गुजरात व पंजाब ने भी बढ़ाए काम के घंटे, कर्मचारियों की छंटनी पर आंध्र सख्त | |
सोमेश झा / नई दिल्ली 04 21, 2020 | | | | |
पंजाब और गुजरात ने फैक्टरियों में काम के घंटों में बढ़ोतरी की है, वहीं आंध्र प्रदेश ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान ठेके के श्रमिकों की छंटनी को लेकर नियोक्ताओं के लिए कड़े दिशानिर्देश जारी किए हैं।
गुजरात व पंजाब ने राजस्थान सरकार की राह पर चलते हुए विनिर्माण इकाइयों में 12 घंटे काम की अनुमति दे दी है। इसके पहले जहां पंजाब ने कर्मचारियों को अधिकतम 9 घंटे काम की अनुमति थी, गुजरात और राजस्थान में अधिकतम 8 घंटे काम करने का प्रावधान था।
बहरहाल राजस्थान और पंजाब की तरह गुजरात के कर्मचारियों को बढ़े हुए काम के घंटों में काम करने पर सामान्य वेतन का दोगुना भुगतान नहीं किया जाएगा। गुजरात के श्रम विभाग ने 17 अप्रैल को जारी आदेश में कहा है, 'वेतन मौजूदा वेतन के अनुपात में होना चाहिए (उदाहरण के लिए अगर 8 घंटे का वेतन 80 रुपये है तो 12 घंटे का वेतन 120 रुपये होगा)।'
यह प्राïवधान 20 अप्रैल से शुरू होकर 3 महीने के लिए लागू होंगे। गुजरात सरकार ने कहा है कि शिफ्ट इस तरह तय होनी चाहिए कि हर 6 घंटे में कर्मचारियों को आधे घंटे आराम दिया जाए।
राज्यों ने इस बदलाव के लिए विधायी मार्ग अपनाए बगैर फैक्टरी अधिनियम 1948 के तहत दिए गए विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया है, जो सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति के लिए हैं। राज्य सरकारों का यह कदम इस रूप में देखा जा रहा है कि फैक्टरियों मेंं उत्पादन सुनिश्चित हो सके और शारीरिक दूरी रखने के लिए कम कर्मचारियों के साथ काम करने पर भी उत्पादन प्रभावित न हो। श्रम कानून में यह बदलाव छूट पाने वाली श्रेणी में आने वाले सभी उद्योगों पर लागू होगा, जिनको केंद्र व राज्य सरकारों ने अधिसूचना जारी कर सुरक्षित तरीके से काम करने की अनुमति दी है। सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र भी फैक्टरियों में काम के घंटे बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
एक्सएलआरआई जमशेदपुर के प्रोफेसर केआर श्याम सुंदर ने इन कदमों को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मानकों का उल्लंघन करार दिया है। उन्होंने कहा कि जब कर्मचारियों को विभिन्न काम करने की जिम्मेदारी दी जाएगी तो यह कदम उत्पादन के हिसाब से नुकसानदेह हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके कारण कर्मचारियों की थकान बढ़ेगी और दुर्घटनाएं ज्यादा होने की संभावना बनेगी।
मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने पहले ही अपने श्रम कानून में बदलाव कर एक दिन में 12 घंटे काम करने का प्रावधान कर दिया है। श्रम भारत के संविधान की समवर्ती सूची में आता है। राज्य अपने कानून बना सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें केंद्र से अनुमति लेनी होती है।
आंध्र प्रदेश में विशेष श्रम आयुक्त रेखा रानी ने 18 अप्रैल को आदेश जारी कर नियोक्ताओं को निर्देश दिया है कि वे बगैर किसी कटौती के अपने सभी कर्मचारियों को लॉकडाउन के दौरान पूरा भुगतान करें और ठेके पर काम करने वाले लोगों को न हटाएं। आदेश में कहा गया है कि किसी भी कांट्रैक्ट या कैजुअल लेबर को हटाया जाना आदेश का उल्लंघन माना जाएगा और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत यह दंडनीय होगा। कंपनियों द्वारा भुगतान न दिए जाने की शिकायत आने पर यह कदम उठाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 29 मार्च के एक आदेश में कहा है कि लॉकडाउन अवधि के दौरान कंपनियनां अपने कर्मचारियों का वेतन नहीं कम कर सकती हैं।
उद्योग के एक अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, 'उद्योगों के लिए यह चिंता की बड़ी बात है। एमएचए के दिशानिर्देश में समय का कोई जिक्र नहीं है कि कब तक उद्योगों को कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करते रहना है।'
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