बाजार नियामक सेबी ने पुनर्खरीद के बाद इक्विटी फंड जुटाने पर कंपनियों पर लगी रोक में रियायत दे दी है। इस कदम को कंपनियों के लिए प्रोत्साहन के तौर पर देखा जा रहा है ताकि कोविड-19 के कारण शेयर कीमत पर लगी चोट को सहारा देने के लिए वे पुनर्खरीद कार्यक्रम का ऐलान कर सकें। सेबी के पुनर्खरीद नियम की धारा 24 के मुताबिक, पुनर्खरीद की समाप्ति से लेकर एक साल तक रकम जुटाने पर कंपनियों पर पाबंदी लगी होती है। नियामक ने एक परिपत्र में कहा है, अपेक्षाकृत त्वरित पूंजी तक पहुंच में सक्षम बनाने के लिए पुनर्खरीद नियम की धारा 24 के तहत लगाई गई पाबंदी में अस्थायी तौर पर छूट देने का फैसला लिया गया है। इसके मुताबिक, अब कंपनियों पर पुनर्खरीद के बाद छह महीने तक ही रकम जुटाने पर पाबंदी होगी। इस कदम सेबी को मिले सुझावों के बाद उठाया गया है, जो पूंजी जुटाने के नियमों में नरमी से संबंधित हैं। पुनर्खरीद के बाद एक साल तक रकम जुटाने पर पाबंदी लगाए जाने की वजह अपने मनमुताबिक शेयर कीमतों को चढ़ाने से रोकना है। यह बात विशेषज्ञों ने कही है। कंपनी अपने रिजर्व का इस्तेमाल पुनर्खरीद पर करती है। इसके परिमाणस्वरूप यह कदवायद इक्विटी फंड जुटाने के प्रतिकूल है, जहां कंपनी नए चुकता शेयर जारी करती है ताकि कुछ निश्चित मकसद पूरा करने के लिए रकम जुटा सके। शेयर कीमतों में तेज गिरावट के बीच पहले ही करीब एक दर्जन कंपनियां शेयर पुनर्खरीद कार्यक्रम पेश कर चुकी हैं। इनमें मोतीलाल ओसवाल फाइनैंंशियल सर्विसेज, डेल्टा कॉर्प, डालमिया भारत और इमामी शामिल है। ज्यादातर पुनर्खरीद तथाकथित खुले बाजार के जरिए हो रहे हैं। इसके तहत कंपनी पुनर्खरीद की अधिकतम कीमत तय करती है और उसके पास एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म पर खुद के शेयर खरीदने का विकल्प होता है और यह तब तक होता है जब तक कि शेयर कीमतें पुनर्खरीद कीमतों से नीचे बनी रहती है। विशेषज्ञों ने कहा, सेबी की तरफ से नियमों में नरमी के बाद और कंपनियां पुनर्खरीद कार्यक्रम की घोषणा कर सकती हैं।
