उनसे निपटने के लिए व्यक्ति कर्ज ले या पहले से मौजूद कर्ज को घटाए। ऐसे अनावश्यक कर्ज को अगर कम खर्च में चुकाया जा सकता है तो उसके लिए पीएफ की रकम निकालना भी बुरा नहीं है। लेकिन रकम निकालने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि इस पैसे का अंतिम उपयोग आप किस तरह कर रहे हैं।
ऊंचे ब्याज वाले क्रेडिट कार्ड को छोड़ें
यह सबसे महंगा कर्ज है और बार-बार कर्ज लेना एवं चुकाना कर्ज के जाल में फंसने जैसा है। ईपीएफ से निकाली गई रकम के बारे में बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी का सुझाव है, 'इस पैसे का इस्तेमाल ऊंचे ब्याज वाले ऋणों, विशेष रूप से क्रेडिट कार्ड बकाये को चुकाने में करें। आपको ईपीएफ खाते से मिलने वाला 8.5 फीसदी सालाना ब्याज क्रेडिट कार्ड बकाये पर लगने वाली 18 से 42 फीसदी की ब्याज दर के मुकाबले काफी कम होगा। पर्सनल लोन की ब्याज लागत भी करीब 12 से 20 फीसदी तक आती है। हो सकता है कि आप इसीलिए निकासी कर रहे हों कि आप इस कर्ज का कुछ हिस्सा या पूरा भुगतान कर दें।' यह कदम विशेष रूप से उस स्थिति में उठाएं, जब आपके वेतन में भारी कटौती हुई हो। अन्यथा आप क्रेडिट कार्ड के बकाये को ट्रांसफर करा सकते हैं, जिसमें एक सीमित समय तक शून्य या मामूली ब्याज का भुगतान करना होता है।
इलाज के लिए
आपके या आप पर निर्भर परिवार के किसी सदस्य को इलाज की जरूरत पड़े तो भी ईपीएफ से निकासी करना गलत नहीं माना जाएगा। इस समय हर किसी का हाथ तंग चल रहा होगा। इसलिए दोस्तों या परिवार से मदद की अपेक्षा करना उचित नहीं होगा।
नौकरी जाने पर
अगर आपकी नौकरी चली गई है तो मुश्किलें आएंगी क्योंकि मौजूदा हालात में दूसरी नौकरी मिलना आसान नहीं होगा। क्लियर टैक्स के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता ने कहा, 'ईपीएफ से निकाला गया एडवांस ऐसी हालत में घर खर्च चलाने में उनकी मदद करेगा। जिन लोगों के वेतन में कटौती हुई है, उन्हें इस पैसे को इस्तेमाल करने के बजाय सबसे पहले खर्च घटाने की कोशिश करनी चाहिए।'
निस्संदेह ऐसी अन्य बहुत सी वजह होंगी, जिनके लिए आपको नकदी की जरूरत हो सकती है। हालांकि उनमें से कुछ को मितव्ययी बनकर यानी खर्च कम करके संभाला जाना चाहिए। उदाहरण के लिए सरकारों ने मकान मालिकों से कहा है कि वे अगले तीन महीनों में किराये को लेकर नरम रुख अपनाएं। मगर यह भी संभव है कि कुछ मकान मालिक अपना खर्च चलाने के लिए किराये पर ही निर्भर हों। ऐसे समय में किराये को पहले से जमा राशि से निपटाने की कोशिश करें। इससे आप कुछ महीनों स्थितियों को संभाल पाएंगे।
इसके बाद व्यक्ति सस्ता मकान तलाश सकता है। अगर आपकी किस्मत सही है तो आपको कम किराये में बहुत से मकान मिल सकते हैं। निस्संदेह और भी बहुत से विकल्प हैं। हालांकि विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि ईएमआई को आगे बढ़ाने यानी मॉरेटोरियम लेने से बचा जाए मगर बहुत अधिक दिक्कतें पैदा होने पर इसके बारे में भी विचार किया जा सकता है।
गोल्ड लोन या अन्य कोई परिसंपत्ति गिरवी रखकर लिया जाने वाला ऋण भी अच्छा विकल्प है। परिसंपत्ति गिरवी रखकर ऐसा ऋण लेने की कोशिश करें, जिसमें ब्याज की दर ईपीएफ की ब्याज दर के बराबर या उससे कम हो। शेट्टी ने कहा, 'सरकारी गारंटी के तहत आने वाली सभी निश्चित आय योजनाओं में ईपीएफ में सबसे अधिक प्रतिफल मिलता है। इस योजना में कर मुक्त प्रतिफल और परिपक्वता पर कर मुक्त धनराशि मिलती है।'
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