नई नीति से विदेशी निवेश पर बढ़ेगी सख्ती! | |
पीरजादा अबरार और नेहा अलावधी / बेंगलूरु/नई दिल्ली 04 20, 2020 | | | | |
कोविड-19 संकट की वजह से अलीबाबा, टेनसेंट और श्याओमी जैसी चीनी कंपनियों द्वारा पेटीएम, ओला, बिगबास्केट, बायजू, ड्रीम11, मेकमायट्रिप और स्विगी में निवेश बढ़ाए जाने की आशंकाओं को दूर करते हुए केंद्र सरकार द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नीति में बदलाव किया गया है।
इससे नई कंपनियों के साथ साथ देश में विलय एवं अधिग्रहण में भी कमी आने की संभावना है। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि भारत में एफडीआई के संबंध में प्रेस नोट-3 का सूचीबद्घ कंपनियों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। गेटवे हाउस में फेलो, एनर्जी एंड एनवायरनमेंट स्टडीज प्रोग्राम के अमित भंडारी ने कहा, 'मौजूदा समय में तीन विकल्पों के जरिये भारत में चीन से निवेश होता है- किसी निर्माण संयंत्र की स्थापना में 100 प्रतिशत एफडीआई, भारतीय कंपनियों (चाहे वे सूचीबद्घ हों या गैर-सूचीबद्घ) में हिस्सेदारी लेना, और एफआईआई के जरिये खरीदारी करना। प्रेस नोट-3 से आखिरी दो विकल्प प्रभावित होंगे।'
स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने इस प्रेस नोट का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा, 'एसजेएम लंबे समय से इसकी मांग करता रहा है और चीनी फंडों और बैंकों द्वारा विभिन्न भारतीय या भारत स्थित कंपनियों के शेयरों की खरीदारी पर जोर दिए जाने की खबरों के बाद यह कदम उठाना बेहद जरूरी हो गया था।'
विश्लेषकों के अनुसार कई अन्य समस्याओं को लेकर भी स्थिति स्पष्ट किए जाने की जरूरत है। नई दिल्ली स्थित स्पेशलिस्ट टेक्नोलॉजी लॉ फर्म टेकलेगिस एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर सलमान वारिस ने सवालिया अंदाज में कहा, 'उदाहरण के लिए, जहां मौजूदा एफडीआई को छूट होगी, वहीं उन राइट्स इश्यू के संदर्भ में क्या नियम होगा जिनमें शेयरधारक सिर्फ प्रो-रेटा शेयरधारिता बनाए रखने के लिए ही निवेश करते हैं?
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