कारोबार मंदा.. मगर दाम घटाने को तैयार नहीं डेवलपर | राघवेंद्र कामत, अर्णव दत्ता और विनय उमरजी / मुंबई/नई दिल्ली/अहमदाबाद April 29, 2020 | | | | |
अगर आप लॉकडाउन के दौरान या इसके बाद मकान की कीमतें कम होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं तो यह ख्याल दगा दे सकता है। देश में इस समय अन्य क्षेत्रों के साथ रियल एस्टेट कारोबार की भी हालत भले ही खराब है, लेकिन रियल एस्टेट कंपनियां आवासीय जायदाद की कीमतें घटाने के मूड में नहीं दिख रही हैं। आवासीय परियोजनाओं की बिक्री घटने और आने वाले समय में कमजोर मांग की आशंका के बाजवूद रियल एस्टेट कंपनियां एवं बिल्डर कीमतों के मुद्दे पर सोच-विचार करने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। मार्च तिमाही में आवासीय मकानों की कीमतों में 30 प्रतिशत कमी आई है और इस कैलेंडर वर्ष में ऐसे मकानों की बिक्री में इतनी ही कमी आने का अंदेशा जाताया जा रहा है।
देश की बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में शुमार गोदरेज प्रॉपर्टीज के प्रबंध निदेशक मोहित मल्होत्रा ने कहा, 'फिलहाल कीमतें कम करने की हमारी कोई योजना नहीं है। यह क्षेत्र पिछले आठ वर्षों से ऐसे ही कमजोर मांग का शिकार रहा है। इसके मद्देनजर कीमतें घटने की कोई गुंजाइश नहीं है।' मल्होत्रा ने कहा कि दक्षिण मुंबई सहित कुछ जगहों को छोड़कर दूसरी जगह तैयार मकानों का अंबार नहीं है, इसलिए डेवलपरों पर कीमतें घटाने का कोई दबाव नहीं है।
इसी तरह, मुंबई की रियल एस्टेट कंपनी ऑबेराय रियल्टी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक विकास ऑबेराय ने कहा कि आने वाले समय में नकदी की किल्लत बनी रहने से रियल एस्टेट खंड में कीमतें मोटे तौर पर स्थिर ही रहेंगी। उन्होंने कहा, 'ज्यादातर बिल्डर इस समय वित्तीय दबाव से गुजर रहे हैं और इससे नई परियोजनाएं शुरू करना उनके लिए आसान नहीं होगा। नतीजतन कीमतें अपने स्तर पर बनी रहेंगी या इनमें और तेजी आ सकती है।' कंपनियों ने सस्ते आवासीय खंड में भी कीमतें घटने से इनकार किया है। सिग्नेचर ग्लोबल के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा,'महंगे आवासीय खंड में कीमतें घटाना अपेक्षाकृत आसान है, लेकिन सस्ते आवासीय खंड में हम महज 5 से 7 प्रतिशत मुनाफे पर कारोबार करते हैं, इसलिए कीमतें कम करना घाटे का सौदा साबित होगा। सरकार हमारी मांग पर ध्यान देते हुए कच्चे माल पर जीएसटी घटाती है तो कीमतें में कटौती की गुंजाइश बन सकती है।'
विशेषज्ञों का कहना है कि मध्यम आवासीय परियोजनाओं में मुनाफा 30-40 प्रतिशत के स्तर से कम होकर अब महज 20 प्रतिशत रह गया है। गुजरात की रियल एस्टेट
कंपनी बी सफल ग्रुप के चेयरमैन राजेश ब्रह्मïभट्टï ने कहा कि लोग कीमतों में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं लेकिन हमें नहीं लगता कि इससे कोई समाधान निकलेगा। पिछले तीन वर्षों से मकानों की बिक्री कम रही है और पहले से ही मंद कारोबार के बीच कीमतें घटाना संभव नहीं होगा।' हालांकि एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने हाल में कहा था कि बिल्डरों को आवासीय माकानों की कीमतों में 2 प्रतिशत तक कटौती झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए। पारेख ने कहा था कि कारोबार जारी रखने के लिए उन्हें कीमतों की परवाह किए मकानों की बिक्री करनी चाहिए। पारेख ने एक वीडियो कॉल में कहा था, 'अगले छह महीने इस उद्योग के लिए खासा मुश्किल साबित होने जा रहा है। कारोबारियों को नकदी का प्रवाह बनाए रखने के लिए कीमतों की परवाह किए बिना जायदाद बेचनी पड़ सकती है।'
हीरानंदानी समूह में प्रबंध निदेशक निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि सभी रियल एस्टेट कंपनियों के लिए लॉकडाउन के बाद परिस्थितियां अलग-अलग हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह कंपनियों पर निर्भर करेगा कि वह कैसे कारोबारी करना चाहती हैं।
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