पिछले एक साल में गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) ने निवेशकों को 48.7 फीसदी का औसत प्रतिफल दिया है। लोग आम तौर पर अपने निवेश पोर्टफोलियो में सोने को 10-15 फीसदी जगह देते हैं। लेकिन जिन निवेशकों का इसमें जरूरत से ज्यादा निवेश हो गया है, उन्हें मौका मिलते ही मुनाफा वसूलना चाहिए और थोड़ा-बहुत सोना बेचकर निवेश का अनुपात ठीक कर लेना चाहिए। यदि वे सोने में बहुत अधिक निवेश रखेंगे तो उनके पोर्टफोलियो के लिए खतरा बढ़ा जाएगा। जब कभी सोने में तेजी खत्म होगी, उनके निवेश में सेंध लग सकती है।
आज ज्यादातर विशेषज्ञ यही मान रहे हैं कि सोने में तेजी अभी जारी रहेगी। क्वांटम म्युचुअल फंड में वरिष्ठï फंड प्रबंधक (वैकल्पिक निवेश) चिराग मेहता कहते हैं, 'अंतरराष्टï्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुताबिक दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्घि दर शून्य से भी 3 फीसदी नीचे चली जाएगी और इसके जल्द पटरी पर लौटने की उम्मीद भी नहीं दिखती।'
कोरोनावायरस के कारण दुनिया के बाजारों और अर्थव्यवस्था की जो हालत है, वह सोने के लिए हमेशा अच्छी ही होती है क्योंकि सोने को सबसे सुरक्षित परिसंपत्ति माना जाता है। दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने भी ब्याज दरों में कटौती की है और माना जा रहा है कि निकट भविष्य में उनमें और भी कमी की जा सकती है। इस समय पूरी दुनिया में वास्तविक ब्याज दर बेहद कम हैं या शून्य से भी नीचे चली गई हैं। आम तौर पर सोने और वास्तविक ब्याज दर के बीच नकारात्मक संबंध होता है यानी इनमें से एक नीचे जाता है तो दूसरा ऊपर उठता है। चूंकि यह बॉन्ड में निवेश बनाए रखने का समय नहीं है, इसलिए कम ब्याज दरों को देखकर सोने की कीमत चढ़ रही हैं। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं इस समय मांग में कमी से जूझ रही हैं। सरकारों से उम्मीद है कि वे परिवारों और कारोबार दोनों की मदद करेंगी ताकि मांग पूरी तरह खत्म नहीं हो जाए। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के सह निदेशक एवं जिंस तथा मुद्रा प्रमुख किशोर नार्ने कहते हैं, 'सरकारें ट्रेजरी बिल यानी सरकारी हुंडियां जारी करेंगी और केंद्रीय बैंक उन्हें खरीदेंगे। सरकारों का राजकोषीय घाटा बढ़ेगा और केंद्रीय बैंकों को मुद्रा छापनी पड़ेगी, जिससे मुद्रा की कीमत कम होगी और यह देखकर सोने के भाव में इजाफा होगा।'
पिछले संकट के समय केंद्रीय बैंकों ने प्रणाली में जो नकदी डाली थी, उसके नुकसान हुए थे। इस बार संकट में और अधिक नकदी छापी जा रही है। माना जा रहा है कि इससे मुद्रा की कीमत हमेशा के लिए कम हो जाएगी। लेकिन सोने की कीमत कम करना केंद्रीय बैंकों के वश में नहीं होता, इसलिए ऐसे माहौल में सोना उछलता रहेगा।
अमेरिकी डॉलर में इस वक्त मजबूती आ रही है, लेकिन शायद ज्यादा वक्त तक ऐसा नहीं होगा। मेहता को लगता है, 'अमेरिका को आज जो घाटा हो रहा है या उस पर जिस तरह कर्ज हो रहा है, उसकी वजह से डॉलर शायद लंबे अरसे तक मजबूत नहीं रहेगा।' इसके अलावा इस दौर में शेयर, डेट अैर रियल एस्टेट का प्रदर्शन अच्छा रहने की संभावना बहुत कम है, इसलिए विकल्प के अभाव में सोना ही मजबूत होगा।
सोने की रफ्तार को कुछ बातें कम भी कर सकती हैं, लेकिन उसमें बढ़त के बजाय कमी शायद ही आए। नार्ने कहते हैं, 'केंद्रीय बैंकों ने 2019 में 436 टन सोना खरीदा, जो पिछले 50 साल में सोने की दूसरी सबसे बड़ी सालाना खरीद थी। इस साल से कई केंद्रीय बैंक अपनी अर्थव्यवस्थाओं को सहारा देने के लिए कुछ सोना बेच सकते हैं। इससे सोने में उछाल कुछ धीमी हो सकती है।'अगर महामारी से हुई घबराहट थमी तो भी सोने में बढ़त की रफ्तार कम हो सकती है। सोने की रिफाइनिंग करने वाली और सराफा तैयार करने वाली कंपनी ऑगमोंट के निदेशक केतन कोठारी कहते हैं, 'कई देशों में महामारी अपने चरम पर पहुंच रही है और अब धीरे-धीरे वहां कारोबार शुरू हो रहे हैं। इसलिए सोने की कीमतें पहले जैसी तेजी से शायद ही चढ़ें।' कोठारी को लगता है कि अपनी माली जरूरतें पूरी करने के लिए कई लोग इस वक्त सोना बेच सकते हैं।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर हाल ही में सोना 47,327 रुपये प्रति 10 ग्राम का भाव छू आया था, इसलिए मुनाफावसूली की गुंजाइश बन रही है। आईआईएफएल सिक्योरिटीज में वरिष्ठï अनुसंधान विश्लेषक रूपक दे की राय है, 'हाल के ऐतिहासिक स्तर से 8-10 फीसदी गिरावट हुई तो नए निवेशकों के लिए सोने में रकम लगाने का सही भाव होगा।' नए निवेशकों को सोने में आने वाली ऐसी हरेक गिरावट का फायदा उठाकर अगले छह से 12 महीने में निवेश बढ़ाना चाहिए।