दिल्ली को हरियाणा और पंजाब से जोडऩे वाले ग्रांड ट्रंक रोड पर सामान्य दिनों की भांति ट्रैफिक नजर नहीं आ रहा है जबकि देश में बहुत अधिक अनाज उत्पादन करने वाले इन दोनों राज्यों में कटाई का सीजन चालू है। शेर शाह सूरी द्वारा 16वीं शताब्दी में निर्मित यह सड़क बाद में एक ओर अफगानिस्तान के काबुल तक चली गई तो दूसरी तरफ यह बांग्लादेश के चटगांव तक फैल चुकी है। अब यह राष्ट्रीय राजमार्ग-1 का हिस्सा है जो कश्मीर तक जाता है। इसी मार्ग से निकली एक सड़क भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित अटारी बॉर्डर तक जाती है। राजमार्ग पर ट्रक ड्राइवरों के साथ ही पर्यटकों को भी स्थानीय भोजन मुहैया कराने वाले ढाबे भी बंद पड़े हैं। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की पानीपत रिफाइनरी में उत्पाद पहुंचाने वाले 43 वर्षीय विजय कुमार कहते हैं, 'मैं घर के बने थोड़े से भोजन के साथ कानपुर से पानीपत के लिए निकला, लेकिन पूरे रास्ते में किसी भी राज्य सरकार (उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली या हरियाणा) की ओर से कहीं खाने की व्यवस्था नहीं थी। संक्रमण के डर से ढाबा मालिक अपने ढाबों में हमें नहीं आने दे रहे थे और पुलिस वाले हमें सड़क पर खाना पकाने नहीं दे रहे थे जो कि हम आम दिनों में करते आ रहे हैं।' उन्हें इस बात से सुकून है कि 50 किलोमीटर दूर जाकर रिफाइनरी में खाना मिल जाएगा। वहीं पर उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी, ताकि पता किया जा सके कि यात्रा में कहीं उसे संक्रमण तो नहीं हुआ। इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग (आईएफटीआरटी) में वरिष्ठ फेलो और समन्वयक एसपी सिंह कहते हैं कि वाहन मालिक फैक्टरियों के लिए बंदी को आंशिक तौर पर खोलने की मांग कर रहे थे और पिछले दो दिनों में ड्राइवर बेड़ा मालिकों के पास पहुंच चुके हैं। केंद्र सरकार ने सोमवार से सुरक्षित स्थानों पर सीमित गतिविधि की अनुमति दी थी लेकिन हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के कुछ हिस्से खतरे वाले क्षेत्र में होने के कारण ट्रैफिक में उछाल नजर नहीं आ रही है। सिंह कहते हैं, '52 लाख ट्रकों में से केवल 10-15 फीसदी ही सड़कों पर खेतों से रबी फसल जैसे जरूरी सामानों को ढो रही हैं। अगले तीन से चार दिनों में राजमार्गों पर जो फिलहाल 10 से 12 लाख ट्रक हैं उनकी संख्या करीब 20 लाख हो जाएगी।' एक ओर जहां कुछ रेस्तरां मालिक गृह मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय लॉकडाउन में ढील दिए जाने की संशोधित दिशानिर्देशों से अनजान थे, वहीं कई रेस्तरां अभी अपने दरवाजे खोलकर जोखिम नहीं उठाने चाहते हैं। हरियाणा के मुरथल में चर्चित मन्नत ढाबा के केयरटेकर को इस बात का भय है कि यहां आने वाले किसी ग्राहक में यदि कोविड-19 की पुष्टि हो जाती है तो इससे ब्रांड का नाम धूमिल हो जाएगा। एक और सुखदेव ढाबे में सामान्य दिनों में कारों की लंबी लाइनेे लगी रहती हैं और लोगों को खाने के लिए इंजतार करना पड़ता है, इस समय बंद पड़ा है और केयरटेकरों ने परिसर में बैरिकेडिंग लगा रखी है।
