जियो-फेसबुक सौदा | संपादकीय / April 22, 2020 | | | | |
सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी फेसबुक ने जियो प्लेटफॉम्र्स में निवेश की घोषणा की है। यह निवेश, डिजिटल भुगतान को सोशल मीडिया संचार के साथ जोड़कर देश के खुदरा क्षेत्र परिदृश्य को पूरी तरह बदलने की ताकत रखता है। ऐसा दोनों समूहों के तालमेल से संभव होगा जिनका अपने-अपने क्षेत्र में दबदबा है। जियो प्लेटफॉम्र्स मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह की सभी डिजिटल परिसंपत्तियों की होल्डिंग कंपनी है। इसमें दूरसंचार सेवा प्रदाता, जियो इन्फोकॉम शामिल हैं। फेसबुक के पास अपने विशालकाय सोशल नेटवर्क के अलावा व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम का स्वामित्व है। जियो के करीब 38.8 करोड़ उपभोक्ता हैं। यह हिस्सेदारी देश के 63.5 करोड़ मोबाइल ब्रॉडबैंड उपभोक्ताओं के बाजार में 50 फीसदी से अधिक है। भारत में फेसबुक के 33 करोड़ सक्रिय उपयोगकर्ता और व्हाट्सऐप के 40 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं। व्हाट्सऐप ने हाल ही में व्हाट्सऐप पे के रूप में डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है। रिलायंस समूह की खुदरा क्षेत्र और डिजिटल मनोरंजन क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति है। इसमें जियो सावन और जियो टीवी शामिल हैं।
फेसबुक जियो प्लेटफॉम्र्स में 9.9 फीसदी हिस्सेदारी के लिए 43,574 करोड़ रुपये दे रही है। इससे आरआईएल की अनुषंगी कंपनी के मूल्यांकन में करीब 61 अरब डॉलर या 4.63 लाख करोड़ रुपये का इजाफा होगा। यह मूल्यांकन बहुत ज्यादा प्रतीत हो रहा है क्योंकि जियो को अभी यह दिखाना है कि वह अपने व्यापक उपभोक्ता आधार से पैसे कैसे कमाएगी, लेकिन फिर भी इस सौदे के लिए पर्याप्त कारण मौजूद हैं। सबसे अहम बात यह है कि जियो टेलीकॉम सेवा, फेसबुक और व्हाट्सऐप की मदद से विषय सामग्री, भुगतान और वाणिज्य तीनों क्षेत्रों में एकीकृत ढंग से काम कर सकती है। वह उपभोक्ताओं को सोशल मीडिया और वॉइस और डेटा संचार के अलावा उपरोक्त सुविधाओं का लाभ भी एक साथ दे सकती है।
जियो ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया, इंस्टैंट मेसेजिंग और डिजिटल भुगतान के एक मात्र ठिकाने के रूप में उभर सकती है। चीन का ऐप वीचैट इसका मॉडल हो सकता है। टेनसेंट कंपनी का यह ऐप एक अरब से अधिक लोगों को सेवा देता है। लोग विभिन्न सेवाओं के लिए इस एक ऐप का इस्तेमाल करते हैं। अंबानी ने जब कहा कि व्हाट्सऐप के साथ जियोमार्ट आपके पास पड़ोस की तीन करोड़ किराना दुकानों को ग्राहकों के साथ डिजिटल लेनदेन की सुविधा देगा, तब वह भविष्य की तस्वीर बयां कर रहे थे। उनके मुताबिक यह सौदा जियो को स्थानीय कारोबारियों से अबाध ढंग से जोड़ेगा और उन्हें ऑनलाइन लेनदेन की सुविधा देगा। इससे देश का खुदरा और ई-कॉमर्स क्षेत्र पूरी तरह बदल सकता है। फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग का वक्तव्य भी इस दिशा में इंगित करता है। उन्होंने कहा कि भारत में 6 करोड़ छोटे कारोबार हैं। लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि फेसबुक को अमेरिका और कनाडा से बाहर (उसका आधा राजस्व वहीं से आता है) नए बाजारों में विस्तार करना है।
नीति निर्माताओं को इस पर करीबी नजर रखनी होगी। चीन में वीचैट के तर्ज पर भारत में यह दबदबे वाली जोड़ी प्रतिस्पर्धा को खत्म कर एकाधिकार जमा सकती है। उपभोक्ताओं और खुदरा कारोबारियों के पास डिजिटल लेनदेन और सोशल मीडिया के प्रयोग के लिए चयन का विकल्प रहना चाहिए। एक सवाल उस डेटा को लेकर भी है जो इस दौरान उपभोक्ताओं से जुटाया जाएगा। निजी डेटा संरक्षण अधिनियम की अनुपस्थिति में भी उसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। नीति निर्माताओं को सुनिश्चित करना चाहिए कि नेट निरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन न हो क्योंकि चुनिंदा ऐप्स को बेहतर गति प्रदान करना अब आसान होगा। यह सौदा देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकता है। यह जहां फेसबुक को नए बाजार उपलब्ध कराएगा, वहीं जियो का कर्ज कम करने में भी मदद करेगा।
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