विवाद से विश्वास का फिर आकलन कर रहे उद्योग | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली April 29, 2020 | | | | |
वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के कारण आर्थिक गतिविधियां ठहर गई हैं। ऐसे में उद्योग विवाद से विश्वास योजना में हिस्सा लेने के अपने रुख का फिर से आकलन कर रहे हैं। इस योजना के तहत पहली तिमाही के आखिर यानी 30 जून तक धन का भुगतान करना है।
ज्यादातर मामलों में पहली तिमाही में कमाई नकारात्मक या स्थिर रही है, ऐसे में कंपनियां पहली तिमाही में नकदी बचाने पर जोर दे रही हैं और सामान्य याचिका से विवादों को सुलझाने के विकल्प अपनाने पर विचार कर रही हैं, जिसमें कम से कम 2-3 साल समय लगता है।
विवाद से विश्वास योजना के तहत 31 जनवरी 2020 तक के कर विवादों के समाधान पर ब्याज, जुर्माना व दंड माफ करने की पेशकश की गई है, जिसके लिए 30 जून के पहले भुगतान करना होगा।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'जमीनी स्थिति को देखते हुए भुगतान की शर्त को लेकर इस योजना का नए सिरे से आकलन की जरूरत है। विवाद समाधान की तुलना में ज्यादातर कारोबार को बचाए रखना अहम है।'
पहले इस योजना के तहत 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान के बगैर अंतिम तिथि 31 मार्च रखी गई थी, जिसे कोविड के कारण 30 जून कर दिया गया है।
उदाहरण के लिए निर्माण क्षेत्र ने योजना का विकल्प अपनाने का फैसला किया था, जिससे मामले का जल्द समाधान सुनिश्चित हो सके, भले ही न्यायालय में इस मामले में कंपनियों के जीतने की संभावना ज्यादा है। फॉर्म 25एएस और वित्तीय विवरण में राजस्व के अंतर को लेकर याचिकाएं दायर की गई हैं। बहरहाल अब यह क्षेत्र याचिका के माध्यम से मुकदमा लडऩे का विकल्प अपनाने की योजना बना रहा है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की एक निर्माण कंपनी के प्रमुख ने कहा, 'निर्माण क्षेत्र की गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, क्योंकि मॉनसून के पहले का समय बीत गया। हम इस समय संकट से गुजर रहे हैं। हम अब सामान्य याचिका का रास्ता अपनाएंगे, जिसमें वक्त लगता है, लेकिन हमारे पक्ष में फैसला आने की पूरी उम्मीद है।'
इसी तरह से वाहन उद्योग में पूरी दुनिया में अपने नेटवर्क के माध्यम से कल पुर्जे की आपूर्ति करने वाली कंपनी ने रॉयल्टी से जुड़े मसले में इस योजना का विकल्प चुना था। बहरहाल अब कंपनी ने विचार त्याग दिया है क्योंकि कोविड के कारण पूरी आपूर्ति शृंखला प्रभावित हुई है।
एक सलाहकार फर्म एकेएम ग्लोबल में टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि कुछ घरेलू कॉर्पोरेट नकदी के गंभीर संकट से जूझ रहे हैं और यहां तक भारत में काम कर रही एमएनसी का भी यही हाल है। ऐसे में नकदी बचाने के लिए कंपनियां विवाद से विश्वास योजना में शामिल होने या न होने के मसले पर फिर से विचारकर कर रही हैं। उन्होंने कहा, 'कुछ करदाता याचिका जारी रख सकते हैं। जिन मामलों में नकदी का प्रवाह प्रभावित नहीं हुआ है, वे योजना अपनाने के विकल्प पर चल सकती हैं।'
बहरहाल कुछ एमएनसी विकल्पों का मूल्यांकन कर रही हैं क्योंकि रुपये में गिरावट से एमएनसी के लिए योजना आकर्षक हो गई है। इसके अलावा जहां रिफंड अटका हुआ है, ज्यादा कंपनियां नकदी को महत्त्व दे रही हैं। एएमआरजी एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन ने हा कि उद्यमियों को यह नजर नहीं आ रहा है कि जल्द कारोबार सामान्य होगा। उन्होंने कहा, 'कारोबारियों को तत्काल झटका लगा है जहां वे पहले से तय लागत वहन करने में मुश्किलों से जूझ रही हैं। जिन करदाताओं को नकदी का संकट है, वे विवाद से विश्वास योजना से कदम खींच सकती हैं।'
करीब 4,00,000 मामले इस योजना के पात्र हैं, जिनमें कम से कम 9.3 लाख करोड़ रुपये फंसे हैं।
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