खेतों में सड़ गई सब्जी, खरीफ की जुताई शुरू | |
दिलीप कुमार झा / मुंबई 04 19, 2020 | | | | |
सब्जी उगाने वाले किसानों ने खरीफ सत्र के लिए खेतों की जुताई शुरू कर दी है जबकि रबी की 30 फीसदी फसल खेतों में ही पड़ी है। कोरोनावायरस फैलने से रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण सब्जियों की मांग में कमी आई है और उनकी बिक्री की व्यवस्था भी प्रभावित हुई है। इससे किसानों और उपभोक्ताओं, दोनों की मुश्किलें बढ़ी हैं। देश में खरीफ की सब्जियों की बुआई एकाध हफ्ते बाद शुरू हो जाएगी।
देशभर में 25 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। पहले इसे 14 अप्रैल तक लागू किया गया था लेकिन फिर 19 दिन के लिए बढ़ा दिया गया है। सब्जियों की मांग में होटलों, रेस्टोरेंटों और ढाबों का बड़ा हिस्सा होता है लेकिन लॉकडाउन के कारण ये सभी बंद हैं। खेतिहर मजदूरों ने लॉकडाउन के कारण रबी की सब्जियां और फल तोडऩे के लिए खेतों का रुख नहीं किया। मंडियां बंद होने और जरूरी वस्तुओं की आवाजाही पर राज्य के भीतर और राज्यों के बीच लगी पाबंदियों और प्रवासी मजदूरों के पलायन से बागवानी किसानों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी।
वेजीटेबल्स ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (वीजीएआई) के अध्यक्ष श्रीराम गढवे ने कहा कि कमजोर मांग के कारण किसानों ने करीब 30 फीसदी रबी की तैयार फसल खेतों में ही छोड़ दी है। परिवहन की सुविधा नहीं होने से स्थिति और बदतर हो गई। मजदूरों की कमी के कारण किसानों ने खुद ही अपनी फसलों की कटाई शुरू कर दी। लेकिन मांग में कमी और मंडियों तक ढुलाई की समस्या के कारण उनकी कमाई प्रभावित हुई। अब उन्होंने खरीफ की बुआई की तैयारी शुरू कर दी है।
किसान जल्दी से जल्दी रबी की फसल को खेतों से हटाना चाहते हैं और उन्हें खरीफ की फसल के लिए तैयार करना चाहते हैं। इस साल मॉनसून सामान्य रहने की उम्मीद है और किसान मॉनसून पूर्व फुहारों का पूरा फायदा उठाना चाहते हैं। देश में सब्जियों और फलों की उपलब्धता में रबी सत्र का 60 से 65 फीसदी योगदान है जबकि बाकी योगदान खरीफ का है। अमूमन, पूरे देश में खरीफ सत्र की सब्जियों की बीजों की बुआई मई के पहले सप्ताह में शुरू होती है। लेकिन अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में किसान अपने खेतों को खरीफ की बुआई के लिए तैयार करना शुरू करते हैं।
सांगली की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के अध्यक्ष संतोष पाटिल कहते हैं, 'करीब 30 फीसदी सब्जियों की फसल की कटाई नहीं की गई है और उसे खेतों में ही सडऩे के लिए छोड़ दिया गया है। खरीफ की बुआई की तैयारी पहले ही शुरू हो चुकी हैं। रबी फसलों से किसानों को भारी नुकसान हुआ है और उन्हें बीज, खाद और दूसरा साजोसामान खरीदने तथा खेतों में काम करने वालों की मजदूरी देने के लिए स्थानीय साहूकारों से उधार लेना पड़ा है। इससे किसानों पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है।'
लॉकडाउन के कारण कई मंडियां बंद रहीं जबकि फल और सब्जियां जरूरी वस्तु मानी जाती है। जिस दिन मंडियां खुली रहीं उन दिन कम आवक हुई क्योंकि किसानों को पता नहीं था कि वे कितना माल बेच पाएंगे और यही वजह है कि वे कम माल लेकर मंडी पहुंचे। कई बड़े किसानों, किसान उत्पादक संघों (एफपीओ) और किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) ने सीधे थोक और खुदरा उपभोक्ताओं को अपनी बागवानी फसल बेचना शुरू कर दिया।
गढवे ने कहा कि महाराष्टï्र सरकार ने किसानों को मुफ्त बिजली और दूसरी कई सुविधाएं दीं जिससे किसान बीज और उवर्रक खरीद पाए। साथ ही किसानों को वित्तीय मदद भी दी गई। लेकिन किसानों की बेहतरी के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
इस लॉकडाउन के दौरान चीकू, अनार और अंगूर की खेती को सबसे अधिक नुकसान हुआ। नाशिक के बड़े इलाके में अब भी अंगूर की फसल तोड़ी नहीं गई है और किसानों को भारी नुकसान हुआ है। अनार की खेती करने वाले किसान नकदी बढ़ाने और अपना भंडार खपाने के लिए औनेपौने दामों पर फसल बेच रहे हैं।
ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलों का रुख करने के बारे में पूछे जाने पर पाटिल ने कहा कि सब्जी किसान सब्जी ही उगाएंगे चाहे उनकी फसल को नुकसान हो या मुनाफे में कमी हो। उन्होंने कहा कि किसानों ने साहूकारों से कर्ज लेने के लिए गहने गिरवी रखना शुरू कर दिया है और वे भारी ब्याज पर उधार ले रहे हैं। वे इस शर्त पर उधार ले रहे हैं कि खरीफ की फसल के बाद उसे चुका देंगे।
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