कोरोना का टीका बनाने की दौड़ में छह कंपनियां शामिल | सोहिनी दास / April 17, 2020 | | | | |
भले ही चीन की एक अनुसंधान कंपनी ने इस बात के लिए सुर्खियां बटोरी हों कि वह दुनिया का ऐसा पहला संगठन है, जिसने कोरोनावायरस बीमारी को रोकने का टीका बनाने के लिए क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे चरण में प्रवेश किया है। मगर भारतीय दवा कंपनियां भी बहुत पीछे नहीं हैं। भारत की छह दवा कंपनियां कोविड-19 का टीका बनाने की दौड़ में शामिल हैं। इन डेवलपर कंपनियों का कहना है कि भारत में अगले साल तक टीका बन जाने के आसार हैं क्योंकि इन कंपनियों में से ज्यादातर पहले ही जानवरों पर परीक्षण के चरण में पहुंच चुकी हैं।
कोलिशन फॉर एपिडेमिक प्रीपेयर्डनैस इनोवेशंस के वाइस चेयरमैन गगनदीप कंग ने कहा कि कैडिला हेल्थकेयर (जाइडस कैडिला), सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स, माइनवैक्स और बायोलॉजिकल ई कोविड-19 का टीका बनाने पर काम कर रही हैं।
कंग ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट््यूट, फरीदाबाद के कार्यकारी निदेशक भी हैं। उन्होंने कहा, 'अगले साल तक टीका आने की उम्मीद है। लेकिन यह हमेशा तेजी, विज्ञान, सुरक्षा, कारगरता और भाग्य का सवाल रहा है।'
यह टीका बनाने की दौड़ में जो कंपनियां शामिल हैं, उनमें से एक सीरम इंस्टीट्यूट ने संकेत दिया है कि वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही तक कामयाब टीका बनाना संभव होगा। पहले इसने 2022 के अंत तक का समय दिया था, लेकिन बाद में इसमें संशोधन किया। यह दो संभावित टीकों पर काम कर रही है, जो जानवरों पर परीक्षण के चरण में पहुंच चुके हैं। इसी तरह जाइडस कैडिला अपने संभावित टीकों पर काम कर रही है। यह कोविड-19 से बचाव के लिए डीएनए वैक्सीन और लाइव वीकेंडेड रीकॉम्बिनेशन मिजल्स वैक्सीन विकसित करने पर काम कर रही है।
कंपनी का डीएनए टीका कोविड-19 की कोशिकाओं के प्रवेश के लिए जिम्मेदार प्रोटीन की विषाणु झिल्ली के खिलाफ काम करेगा। दूसरा तरीके पर उसकी यूरोपीय अनुसंधान इकाई एटना बायोटेक काम कर रही है। यह वीकेंडेड रीकोम्बिनेंट मीजल्स वैक्सीन पर काम कर रही है। यह टीका लंबी अवधि के न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी पैदा करेंगे, जो वायरस से बचाव करेंगे।
जाइडस कैडिला के चेयरमैन पंकज पटेल ने कहा कि उन्होंने टीका तैयार करने के लिए कई तरीके अपनाए हैं। उन्होंने कहा, 'अगर जानवरों पर परीक्षण सफल रहा तो हम 2021 के अंत तक टीका आने की उम्मीद कर सकते हैं। हालांकि यह जानवरों पर परीक्षण के नतीजों पर निर्भर करेगा। सरकार अपने स्तर पर बहुत तेजी से काम कर रही है और मंजूरियां आदि मिलने में कोई दिक्कत नहीं आ रही है।' जाइडस 2010 में स्वाइन फ्लू का टीका बनाने वाली पहली भारतीय कंपनी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय टीका बनाने के लिए दौड़ चल रही है। लेकिन इस बीमारी के इलाज के लिए दवा उपलब्ध होने के बाद टीके की मांग घट सकती है।
राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी ई श्रीकुमार ने कहा कि यह देखने में कम से कम एक साल लगेगा कि जिस मरीज को टीका दिया जाता है, उसे संक्रमण नहीं होता है। उन्होंने कहा, 'टीकों के कारगरता की जांच में समय लगता है। उदाहरण के लिए यह पता लगाने में ही करीब छह महीने लगेंगे कि किसी मरीज में पर्याप्त संख्या में एंटीबॉडी पैदा हो रहे हैं या नहीं।'
भारतीय दवा कंपनियां जल्द से जल्द टीका तैयार करने के लिए लगातार काम कर रही हैं। एक दवा कंपनी के अधिकारी ने कहा, 'हमारे पास कोरोनावायरसों समेत बहुत सी घातक बीमारियों पर रोक के लिए टीके नहीं हैं। लेकिन कोरोनावायरस हर कुछ वर्षों में फिर से उभर रहे हैं। ऐसे में इन टीकों की मांग बने रहने के आसार हैं।' टीका तैयार करने की इतनी हड़बड़ी है कि सीरम इंस्टीट््यूट ने यह परीक्षण करने का फैसला लिया है कि क्या तेपेदिक का टीका कोरोना के खिलाफ भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर रहता है। गौरतलब है कि सीरम इंस्टीट्यूट डोज के लिहाज से विश्व की सबसे बड़ी टीका विनिर्माता कंपनी है। पुणे के इस संस्थान ने संक्रमण जैविकता और टीकाकरण परियोजना प्रबंधन के लिए जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट््यूट के साथ करार किया है। इसके तहत टीबी के टीके वीपीएम 10002 पर परीक्षण किए जा रहे हैं। अगर इस अध्ययन के नतीजे सकारात्मक आते हैं तो टीका बाजार में 2021 की शुरुआत तक आ सकता है। हैदराबाद की भारत बायोटेक का संभावित टीके का 2020 के अंत तक मानव पर परीक्षण शुरू होने के आसार हैं। भारत बायोटेक इंटरनैशनल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कृष्णा इल्ला ने कहा, 'हमने 'कोरोफ्लू' का जानवरों पर परीक्षण शुरू कर दिया है और इसे चार से छह महीने में पूरा करने की योजना बनाई है। यूडब्ल्यू मेडिसन में कोरोफ्लू वैक्सीन की अवधारणा में शुद्धिकरण और लैबोरेटरी एनिमल मॉडलों में जांच में 3 से 6 महीने लगेंगे।' वैश्विक स्तर पर कुछ अग्रणी कंपनियों ने संकेत दिया है कि वे 2021 तक टीका तैयार कर सकती हैं। उदाहरण के लिए जॉनसन ऐंड जॉनसन ने हाल में कोविड-19 टीके पर काम शुरू किया था।
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