संकट में ईपीएफ, एनपीएस से रकम निकाली तो पड़ेगा बहुत भारी | सर्वजित के सेन / April 27, 2020 | | | | |
अक्सर देखा लॉकडाïउन के बाद कई को नौकरियां गंवानी पड़ी हैं और कई को वेतन में कटौती झेलनी पड़ी है। ऐसे में खस्ता माली हालत को संभालने के लिए नौकरीपेशा लोग अक्सर सेवानिवृत्ति के बाद की जिंदगी के बचाई रकम इस्तेमाल करने लगते हैं। ऐसा हरगिज नहीं करना चाहिए। एक उम्र के बाद पेशे, नौकरी या कारोबार से कमाई कम होने लगती है और उसके बाद बाकी जिंदगी बचाई गई रकम और निवेश के भरोसे ही काटनी पड़ती है। संयुक्त परिवार का चलन अब खत्म हो रहा है और एकल परिवार बढऩे लगे हैं। ऐसे में बुढ़ापे के दौरान परिवार का सहारा मिलने की गुंजाइश भी कम होती जा रही है। यही देखकर सरकार चाहती है कि लोग अपनी बचत को वक्त से पहले इस्तेमाल नहीं करें, जिसके लिए सेवानिवृत्ति के लिहाज से चलने वाली योजनाओं सेआंशिक निकासी के नियम बहुत सख्त रखे गए हैं।
विशेषज्ञ कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के लिए जमा की जा रही रकम का इस्तेमााल दूसरे कामों क लिए करने से पहले अच्छी तरह सोच लेना चाहिए। ओरोवेल्थ के सह-संस्थापक विजय कुप्पा कहते हैं, 'सेवानिवृत्ति के बाद की जिंदगी के लिए बचाई जा रही रकम उस वक्त जीवनरक्षक का काम करती है, जब आय के दूसरे सभी स्रोत बंद हो जाते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद आराम की जिंदगी जीने के लिए यह रकम बहुत जरूरी है।'
सेवानिवृत्ति की प्रमुख योजनाएं
अगर कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति यानी रिटायरमेंट के बाद के लिए रकम बचानी हो तो सबसे अहम योजना कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) होती है। इसमें नियोक्ता भी योगदान करते हैं और कर्मचारी भी। कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़ा जाता है और इस रकम का 12-12 फीसदी हिस्सा दोनों ईपीएफ में डाल देते हैं। ईपीएफ पर वित्त वर्ष 2019-20 में 8.5 फीसदी ब्याज दिया गया है। यदि कोई कर्मचारी पांच साल से अधिक समय तक नौकरी करता है तो ईपीएफ में अपने खाते में जमा रकम निकालने पर उसे किसी तरह का आयकर नहीं चुकाना पड़ता।
राष्टï्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) और सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) जैसी योजनाएं उन लोगों के लिए भी हैं, जिनके पास अपना रोजगार है। एनपीएस बाजार से जुड़ी योजना है, जहां आप चार तरह के फंडों में निवेश कर सकते हैं। ये फंड हैं इक्विटी, कॉर्पोरेट बॉन्ड, सरकारी बॉन्ड और वैकल्पिक निवेश। पीपीएफ की बात करें तो यह स्थिर आय वाला विकल्प है, जिसमें सरकार की पूरी गारंटी शामिल होती है। पीपीएफ खाता 15 साल के लिए खोला जाता है और यह मियाद पूरी होने के बाद खाते को 5-5 साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। फिलहाल पीपीएफ पर 7.9 फीसदी ब्याज मिल रहा है और ब्याज की दर समय-समय पर घटाई-बढ़ाई जाती है। पीपीएफ की मियाद पूरी होने पर यानी परिपक्वता के समय जो भी रकम मिलती है, वह पूरी तरह ब्याज मुक्त होती है।
आंशिक निकासी पर सख्त नियम
बच्चों के विवाह, शिक्षा, मकान की खरीद या निर्माण, जमीन की खरीद, मकान की मरम्मत और आवास ऋण चुकाने आदि के लिए ईपीएफ से आंशिक रकम निकाली जा सकती है। कितनी अधिक रकम मिलेगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि निकासी किस मकसद से की जा रही है। लगातार पांच साल तक ईपीएफ खाता बरकरा रहे तो उससे निकाली जाने वाली रकम पर किसी तरह का आयकर नहीं देना पड़ता।
एनपीएस से भी कुछ रकम निकाली जा सकती है, लेकिन इससे आंशिक निकासी केवल बच्चों की उच्च शिक्षा और विवाह, मकान की खरीदारी या निर्माण, गंभीर बीमारी के इलाज या अपने विकास या अपना उद्यम लगाने के मकसद से ही की जा सकती है। मगर इसके लिए शर्त है। निकासी तभी हो सकती है, जब खाता चलते हुए कम से कम तीन साल हो चुके हों। हां, अगर आप कौशल विकास के लिए कुछ रकम निकालना चाहते हैं तो 3 साल मियाद वाली शर्त लागू नहीं होती। एनपीएस खाताधारक टियर-1 खाते से केवल अपने योगदान (पूरी राशि नहीं) का अधिकतम 25 फीसदी हिस्सा निकाल सकता है। एनपीएस की पूरी अवधि में केवल तीन बार ही आंशिक निकासी हो सकती है और अधिकतम 25 फीसदी आंशिक निकासी को ही कर मुक्त रखा गया है।
जिनका पीपीएफ खाता है, वे छह साल पूरे होने के बाद हर साल एक-एक बार आंशिक निकासी कर सकते हैं। निकासी से ठीक चार साल पहले खाते में उपलब्ध रकम के 50 फीसदी या निकासी से ठीक एक साल पहले उपलब्ध रकम के 50 फीसदी में से जो भी राशि कम होती है, उसे ही निकाला जा सकता है। मगर विशेषज्ञों की सलाह है कि लोगों को मकान बनाने या बच्चों की शिक्षा जैसे लक्ष्यों के लिए उस रकम को नहीं छेडऩा चाहिए, जो वे अपने रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी के लिए बचा रहे हैं। सैमको सिक्योरिटीज के रैंक एमएफ प्रमुख ओंकारेश्वर सिंह कहते हैं, 'एकल परिवार का चलन बढ़ रहा है और सामाजिक सुरक्षा बिल्कुल भी नहीं है। ऐसे में रिटायरमेंट के बाद सम्मान और सुकून के साथ जिंदगी बितानी है तो आप अपनी बचत पर ही भरोसा कर सकते हैं।'
जर्मिनेट वेल्थ सॉल्यूशंस के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक संतोष जोसफ भी सतर्कता बरतने की सलाह देते हैं। जोसफ कहते हैं, 'जीवन में अन्य लक्ष्यों के लिए अपनी सेवानिवृत्ति बचत का इस्तेमाल करना संवेदनशील और अहम मसला है। ऐसा तभी करें, जब आपके पास कोई और चारा नहीं रह गया हो।'
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