'राजकोषीय विस्तार के लिए स्पष्ट योजना जरूरी' | अनूप रॉय / मुंबई April 28, 2020 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से भारत का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.5 प्रतिशत से ऊपर जाएगा। उन्होंने वित्तीय प्रबंधन के लिए 'अच्छी तरह से जांचा परख खाका' तैयार करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक 'जंग के लिए तैयार' है।
समाचार एजेंसी कॉग्नेसिस के साथ साक्षात्कार में दास ने कहा, 'इस साल 3.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करना चुनौतीपूर्ण है।' उन्होंने कहा, 'अर्थव्यवस्था को समर्थन और टिकाऊ स्तर पर राजकोषीय घाटा रखने को ध्याम में रखकर तर्कसंकत और संतुलित कदम उठाए जाने की जरूरत है, जिसका वृदह अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता के साथ तालमेल हो।' दास ने कहा, 'बहुत अच्छे तरीके से सोच समझकर प्रवेश और निकास का खाका तैयार करने की जरूरत है।' रिजर्व बैंक ने अभी सरकार के घाटे के मुद्रीकरण पर कोई फैसला नहीं किया है।
उन्होंने कहा, 'परिचालन संबंधी वास्तविकताओं, रिजर्व बैंक के बैलेंस सीट को ताकतवर रखने व संरक्षित करने की जरूरत और सबसे अहम रूप से वृहद अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लक्ष्य को ध्यान में रखकर फैसले रना हमारा प्राथमिक मकसद है। इस प्रक्रिया में हम वित्तपोषण के विभिन्न विकल्पों पर भी विचार करेंगे।'
रिजर्व बैंक ने ट्रेजरी बिल नीलामी में हिस्सा नहीं लिया और न ही स्पेशल कोविड-19 बॉन्ड को लेकर कोई फैसला किया है। इंस्ट्रूमेंट विश्लेषकों ने सुझाव दिए थे कि केंद्रीय बैंक के सरकारी कर्ज को निजी प्लेसमेंट के लिए इस्तेमाल किया जाए। रिजर्व बैंक का मानना है कि नया लक्षित दीर्घावधि रीपो ऑपरेशन या टीएलटीआरओ 2.0 भी संभवत: पहले के ऑपरेशंस की तरह कारगर नहीं होगा। उन्होंने कहा, 'नीलामी के परिणाम एक संदेश देते हैैं, वह यह है कि बैंक इस समय एक बिंदु से आगे अपनी बैलेंस शीट पर कर्ज का जोखिम लेने को इच्छुक नहीं हैं। हम उसके आधार पर पूरी स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। उसके बाद हम अपने रुख के बारे में फैसला करेंगे।'
रिवर्स रीपो रेट नकदी प्रबंधन का साधन है और इसमें कटौती अस्थाई है। नीतिगत संकेतक दर रीपो रेट के रूप में जारी रहेगी। नकदी के साधन में बदलाव के लिए रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) से इजाजत लेने की जरूरत नहीं होती है, वहीं केंद्रीय बैंक ने विभिन्न कदमों के बारे में सदस्यों के साथ चर्चा की है।
रिजर्व बैंक ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) की दरों पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है, जिसके माध्यम से बैंंक अपनी अतिरिक्त नकदी केंद्रीय बैंक के पास बगैर किसी रेहन के, बल्कि रिवर्स रीपो से कम दर पर रख सकते हैं। बहरहाल दास ने कहा, 'एसडीएफ हमेशा रिजर्व बैंक के पास होती है और इसे किसी भी समय सक्रिय किया जा सकता है।' दास ने कहा कि भारत पर विदेशी निवेशकों का भरोसा कायम है और इसकी बैंकिंग व्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
यहां तक कि रेटिंग की कार्रवाई में बढ़ते वित्तीय घाटे की वजह से जोखिम हो सकता है, लेकिन दास ने कहा, 'व्यापक रूप से देखें तो पिछले कुछ साल के दौरान विदेशी निवेशकों ने भारत की अर्थव्यवस्था में अपनी दिलचस्पी दिखाई है और उनका भरोसा बना हुआ है। यह रेटिंग कम या ज्यादा होने से निरपेक्ष है।'
बैंक हर किसी तक छूट का विस्तार कर सकते हैं, जिसमें गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी)भी शामिल हैं, लेकिन टीएलटीआरओ-2 की असफलता से यह सिद्ध हुआ है कि बैंक जोखिम लेने को तैयार नहीं हैं। छोटे और मझोले आकार के एनबीएफसी और माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशंस तक नकदी का प्रवाह जारी रखना चुनौती बना हुआ है।
दास ने कहा, 'यह मसला हमारे विचारार्थ है। हम चुनौती से निपटने के लिए आगे जरूरी कदम उठाएंगे।'
कर्ज पर छूट देने के मामले में रिजर्व बैंक ने बैंकों से प्रॉविजन के रूप में अलग 10 प्रतिशत रकने को कहा है, जिसे बाद में वापस लिया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'हम इस क्षेत्र पर लगातार नजर रख रहे हैं। आगे चलकर जिन भी कदमों की जरूरत होगी, हम उठाएंगे।' केंद्रीय बैंक निगरानी में भी सुधार कर रहा है और अब सक्रियता से बैंकों की जांच हो रही है।
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