सरकारी तेल शोधकों के अतिरिक्त कच्चे तेल से भारत को 5.33 मिलियन टन (एमटी) की रणनीतिक भंडारण क्षमता को भरने में मदद मिल रही है। कर्नाटक के मंगलूर और पडुर और आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में स्थित भंडारण केंद्र मई के अंत तक पूरी तरह से भर सकते हैं।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) और मंगलूर रिफाइनरी (एमआरपीएल) इस मकसद के लिए करीब 2.1 एमटी या 15 मिलियन बैरल से ज्यादा अतिरिक्त कच्चे तेल का इस्तेमाल इस मकसद के लिए कर रहे हैं। भंडारण क्षमता का संचालन तेल उद्योग विकास बोर्ड (ओआईडीबी) की पूर्ण मालिकाना वाली सहायक कंपनी इंडियन स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व (आईएसपीआरएल) करती है, जो विदेश उद्देश्य कंपनी है। सरकारी रिफाइनर इस समय 50 प्रतिशत से कम क्षमता पर संयंत्र चला रहे हैं।
इस समय कच्चा तेल खरीदकर रणनीतिक भंडार में भरना भारत के लिए बहुत लाभदायक होगा क्योंकि अब अंतराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बहुत नीचे हैं। गुरुवार को 5 बडे ब्रेंट क्रूड की कीमत करीब 25 डॉलर प्रति बैरल पर रही।
तीन रणनीतिक भंडारण सुविधाएं भूमिगत रॉक कैवर्न, जिनका संचालन आईएपीआरएल करता है, की कुल 5.33 एमटी कच्चे तेल के भंडारण की क्षमता है। विशाखापत्तनम केंद्र की क्षमता 1.33 एमटी, मंगलूरु की 1.5 एमटी और पडुर की 2.5 एमटी है। अबूधाबी नैशनल ऑयल कंपनी (एडनॉक) ने पहले ही मंगलूर केंद्र पर 0.82 एमटी के करीब भंडारण किया है। आईएसपीआरएल के एक अधिकारी ने कहा, 'मई के अंत तक पूरी 5.33 एमटी क्षमता भर जाएगी। इसमें 2.1 एमटी 4 सरकारी कंपनियों से आ रहा है।'
सरकार के खपत के आंकड़ों के मुताबिक 5.33 एमटी क्षमता से देश की 9.5 दिन की कच्चे तेल की जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। ओडिशा के चांदीखोल में दो और भंडार केंदर की योजना बनाई गई है, जिनकी क्षमता 4 एमटी होगी। साथ ही पडुर में 2.5 एमडी की अतिरिक्त भंडारण क्षमता बनेगी। इससे भंडारण क्षमता बढ़कर 21 दिन के लिए हो जाएगी।
अप्रैल में रिफाइनरों ने सऊदी अरब, यूएई, ईराक और कुवैत जैसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं से कच्चे तेल की खरीद के मामले में फोर्स मेजर लागू कर दिया था और कहा था कि उनसे जितनी मात्रा में डिलिवरी की उम्मीद की गई थी, उससे कम मात्रा में डिलिवरी ली जाएगी। बीपीसीएल में रिफाइनरीज के निदेशक आर रामचंद्रन ने कहा, 'हमारे पास ज्यादा कच्चा तेल है, क्योंकि मांग में अचानक कमी आ गई है। सभी रिफाइनरों के पास टैंकों से कुछ अतिरिक्त कच्चा तेल है। हमने सोचा कि सऊदी, एडनॉक या ईरान में भंडारण पाने की कवायद के बजाय क्यों न हम अतिरिक्त कच्चे तेल से कैवर्न भर दें। इसलिए हम इस क्षमता को भर रहे हैं।'
सूत्रों का कहना है कि मंगलूरु और पडुर में स्थित 6 कैवर्न की भंडारण क्षमता 20 मई तक पूरी हो जाएगी। उनके पास आईओसी, बीपीसीएल और एमआरपीएल रिफाइनरीज का कच्चा तेल होगा। आईएसपीआरएल के अधिकारी ने कहा, 'इस कच्चे तेल का ज्यादा हिस्सा सऊदी अरब जैसे पश्चिम एशिया के देशों से आ रहा है। हमारे कार्गो इसे भर रहे हैं। विजग में शेष भंडारण क्षमता भी इस महीने पूरी हो जाएगी।' भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात करता है. वितत्त वर्ष 2019-20 के दौरान भारत ने करीब 227 एमटी कच्चे तेल का आयात 102 अरब डॉलर में किया। कच्चे तेल के दाम कम होने से पिछले वित्त वर्ष में तेल पर हुए खर्च की तुलना में देश का करीब 10 अरब डॉलर बचा था। 2018-19 में 112 अरब डॉलर के कच्चे तेल की खरीद हुई थी।
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