नए माहौल में काम के लिए तैयार | बीएस संवाददाता / मुंबई April 28, 2020 | | | | |
देश की शीर्ष कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) ने अर्थव्यवस्था में मंदी की प्रचंड आशंका से सरकार को आगाह किया है। इन अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 का कोई पुख्ता इलाज अब तक सामने नहीं आने से कंपनियों को एक बदले परिवेश में काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए। लॉकडाउन के कारण पिछले एक महीने में विभिन्न वस्तुओं की बिक्री थम गई है और लाखों लोगों की आजीविका दांव पर लगी हुई है।
जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने कहा कि लॉकडाउन से कोविड-19 संक्रमण की रफ्तार जरूर कम हुई है, लेकिन अर्थव्यवस्था की सेहत बिगड़ गई है। जिंदल ने कहा, 'संक्रमण से निपटने के उपायों के साथ ही आर्थिक गतिविधियों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो अर्थव्यवस्था संकट में घिर सकती है और इसे दोबारा पटरी पर लाना सरल नहीं रह जाएगा। कोविड-19 की तरह अर्थव्यवस्था में मंदी भी देश के लिए एक बड़ा खतरा है।' जिंदल ने कहा कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कोविड-19 के बाद बदले हालात में देश को नई परिस्थितियों में नई रणनीति के साथ आगे बढऩा होगा। विशेषज्ञों ने कोविड-18 महामारी के असर को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर का अनुमान घटाकर 0.8 प्रतिशत कर दिया है। पिछले एक महीने से देश में तमाम आर्थिक गतिविधियां लगभग ठहर गई हैं और कई कंपनियों को तो परिचालन रोकना पड़ा है।
हालात की गंभीरता समझते हुए सरकार ने 15 अप्रैल से सीमित विनिर्माण गतिविधियों एवं कृषि कार्यों की इजाजत जरूर दी है, लेकिन यह नाकाफी है। लॉकडाउन की वजह से विमानन, वाहन, होटल उद्योगों पर सबसे अधिक चोट पड़ी है। अप्रैल में कुछ वाहन कंपनियों की बिक्री का आंकड़ा शून्य रह सकता है।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा कि अगर देश के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन चरणबद्ध तरीके से खत्म किया जाता तो इससे उद्योग जगत में सुधार की रफ्तार काफी सुस्त रहेगी। उन्होंने कहा, 'विनिर्माण खंड में अगर एक फीडर फैक्टरी भी बंद रहती है तो अंतिम चरण में उत्पाद तैयार करने से जुड़े कार्य बाधित हो जाते हैं। शोध के अनुसार 49 दिनों का लॉकडाउन पर्याप्त होता है और अगर यह सही है तो मेरे हिसाब से आर्थिक गतिविधियां व्यापक स्तर पर शुरू होनी चाहिए।'
इंडिया सीमेंट के वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एन श्रीनिवास ने कहा कि परिवहन सुविधा नहीं होने से लगभग सभी उद्योगों को परेशानी पेश आ रही है। श्रीनिवास ने कहा कि परिवहन साधन नदारद होने से कंपनियों के लिए मानव संसाधन एवं माल की आवाजाही चुनौती बन गई है। उन्होंने कहा,'आय का स्रोत थमने और वित्तीय दबाव बढऩे से लॉकडाउन जारी रहने की स्थिति में उद्योग जगत को खासी परेशानी होगी। इससे बैंकों से ऋण लेने और कर्मचारियों को भविष्य में वेतन देने में दिक्कतें आएंगी।'
मुख्य कार्याधिकारियों ने कोविड-19 महामारी से निपटने में सरकार की भूमिका की सराहना भी की, लेकिन उनका कहना है कि अब अर्थव्यवस्था पर भी ध्यान देना होगा। टीवीएस मोटर के चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन ने कहा,'सरकार ने सही समय पर लॉकडाउन का निर्र्णय लेकर अहम कदम उठाया है, लेकिन ऐसे हालात देश में लंबे समय तक जारी नहीं रह सकते। लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर हुआ है और अब हमें इसकी तरफ ध्यान देना ही होगा। हालांकि लॉकडाउन खत्म करने का निर्णय आंकड़ों और तर्कों पर आधारित होना चाहिए।'
मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि 3 मई के बाद और ढील दी जाती है या नहीं यह देखने वाली बात होगी। देश की दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी लिमिटेड के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा,'केवल सरकार ही जीवन और कारोबार की जरूरत के बीच संतुलन स्थापित कर सकती है। सरकार यही कार्य कर रही है। मेरा मानना है कि सभी संबंधित पक्षों के विचार-विमर्श के बाद ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिए और यह कार्य केवल अधिकारियों के ऊपर नहीं छोड़ देना चाहिए।'
मुख्य कार्याधिकारियों ने कहा कि भारत को गंभीरता पूर्वक विचार करने के बाद ही यह निर्णय लेना चाहिए कि देश में आर्थिक गतिविधियां दोबारा किस रफ्तार से शुरू की जाएंगी। उनके अनुसार नया ढांचा तैयार करने के लिए सरकार को व्यय बढ़ाना चाहिए और इसके लिए कम से कम 10 लाख करोड़ रुपये रकम तक का प्रावधान होना चाहिए। मुख्य कार्याधिकारियों ने कहा कि सरकार को सड़क, राजमार्ग, बिजली संयंत्र, बांध, प्रदर्शनी केंद्र, अस्पताल आदि कई अतिरिक्त नई परियोजनाएं शुरू करनी होंगी।
(देव चटर्जी के साथ टी ई नरसिम्हन, राघवेंद्र कामत और ईशिता आयान दत्त)
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