भारतीय कपास की ज्यादा कीमतें होने की वजह से वैश्विक और घरेलू बाजार दोनों में ही उसकी दमदार मौजूदगी कम हो रही है। कपास की कीमतें स्थिर होने की वजह से कई कपड़ा कंपनियों खासतौर पर डेनिम निर्माताओं को अमेरिका से सस्ता कपास मंगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। मिसाल के तौर पर अहमदाबाद की टेक्सटाइल कंपनी आरवी डेनिम और अरविंद ने पहले से ही इस साल अमेरिका से बहुत ज्यादा मात्रा में कपास का आयात किया है। आरवी डेनिम के प्रबंध निदेशक आशीष शाह का कहना है, 'फिलहाल भारतीय कपास लगभग 22,500 रुपये प्रति कैंडी है। अमेरिकी कपास की लागत लगभग 22,000 रुपये प्रति गांठ है। दो दिनों पहले ही हमने 7,000 गांठ को 46 सेंट प्रति पाउंड के हिसाब से बुक किया है। अब तक आरवी डेनिम ने 30,000 गांठ अमेरिका से आयात किया है। कहा जा रहा है कि बडे ड़ेनिम निर्माता अरविंद ने अमेरिका से 100,000 गांठ का आयात करने वालद्म हैं। हालांकि बाजार के खिलाड़ियों का कहना है कि अरविंद ने जो कपास आयात किया है वह लगभग तीन साल पुराना है और वह ताजा स्टॉक नहीं है।' शाह का कहना है, 'भारतीय कीमतें बहुत ज्यादा विश्वसनीय नही है। कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में तेजी आने से कीमतें ज्यादा हो गई हैं। इसी वजह से आयात करने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा है। जहां तक आयात का सवाल है हमें बेहतर क्वॉलिटी का कपास 90 दिनों के कर्ज के आधार पर मिल जाता है।' पिछले कुछ हफ्तों में घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। अहमदाबाद में कपास कारोबार की एक बड़ी कंपनी, अरुण दलाल ऐंड कंपनी के मालिक अरुण दलाल का कहना है, 'पिछले 15 दिनों में कीमतें लगभग 18,00 रुपये प्रति कैंडी बढ़कर 22,500 पर बंद हो गई हैं।' मध्य गुजरात कपास डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष किशोर शाह का कहना है, 'अगर हम मौजूदा कीमतों के स्तर पर विचार करते हैं तो हम संकर-6 किस्म के कपास को 57 फीसदी से नीचे आयात नहीं कर सकते हैं। जबकि समान तरह की कपास के लिए वैश्विक बाजार से अमेरिका को 54 फीसदी मिलता है।'
