पैरासिटामॉल निर्यात को मिली मंजूरी | |
सोहिनी दास / मुंबई 04 17, 2020 | | | | |
शुक्रवार को भारत ने सामान्य दर्द और बुखार की दवा पैरासिटामॉल पर लगे प्रतिबंधों को हटा लिया, जबकि इसे तैयार करने वाली कच्ची सामग्री के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा कि पैरासिटामॉल से तैयार फॉर्मूलेशन के निर्यात की अनुमति दी है। इसमें फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन को भी शामिल किया गया है। हालांकि, पैरासिटामॉल एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रिडिएंट (एपीआई) पर प्रतिबंध जारी रहेगा। जब कोई वस्तु निर्यातों की प्रतिबंधित सूची में होता है तो निर्यातक को निर्यात करने से पहले वाणिज्य मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होता है।
इंडियन फार्मास्यूटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने इस कदम का स्वागत करते हुए इसे सही समय पर लिया गया सटीक निर्णय बताया है। आईपीए भारत में फार्मा की दिग्गज शीर्ष 25 कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि सरकार नियमित तौर पर घरेलू बाजार में उद्योग के साथ दवा के भंडार का निरीक्षण करती रहती है। जैन ने कहा, 'हरेक 15 दिन पर सरकार दवाइयों की इन्वेंट्री पर जानकारी लेती है और एपीआई घरेलू बाजार में इस पर नजर रखता है। उन्होंने पहले सुनिश्चित किया कि घरेलू बाजार में पर्याप्त स्टॉक है और उसके बाद अब उन्होंने निर्यात को भी खोल दिया है। यह एक अच्छा कदम है क्योंकि यह वैश्विक समुदाय को आश्वस्त करता है कि भारत दुनिया में फार्मास्यूटिकल्स के बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है।'
3 मार्च को भारत ने 13 प्रमुख एपीआई और उसकी दवाइयों के निर्यातों पर रोक लगा दी थी जिसमें पैरासिटामॉल भी शामिल था। इस आदेश को अप्रैल के पहले हफ्ते में संशोधित कर निर्यातकों को लगभग सभी प्रमुख एपीआई और दवाओं (एंटीबायोटिक्स और विटामिन सहित) के निर्यात की अनुमति दे दी। लेकिन 6 अप्रैल के आदेश में पैरासिटामॉल शामिल नहीं था।
सरकार ने इन उत्पादों के निर्यात पर रोक लगाने का निर्णय इसलिए लिया था कि इनके एपीआई का आयात मुख्य तौर पर चीन से किया जाता है और आपूर्ति संकट को देखते हुए सरकार घरेलू बाजार में दवाइयों की किसी तरह की कमी नहीं चाहती थी।
भारत ने अप्रैल 2019 और जनवरी 2020 के बीच 5.4 अरब डॉलर मूल्य के पैरासिटामॉल से तैयार फॉर्मूलेशन का निर्यात किया। वित्त वर्ष 2019 में भारत ने 5.8 अरब डॉलर मूल्य के पैरासिटामॉल फॉर्मूलेशन का निर्यात किया था।
भारत की फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (फार्मेक्सिल) ने निर्णय का स्वागत किया लेकिन इस बात पर जोर दिया कि सरकार 3 मार्च से पहले तैयार हुए एपीआई के निर्यात की अनुमति देने पर विचार कर सकती है। बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए फार्मेक्सिल के महासचिव उदय भाष्कर ने कहा, 'हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं। लेकिन हम अब भी सरकार से अनुरोध करना चाहेंगे कि वह पैरासिटामॉल एपीआई को छूट दे, कम से कम उनको जो 3 मार्च से पहले तैयार हुए थे।'
पता चला है कि फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने सरकार को देश में पर्याप्त स्टॉक होने का भरोसा दिलाया है। यह विभाग हमेशा विनिर्माताओं के संपर्क में रहता है। विभाग के भरोसे के बाद ही निर्यात पर लगी रोक को हटाने का निर्णय लिया गया।
भारत में पैरासिटामॉल एपीआई के बड़े निर्यातकों में ग्रेन्युल्स इंडिया, मेघामनी, फार्मसन फार्मा आदि शामिल हैं। सरकार ने अप्रैल में चार बड़े विनिर्माताओं से 1000 टन से अधिक एपीआई निर्यातों की अनुमति दी है।
उद्योग के एक सूत्र ने कहा, 'सामान्यत: पैरासिटामॉल फॉर्मूलेशंस और एपीआई का निर्यात करने वाली मध्यम आकार की कंपनियां हैं। घरेलू बाजार में जीएसके के पास सर्वाधिक बाजार हिस्सेदारी है, लेकिन वे यहां से निर्यात नहीं करते हैं। छोटी कंपनियों ने निर्यात की मंजूरी मिलने के बावजूद अपने अतिरिक्त स्टॉक की जानकारी जमा कराई है। उनके तर्कों से सहमत होने के बाद सरकार ने इन कंपनियों की निर्यात प्रतिबद्धताओं के मुताबिक फॉर्मूलेशन के निर्यातों की मंजूरी दी है।'
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