डीलरों और वितरकों की मदद के लिए बढ़ाए हाथ | विवेट पिंटो, शैली मोहिले, अर्णव दत्ता और ईशिता आयान दत्त / मुंबई/नई दिल्ली/कोलकाता April 24, 2020 | | | | |
एफएमसीजी, वाहन और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स क्षेत्र की कई कंपनियां कोविड-19 महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन के कारण पैदा हुए संकट से निपटने में डीलरों और वितरकों की मदद कर रही हैं। लॉकडाउन के कारण देशभर में लोगों की आवाजाही और माल ढुलाई बहुत कम हो गई है। वितरकों की समस्या यह है कि उनके गोदामों और खुदरा स्टोरों में माल भरा पड़ा है।
खाने-पीने और साफ-सफाई के सामान की बिक्री तो हो रही है लेकिन वाहन और ड्यूरेबल्स की बिक्री ठप पड़ी है। अनुमानों के मुताबिक रिटेल स्टोर बंद होने के कारण वाहन डीलरों के पास 6,000 से 7,000 करोड़ रुपये का माल पड़ा है। एफएमसीजी में भी होम और पर्सनल केयर श्रेणी का सामान भी ज्यादा नहीं बिक रहा है क्योंकि लोग इसे बहुत जरूरी सामान नहीं मानते। ऐसी स्थिति में कंपनियां वितरकों की मदद कर रही हैं। उनके लिए क्रेडिट भुगतान की अवधि (कंपनी से सामान उठाने के बाद उसका दाम कंपनी को चुकाने के बीच की अवधि) बढ़ाई जा रही है, बीमा की सुविधा दी जा रही है और उनके कर्ज पर जाने वाला ब्याज भी कंपनियां ही चुका रही हैं।
डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा ने कहा कि कंपनी के करीब एक चौथाई स्टॉकिस्टों और सुपर स्टॉकिस्टों को राहत देने के लिए उनके क्रेडिट भुगतान की अवधि एक हफ्ते के बजाय दोगुनी यानी दो हफ्ते कर दी गई है ताकि उन्हें पैसा चुकाने में आसानी हो। उन्होंने कहा कि स्टॉकिस्टों के सेल्समैन और माल ढुलाई कराने वाले एजेंटों के कर्मचारियों को बीमा सुविधा दी जा रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि वे जमीन पर काम कर रहे हैं और उनके वायरस से संक्रमित होने का खतरा अधिक है।
नेस्ले इंडिया के एक प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी ने अपने वितरकों को मार्च में शत प्रतिशत बिक्री प्रोत्साहन दिया है। उन्होंने कहा, 'हमारे वितरक साझेदारों के साथ मिलकर मोर्चे पर बिक्री का जिम्मा संभालने वालों के लिए हम नेस्ले सुरक्षा प्रोग्राम शुरू कर रहे हैं। इसके तहत उनमें से हरेक को तीन महीने तक कोविड-19 से सुरक्षा कवर दिया जाएगा।'
आईटीसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी वितरकों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो। साथ ही खुदरा दुकानदारों तक सामान की आपूर्ति में उनकी मदद की जा रही है। कंपनियां बैंकों के साथ भी बातचीत कर रही हैं ताकि नकदी से जूझ रहे वितरकों के लिए नकदी का इंतजाम किया जा सके। कई फ्रैंचाइजी साझेदारों और डीलरों के कर्मचारियों का अप्रैल-जून की अवधि का वेतन और किराया दिया जा रहा है।
वाहन डीलरों के महासंघ फाडा के मुताबिक परिचालन पर होने वाले डीलरों के खर्च में 85 फीसदी हिस्सा वेतन और किराये का ही होता है। मार्च में लॉकडाउन शुरू होने के बाद वाहन कंपनियों ने अपने चैनल साझेदारों की मदद के लिए कई तरह के उपायों की घोषणा की है। इनमें नए नाम किया मोटर्स इंडिया का है। कंपनी ने अपने डीलरों की मदद के लिए कई तरह के उपायों की घोषणा की है। मारुति सूजुकी और टोयोटा किर्लोस्कर मोटर अपने डीलरों को राहत देने के लिए बैंकों से बात कर रही हैं।
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