संकटग्रस्त डेट एमएफ में गिल्ट फंड दमदार | समी मोडक और अनूप रॉय / मुंबई April 28, 2020 | | | | |
डेट म्युचुअल फंड (एमएफ) क्षेत्र में भारी उथल-पुथल के बावजूद 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड (गिल्ट) श्रेणी का प्रदर्शन दमदार रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा दरों में उम्मीद से कहीं अधिक कटौती किए जाने और नकदी प्रवाह को रफ्तार देने के लिए उपाय किए जाने से इस श्रेणी को दमदार प्रदर्शन दर्ज करने में मदद मिली। यही कारण है कि गिल्ट फंड का यह प्रदर्शन पिछले एक दशक में बेहतरीन रहा है।
फिलहाल गिल्ट फंड श्रेणी में एक साल का रिटर्न करीब 17 फीसदी है जो डेट एमएफ श्रेणी में करीब एक दर्जन अलग-अलग श्रेणियों के मुकाबले अधिक है। पिछले छह महीनों के दौरान इन फंडों का एक वर्षीय रिटर्न 20 फीसदी तक रहा जो 2008-09 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद बेहतरीन प्रदर्शन है।
सुंदरम म्युचुअल फंड के सीआईओ (निर्धारित आय) द्विजेंद्र श्रीवास्तव ने कहा, 'यह कोई पहला अवसर नहीं है जब इस श्रेणी ने दमदार प्रदर्शन दर्ज किया है। वर्ष 2009 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा प्रणाली में नकदी झोंके जाने के बाद इस श्रेणी की कुछ योजनाओं के लिए रिटर्न 25 फीसदी अधिक रहा था।'
गिल्ट फंड श्रेणी में रिटर्न आमतौर पर सॉवरिन सरकारी बॉन्ड के रिटर्न जैसा ही रहता है। यही कारण है कि इस श्रेणी में भी कोई क्रेडिट रिस्क नहीं दिखता है। हालांकि ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव से इस श्रेणी में रिटर्न प्रभावित होता है।
पिछले एक वर्ष के दौरान 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूति पर प्रतिफल 7.6 फीसदी से घटकर 6.15 फीसदी रह गया। इससे मूल्य में करीब 17 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। बॉन्ड प्रतिफल और मूल्य की दिशा विपरीत होती है। हालांकि इस प्रकार के बॉन्ड में निहित कूपन कम दिखता है लेकिन अधिकांश लाभ मूल्य में बदलाव से मिलता है।
फिलिप कैपिटल के सलाहकार जयदीप सेन ने कहा, 'गिल्ट सहित किसी भी बॉन्ड फंड में एक्रुअल और मार्क-टु-मार्केट पूंजीगत लाभ अथवा नुकसान निहित होता है। मान लीजिए कि किसी गिल्ट फंड में एक्रुअल 7.5 फीसदी है। अप्रैल 2019 में 10 वर्षीय प्रतिफल 7.4 फीसदी था जो अब 6.15 फीसदी है। प्रतिफल में 125 आधार अंकों की कमी आई है और मान लेते हैं कि अवधि 7 वर्षों की है तो पूंजीगत लाभ घटक में 125 आधार अंक को अवधि से गुना करते हैं। यह 8.75 फीसदी होता है। इस प्रकार कुल रिटर्न 6.75 फीसदी और 8.75 फीसदी का योग यानी 15.5 फीसदी होता है।'
गिल्ट श्रेणी को प्रतिफल में भारी गिरावट से फायदा होता है और रिटर्न में भी उतार-चढ़ाव बना रहता है। यही कारण है कि पिछले छह महीनों के दौश्रान 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का प्रदर्शन बेहतर रहा है। क्वांटम ऐसेट के फंड मैनेजर (निर्धारित आय) पंकज पाठक ने कहा, 'यह कहना सही नहीं होगा कि गिल्ट फंड सबसे सुरक्षित श्रेणी है। यह क्रेडिट रिस्क के लिहाज से सुरक्षित है लेकिन ब्याज दर जोखिम के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। यही कारण है कि हमें इस तरह का उतार-चढ़ाव दिख रहा है।'
विकसित देशों के बॉन्ड में भारी बढ़त के कारण घरेलू गिल्ट बॉन्ड में तेजी दिख रही है। पिछले साल अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव के कारण वैश्विक निवेशकों ने निर्धारित आय वाले बॉन्ड में निवेश करना शुरू कर दिया था। यहां तक कि जर्मनी और फ्रांस जैसे देशोंं में बॉन्ड प्रतिफल नकारात्मक स्तर तक लुढ़क चुका है। अब कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक व्यवधान के बीच प्रोत्साहन उपायोंं और ब्याज दरों में कटौती की आशंका के कारण निवेशकों का रुख सुरक्षित समझे जाने वाले सरकारी बॉन्ड की ओर दिख रहा है।
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