जीतेंद्र कुमार यादव 23 मार्च पर दमन सीमा पर ट्रक लेकर फंसे हुए हैं। यादव ने अपने ट्रक पर पीटीए (सिंथेटिक यार्न बनाने के काम आने वाला कच्चा माल) लेकर दमन की एक फैक्टरी में जा रहे थे, लेकिन देशबंदी की वजह से वह आगे नहीं जा पा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के एक और ट्रक चालक विजय राम भी अपने ट्रक से माल उतारने के बाद गुजरात के नवसारी में रोक लिए गए हैं। वह अपना ट्रक दूसरी कंपनी से भरकर मुंबई वापस नहीं लौट सके। यादव और राम की कहानियां तब सामने आ रही हैं, जबकि ट्रकों की आवाजाही जारी रखने के लिए कई अधिसूचनाएं जारी की गई हैं। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि हाल के दिशानिर्देश के बाद भी पूरी तरह से व्यवधान दूर होने की संभावना नहीं है। इस समय 35 लाख के करीब ट्रक चालकों व सहायकों के साथ खड़े हो गए हैं। कुछ मानव संसाधन की कमी के कारण रुके हैं, कुछ देश के विभिन्न इलाकों में फंसे हैं। इससे परिवहन और लॉजिस्टिक उद्योग के लिए कामकाज सामान्य बनाना मुश्किल हो गया है, जिससे आपूर्ति शृंखला सामान्य हो सके, जबकि गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद फैक्टरियों में चरणबद्ध उत्पादन शुरू हो चुका है। आईएफटीआरटी के सीनियर फेलो एसपी सिंह ने कहा, 'मानव संसाधन किसी भी उद्योग की रीढ़ है, जो देश के हर हिस्से में फंसा है। जबतक वह फैक्टरी के गेट तक नहीं पहुंच जाता और परिवहन शुरू नहीं हो जाता, परिचालन बहाल नहीं हो सकता।' उन्होंने कहा कि जब तक रेल और बसें चलनी नहीं शुरू होती, लोग काम करने कैसे पहुचेंगे, यह बहुत विरोधाभासी स्थिति है। बहरहाल स्टील कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि हाल के दिशानिर्देश से स्पष्टता आई है और इससे उद्योग को स्थिति सामान्य बनाने में मदद मिलेगी। जेएसडब्ल्यू स्टील के वाणिज्यिक निदेशक जयंत आचार्य ने कहा, 'स्टील को जरूरी जिंस में शामिल किया गया है, ऐसे में संयंत्र पहले से चालू हैं। लेकिन दिशानिर्देश आने के बाद कामकाज को लेकर स्पष्टता आई है और अब फेरो अलॉय जैसे कच्चे माल की आवाजाही हो सकेगी।' आचार्य ने उम्मीद जताई कि सड़क पर आवाजाही भी अब शुरू हो सकेगी, जबकि अभी मालगाडिय़ां ही चल रही थीं। स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया (सेल) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी इसी तरह की राय देते हुए कहा कि नए दिशानिर्देशों से कंपनियों को अब अपने यार्ड खोलने में सहूलियत होगी। उन्होंने कहा, 'स्टील उद्योग के लिए निर्यात का एक अच्छा विकल्प मिल गया है और राज्यों की सीमाएं खुद जान से सेल को अपनी सामग्री एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने में मदद मिलेगी।' लेकिन आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के बलमलकीत सिंह कहते हैं कि इन्हें जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया जाता, यह कागजों में ही रहता है। उन्होंने कहा, 'एमएचए के दिशानिर्देशों के मुताबिक खाली ट्रकों को जाने देना चाहिए, लेकिन जमीनी हालात बहुत अलग है। एआईएमटीसी को चालकों से कॉल आ रही है कि उन्हें देश के विभिन्न इलाकों में रोके रखा गया है।' सिंह की चिंता जमीनी स्तर पर नजर आती है। रेलवे के यार्डों से खाद्यान्न, आटा और दाल जैसी जरूरी चीजें भी नहीं उठ पा रही हैं। इसकी प्रमुख वजह आवाजाही में अवरोध है।
