कोरोना मरीजों पर आयुर्वेदिक परीक्षण शुरू करने की योजना | सोहिनी दास / April 15, 2020 | | | | |
देश में जल्द कोरोनावायरस के मरीजों पर आयुर्वेदिक दवाओं का परीक्षण शुरू हो सकता है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए हरियाणा, गोवा और केरल जैसे बहुत से राज्यों ने बिना लक्षणों वाले मरीजों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों पर आयुर्वेदिक दवाएं इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
आयुष मंत्रालय के साथ बैठकों में हिस्सा ले रहे उद्योग के एक सूत्र ने कहा, 'आयुष मंत्रालय ने देश भर के आयुर्वेदिक और होम्योपैथी चिकित्सकों से सुझाव आमंत्रित किए थे। उन्हें करीब 2,000 प्रस्ताव मिले हैं। अब इन प्रस्तावों की जांच कर रहे कार्यबल (अनुसंधान संस्थानों के जरिये आयुर्वेद और परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों की वैज्ञानिक पुष्टि के लिए गठित) ने एक प्रस्ताव छांटा है। इसकी जल्द ही अधिसूचना जारी होने के आसार हैं।' यह अधिसूचना जारी होने के बाद इलाज के इस तरीके का कोविड-19 के मरीजों पर परीक्षण किया जाएगा। यह परीक्षण सबसे पहले उन लोगों पर किया जाएगा, जिनमें कोई लक्षण नहीं दिख रहे है या वे गंभीर मरीज नहीं हैं या संदिग्ध हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए परंपरागत उपचारों (जैसे गर्म पानी पीना और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले घरेलू नुस्खों) के बारे में बातचीत की थी।
इससे पहले उन्होंने आयुष चिकित्सकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की थी। इस कार्यबल में जैव-तकनीक विभाग (डीबीटी), वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और आयुष चिकित्सकों के सदस्य शामिल हैं। कार्यबल इस बारे में विचार-विमर्श कर रहा है कि अगर किसी मरीज को कोविड-19 से लडऩे के लिए नियमित एलोपैथी थैरेपी के अलावा आयुर्वेदिक दवाएं दी जाती हैं तो मिलाजुला असर कैसा होगा।
आयुष मंत्री श्रीपद वाई नायक ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए कहा कि मंत्रालय का कार्यबल आयुष चिकित्सकों द्वारा सौंपे गए प्रस्तावों की जांच-पड़ताल कर रहा है। इसके बाद वह इसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) जैसे अनुसंधान संगठनों को भेजगा। आईसीएमआर कोविड-19 संकट पर पूरी सक्रियता से काम कर रही है।
नायक ने कहा, 'इसके बाद आईसीएमआर मंत्रालय को अपनी यह राय देगी कि उस इलाज के उस तरीके पर आगे बढ़ा जाए या नहीं। चीन ने एलोपैथिक दवाओं के साथ परंपरागत दवाओं का भी इस्तेमाल किया है। हम इस पर अंतिम फैसले का इंतजार कर रहे हैं, जो इसी महीने हो सकता है।' उनका मानना है कि कोरोनावायरस के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, इसलिए आयुर्वेद उपयोगी साबित हो सकता है, भले ही रोकथाम के एक उपाय के रूप में ही सही। इस बीच हरियाणा, केरल और गोवा जैसे कुछ राज्यों ने नियमित एलोपैथी दवाओं के साथ रोकथाम की एक दवा के रूप में आयुर्वेद का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। सूत्रों ने कहा कि कुछ सरकारी अस्पताल इसका इस्तेमाल बिना लक्षणों वाले मरीजों और क्वारंटीन वाले लोगों के इलाज में कर रहे हैं। जीव आयुर्वेद के संस्थापक निदेशक प्रताप चौहान ने कहा, 'आयुर्वेदिक ग्रंथों में महामारियों, उन्हें नियंत्रित करने के तरीकों और कोरोना से मिलते-जुलते लक्षणों वाली बीमारी का जिक्र किया गया है। हालांकि इलाज के इन तरीकों का कोरोना के मरीजों पर परीक्षण नहीं हुआ है, लेकिन ये तरीके सदियों से विश्वसनीय हैं। कोई एक इलाज कारगर नहीं होने के आसार हैं क्योंकि आयुर्वेद में व्यक्ति की प्रकृति के आधार पर दवाएं दी जाती हैं।'
उनके संगठन में 5,000 से अधिक चिकित्सक हैं, जो दुनिया भर के करीब 8,000 लोगों को परामर्श देते हैं। चौहान ने दावा किया कि उन्हें न्यूयॉर्क से भी कॉल आ रही हैं। वहां के नागरिक उन आसान घरेलूू उपचारों के बारे में जानना चाहते हैं, जिन्हें वे सुरक्षित रहने के लिए अपना सकते हैं।
