हीरा उद्योग के राजस्व में 25 फीसदी की कमी के आसार | विनय उमरजी और अभिजित लेले / अहमदाबाद/मुंबई April 30, 2020 | | | | |
कोविड-19 महामारी का केंद्र चीन से हटकर अमेरिका और यूरोप बन जाने के कारण वित्त वर्ष 2021 के दौरान घरेलू हीरा उद्योग का राजस्व एक दशक के निम्नतम स्तर पर आने के आसार हैं। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने यह जानकारी दी है। अमेरिका यूरोप भारत के इस संकटग्रस्त हीरा तराश उद्योग के प्रमुख निर्यात गंतव्य हैं। अब हीरा प्रसंस्करण इकाइयां बैंकों से किसी आर्थिक पैकेज का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं। इसके बिना वे लॉकडाउन हटाने के बाद भी काम शुरू करने की स्थिति में नहीं हैं।
रत्न एवं और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के उपाध्यक्ष कॅालिन शाह ने कहा कि उद्योग को इन मुश्किल हालात में बैंकों से किसी प्रोत्साहन का इंतजार है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग को वित्त वर्ष 2021 के दौरान राजस्व में 20 से 25 फीसदी तक गिरावट आने की आशंका है। गुजरात में प्रसंस्करण इकाइयों को खोलने की अनुमति के बावजूद उद्योग ने व्यावहारिक चिंताओं के कारण उत्पादन शुरू नहीं किया है।
फरवरी 2020 के दौरान रत्नाभूषण क्षेत्र पर बैंकों का बकाया कर्ज 16.8 प्रतिशत घट गया, जबकि एक साल पहले इसमें 2.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। हीरा क्षेत्र से संपर्क रखने वाले एक बैंकर ने कहा कि वे वैश्विक मंदी और हॉन्ग कॉन्ग के दंगों के कारण वित्त वर्ष 2020 से ही रत्नाभूषण क्षेत्र के प्रति सतर्क थे। लॉकडाउन इस मसलेे में और जुड़ गया है जिससे वे इस उद्योग के संबंध में और सतर्क हो गए हैं।
क्रिसिल के अनुसार भारतीय हीरा तराश उद्योग का राजस्व वित्त वर्ष 2021 में लुढ़कना तय है जो गिरकर एक दशक के निचले स्तर 13 से 15 अरब डॉलर पर आ जाएगा, जबकि वित्त वर्ष 2019 में यह 24 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 2020 में अनुमानित रूप से 19 अरब डॉलर रहा है। भारत के तराशे हुए हीरा निर्यात में अमेरिका और यूरोप का संयुक्त योगदान 45 प्रतिशत से अधिक रहता है।
महामारी फैलने की वजह से इन देशों को किए जाने वाले निर्यात में फरवरी के दौरान सालाना आधार पर 41 फीसदी की तेज गिरावट आई है। आगे चलकर इसमें और गिरावट आ गई। खास तौर मार्च में शुरू होने वाले देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से।
अन्य बाजारों को किए जाने वाले निर्यात को भी मुसीबत झेलनी पड़ी हैं। निर्यात में 45 फीसदी का योगदान करने वाले हॉन्गकॉन्ग और चीन में हीरे, आभूषण और घडिय़ों जैसी लक्जरी वस्तुओं की मांग फरवरी में 79 फीसदी तक और उसके बाद तो इससे भी ज्यादा लुढ़कने का अनुमान है। अगर यह मान लें कि इस महामारी में जून तक कमी आने लगेगी और अगली तिमाही से कारोबार सामान्य होने लगेगा, तो ऐेसे में क्रिसिल को लगता है कि हीरा क्षेत्र में सुधार आने में वित्त वर्ष की दूसरी छमाही लग जाएगी।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक सुबोध रे ने कहा कि मार्च तिमाही से स्टॉक के स्तर में 15 से 20 फीसदी का इजाफा होने का अनुमान है।
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