लंबी अवधि में शक्तिशाली फर्मों का ही अस्तित्व रहेगा | राघवेंद्र कामत / April 27, 2020 | | | | |
बीएस बातचीत
कोविड-19 महामारी रियल एस्टेट क्षेत्र पर नकारात्मक असर डाल सकती है और डेवलपरों के सामने नकदी की चुनौतियां पेश कर सकती है। ओबेरॉय रियल्टी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक विकास ओबेरॉय ने राघवेंद्र कामत को दिए साक्षात्कार में इस संकट से निपटने की कंपनी की योजना पर विस्तार से बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:
चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 2019-20 में कंपनी की बिक्री पर किस तरह का असर पड़ा है?
सौभाग्य से लॉकडाउन इस तिमाही के तीसरे महीने में हुआ और वह भी महीने के दूसरे हिस्से में, ऐसे में चौथी तिमाही पर बहुत ज्यादा असर नहीं दिखेगा।
वित्त वर्ष 2021 में बिक्री में कितनी गिरावट की आशंका है और लॉकडाउन खुलने के बाद आप बिक्री बढ़ाने के लिए क्या करेंगे?
वित्त वर्ष 2021 कैसा रहेगा, इसका अनुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी। अगर लॉकडाउन लंबे समय तक जारी रहता है तो लोग निश्चित तौर पर अपने लिए आरामदायक घर चाहेंगे। ऐसे में बिक्री में वास्तव में बढ़ोतरी होगी। सौभाग्य से हमारे पास ओबेरॉय गार्डन सिटी है, जिसे हमने शहर के अंदर सिटी के तौर पर बनाया है और यह बेहतर होगा क्योंकि यह एक तरह का विकसित कैंपस है जहां सबकुछ आपकी पहुंच में है। मेरा यह भी मानना है कि वित्तीय दबाव के कारण ज्यादातर डेवलपर मुश्किल में हैं, ऐसे में आपूर्ति का भी अवरोध होगा। इससे कीमतें स्थिर रखने में मदद मिलेगी या फिर तैयार फ्लैट के लिए कीमतें बढ़ भी सकती हैं।
क्या आप वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही की परियोजना टाल देंगे?
हम इस आधार पर परियोजना पेश करने का फैसला लेंगे कि लॉकडाउन कैसे और कब खुलेगा। ऐसे में लगता नहीं है कि हम वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में कोई परियोजना पेश कर पाएंगे।
बिक्री बढ़ाने और उसे पूरा करने के लिए आप डिजिटल चैनल का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं?
अपनी परियोजनाओं का विपणन करने के लिए डिजिटल तरीका अपनाने वाली पहली रियल एस्टेट कंपनियों में ओबेरॉय है। ग्राहक पूछताछ कर रहे हैं और लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि ज्यादातर लोग भुगतान करने से पहले उसे देखना चाहेंगे। लेनदेन ऑनलाइन होगा, लेकिन लोग अपार्टमेंट आकर उसे देखना चाहेंगे। ये शुरुआती दिन हैं, लेकिन अब तक प्रतिक्रिया उत्साहजनक रहे हैं।
आवासीय रियल एस्टेट में सुधार में कितना वक्त लगेगा?
यह महामारी के टिकने की अवधि पर निर्भर करेगा। जैसा कि मैंने पहले कहा है, लंबी अवधि में मजबूत बैलेंस शीट, अच्छे कंपनी संचालन और अच्छी ब्रांड वाली कंपनियों का ही सकारात्मक असर होगा क्योंंकि यह शक्तिशाली के ही अस्तित्व में रहने की बात होगी।
क्या आरबीआई के हालिया कदम से नकदी किल्लत दूर करने में मदद मिलेगी?
मेरा मानना है कि केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और आरबीआई को एकसाथ आकर दीपक पारिख और उदय कोटक जैसे व्यक्तियों की बात सुननी चाहिए और विस्तृत समाधान पेश करना चाहिए। सरकार को ऐसा माहौल बनाना चाहिए जो खरीदारों को खरीदारी के लिए प्रोत्साहित करे। यह बाजार में जरूरी नकदी लाएगा।
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