अप्रैल के पहले सप्ताह केरल सरकार ने कोरोना का प्रसार कम करने के लिए आयुर्वेद का इस्तेमाल करने का फैसला किया था। इसने दवाएं देने के लिए लोगों को सात श्रेणियों में बांटा था। केरल के मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि आयुर्वेद डिस्पेंसरी और अस्पतालों में अयूूर रक्षा क्लीनिक शुरू किए जाएंगे। जो लोग कोविड-19 से उबर रहे हैं, उन्हें भी फिर से अच्छी सेहत हासिल करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार दिया जाएगा। कार्यबल भी विभिन्न बीमारियों वाले लोगों के अलग-अलग समूहों को अलग-अलग उपचार देने पर काम कर रहा है। उद्योग का मानना है कि इस चिकित्सा प्रणाली के मुताबिक दवाओं का उत्पादन कठिन काम नहीं होगा क्योंकि कच्चा माल आसानी से उपलब्ध है और देश में पर्याप्त विनिर्माता हैं। अयूरचेम के मालिक और आयुर्वेदिक ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एडीएमए) के अध्यक्ष चंदूभाई भानुशाली ने कहा कि देश में 9,500 आयुर्वेदिक कंपनियां हैं। इनमें से केवल दो फीसदी वैद्यनाथ, इमामी और डाबर जैसी बड़ी कंपनियां हैं। उद्योग का मानना है कि देश में करीब 600 आयुर्वेदिक अस्पतालों का नेटवर्क है, जिनका बिना लक्षणों वाले मरीजों, संदिग्ध मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकता है। तेलंगाना पहले ही कोविड-19 के इलाज के लिए आयुर्वेदिक अस्पतालों की अधिसूचना जारी कर चुका है। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि इन अस्पतालों का इस्तेमाल एलोपैथी चिकित्सा पद्धति के बाद क्वारंटीन वार्ड के रूप में किया जाएगा या आयुर्वेदिक इलाज के लिए। भले ही सरकार आयुर्वेदिक उपचार की सिफारिश करे या नहीं, लेकिन भारतीयों ने पहले ही रोकथाम के उपाय के रूप में इस चिकित्सा पद्धति को अपनाना शुरू कर दिया है।
ऑनलाइन फार्मेसी ने अपनी आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की है। 1एमजी के मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत टंडन ने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह के दौरान आयुर्वेदिक दवाओं और बिना पर्ची के बिकने वाली रोग प्रतिरोधक दवाओं की बिक्री में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। फार्मईजी के सह-संस्थापक धवल शाह ने कहा कि कोरोना फैलने के बाद अश्वगंधा, मोरिंगा और च्यवनप्राश की बिक्री बढ़ी है।
आयुर्वेदिक डॉक्टरों की ली जाएंगी सेवाएं
सोहिनी दास और विनय उमरजी
देश भर में कोरोनावायरस के पॉजिटिव मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों ने इस वायरस के खिलाफ जंग जीतने के लिए आयुर्वेद और होम्योपैथी जैसी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के डॉक्टरों की सेवाएं लेना शुरू कर दिया है। बृहन मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने इस संकट से निपटने के लिए नियमित एमबीबीएस डॉक्टरों के अलावा आयुर्वेद और होम्योपैथी के स्नातक डिग्रीधारियों को नियुक्त करने का फैसला किया है। मेडिकल मेडिकल कॉलेजों के डीन और स्वास्थ्य अधिकारियों को भेजे एक पत्र में महानगर पालिका आयुक्त ने कहा कि वर्ष 1897 के महामारी बीमारी अधिनियम के तहत मिले अधिकारों के तहत बीएमसी ने इन पेशेवरों को एक विशेष पारिश्रमिक पर नियुक्त करने का फैसला लिया है।
बीएमसी ने इंटेंसिविस्ट (गंभीर मरीजों का इलाज करने वाला डॉक्टर) को डेढ़ से दो लाख रुपये, एमबीबीएस डॉक्टर को 80,000 रुपये, आयुर्वेदिक मेडिसिन के स्नातक को 60,000 रुपये और होम्योपैथी डॉक्टर को 50,000 रुपये का मासिक पारिश्रमिक देने की सिफारिश की है। इसके बाद अंधेरी के सेवन हिल्स हॉस्पिटल ने बड़े दैनिक अखबारों में 550 डॉक्टरों और नर्सों को भर्ती करने का विज्ञापन दिया है। गौरतलब है कि इस अस्पताल को बीएमसी ने कोरोना के विशेष अस्पताल में तब्दील किया है। सेवन हिल्स 30 सीनियर कंसल्टेंट नियुक्त करने के बारे में विचार कर रहा है, जिनमें कार्डियोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट आदि शामिल हैं। इन्हें हर महीने 3.5 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। यह अस्पताल 120 सहायक चिकित्सा अधिकारी भी भर्ती करने जा रहा है, जो बैचलर ऑफ मेडिसिन, बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस), बैचलर ऑफ होम्योपैथी मेडिसिन ऐंड सर्जरी (बीएचएमएस) और बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी (बीएएमएस) हो सकते हैं। ये नियुक्तियां तीन महीने के लिए की जाएंगी। अहमदाबाद में भी सरकारी अस्पतालों ने भी कोविड-19 संकट के समय बीएचएमएस और बीएएमएस डॉक्टर भर्ती करने के लिए कदम बढ़ाए हैं। अहमदाबाद नगर निगम के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की।
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