भारतीय ई-कॉमर्स में हलचल के आसार | पीरजादा अबरार और नेहा अलावधी / बेंगलूरु/ नई दिल्ली April 22, 2020 | | | | |
विश्व की अग्रणी सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक की 5.7 अरब डॉलर के निवेश से रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म में 9.99 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा से ई-कॉमर्स एवं भुगतान के क्षेत्र में एमेजॉन, फ्लिपकार्ट और गूगल के बरक्स एक मजबूत चुनौती पेश होने की संभावना दिख रही है।
बाजार जानकारों का कहना है कि फेसबुक जैसे दिग्गज का साथ मिलने से मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाला रिलायंस ई-कॉमर्स उद्यम जियोमार्ट आने वाले दिनों में एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे पुराने दिग्गजों को कड़ी चुनौती देने की स्थिति में आ सकती है। उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक, भारत में ई-कॉमर्स का बाजार वर्ष 2028 तक 200 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है जो 2018 तक महज 30 अरब डॉलर था।
फॉरेस्टर रिसर्च के वरिष्ठ पूर्वानुमान विश्लेषक सतीश मीणा कहते हैं, फेसबुक के निवेश वाली राशि में से करीब 15,000 करोड़ रुपये जियो के पास ही बने रहेंगे, जिसका इस्तेमाल जियोमार्ट के ई-कॉमर्स नेटवर्क विस्तार में किया जा सकता है। अगर रिलायंस इसका जमीन पर बेहतर इस्तेमाल करने में सफल रहा तो मुझे लगता है कि वे बड़े पैमाने पर पहुंच के चलते एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के लिए बड़ी समस्याएं खड़ी कर सकते हैं।
मीणा के मुताबिक, जियोमार्ट ग्रॉशरी क्षेत्र में बेहद आक्रामक तरीके से पहल कर सकता है जिससे उसकी पहुंच अधिक परिवारों तक हो जाएगी। इस पहुंच का इस्तेमाल रिलायंस की अलग-अलग सेवाओं- मसलन, मोबाइल कनेक्शन, टीवी, संगीत और शिक्षा की बिक्री के लिए की जा सकती है। वह कहते हैं, एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के लिए बड़ी चिंता अपने कारोबारी मॉडल या लॉजिस्टिक की समीक्षा की है क्योंकि वे ग्रॉसरी की मांग पूरी नहीं कर पा रही हैं। लोग अपने घरों तक राशन एवं अन्य घरेलू सामानों की आपूर्ति चाहते हैं लेकिन ये कंपनियां डिलिवरी के लिए तैयार नहीं हैं।
वहीं नई दिल्ली स्थित विशेषज्ञ फर्म टेकलीगिस एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के मैनेजिंग पार्टनर सलमान वारिस ने कहा है कि फेसबुक के निवेश से देश की पांचवीं बड़ी फर्म बनने जा रही जियो आगे चलकर ई-कॉमर्स में एकाधिकार कायम कर सकती है जिससे समूची बाजार पारिस्थितिकी ही पलट जाएगी। वह कहते हैं, फेसबुक चाहती है कि व्हाट्सऐप का इस्तेमाल छोटे कारोबारों के लिए ई-कॉमर्स संभावनाओं में किया जाए। डेटा के मामले में एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के पास जियो-फेसबुक का कोई जोड़ नहीं है। हो सकता है कि कोविड-19 के चलते सीमित समय में इसका खास असर न पड़े, लेकिन लंबी अवधि में यह गठजोड़ न केवल एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे प्रतिद्वंद्वियों को टक्कर देगा बल्कि भारतीय ई-कॉमर्स का समूचा परिदृश्य ही बदलकर रख देगा।
वारिस कहते हैं कि जहां फेसबुक भारत में इंटरनेट पहुंच मुहैया कराने के लिए जियो का सहारा लेगी, वहीं इस साझेदारी से नेट निष्पक्षता की संकल्पना को भी खतरा पैदा हो सकता है। इसके लिए वह डेटा पर जियो को हासिल बढ़त को वजह बताते हैं। इसके अलावा भारी छूट देकर जियोमार्ट अपने प्रतिद्वंद्वियों को होड़ से बाहर करने की रणनीति भी अपना सकती है।
पहले इंडिया फाउंडेशन की शोध प्रमुख एवं वरिष्ठ फेलो निरुपमा सौंदर्यराजन का मानना है कि फेसबुक का साथ एवं निवेश मिलने से जियोमार्ट एक अग्रणी कंपनी बनकर उभर सकती है। वह कहती हैं, बाजार में उठापटक होगी। जियोमार्ट का संभावित कारोबारी मॉडल इस मामले में नया है कि वह स्थानीय किराना दुकानों को भी अपने साथ जोडऩे वाली है। लोगों के घरों तक पहुंचने के लिए ऐसा करना जरूरी है। हम व्हाट्सऐप के चलते पी2पी भुगतान में खासी तेजी भी देख सकते हैं। वहीं किराना दुकानों को भी एक-दूसरे का मुकाबला करने के लिए कमर कसनी होगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या किराना दुकानों के बीच भी कीमत को लेकर जंग छिड़ती है?
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