उद्योग जगत को रेड जोन में रियायत की आस | |
सुरजीत दास गुप्ता, टीई नरसिम्हन और ईशिता आयान दत्त / नई दिल्ली/चेन्नई/कोलकाता 04 14, 2020 | | | | |
बड़ी तादाद में विनिर्माण इकाइयों के रेड और ऑरेंज जोन (जहां कोविड-19 के उल्लेखनीय मामले हैं) में होने के कारण भारतीय उद्योग जगत ने नियमों में रियायत देने की उम्मीद जताई है ताकि उत्पादन सुचारु करने में मदद मिल सके। सरकार के साथ हुई चर्चा के आधार पर उद्योग जगत का मानना है कि प्रभावित जिलों के प्रखंडों को कम जोखिम वाले क्षेत्र के रूप में पहचान की जा सकती है जहां फैक्टरियों का परिचालन शुरू किया जा सके। ऑरेंज जोन में एस्मा के तहत फैक्टरियों को चलाने की अनुमति मिल सकती है। साथ ही आवश्यक सेवाओं की परिभाषा को भी व्यापक बनाने की जरूरत है। उदाहरण के लिए ट्रैक्टर के लिए टायर को उसमें शामिल करने से कृषि में मदद मिल सकती है।
वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि उनके अनुमान के अनुसार एक भी इकाई ग्रीन जोन (जहां कोविड के मामले नहीं हैं) में नहीं है। उन्होंने कहा कि कलपुर्जा उद्योग के लिए भी लगभग यही स्थिति है। इसलिए यदि इन क्षेत्रों में सख्ती बरती गई अथवा किसी आर्थिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी गई तो वे अपनी इकाइयों को नहीं खोल पाएंगे।
मारुति सुजूकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि सरकार प्रभावित जिलों को छोटे-छोटे उपक्षेत्रों में विभाजित करेगी और उन छोटे उपक्षेत्रों में उद्योग को अनुमति देगी जहां जोखिम काफी कम है। जिला एक बहुत बड़ा क्षेत्र है। यह प्रक्रिया कई चरणों में होनी चाहिए।'
वाहन विनिर्माताओं का कहना है कि उन क्षेत्रों की सूची में विस्तार करना चाहिए जिनके कारखाने इन सभी क्षेत्रों में एस्मा के तहत पहले से ही उत्पादन कर रहे हैं। अब उसमें विस्तार करते हुए वाहन, कपड़ा एवं इलेक्ट्रॉनिक्स को शामिल किया जा सकता है क्योंकि सरकार ने इन तीन उद्योगों की पहचान की है।
सायम के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'ऐसा नहीं है कि केवल मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) की फैक्टरियों को ही इन क्षेत्रोंं में परिचालन की अनुमति दी जाएगी, बल्कि कलपुर्जा आपूर्तिकर्ताओं को भी काम शुरू करने की आवश्यकता होगी। साथ ही कुछ डीलरों को भी आउटलेट खोलने की अनुमति चाहिए ताकि हमारे उत्पादों की बिक्री हो सके। इसलिए यह एक जटिल प्रक्रिया है।'
रेड जोन में उन जिलों को शामिल किया गया है जहां बड़ी तादाद में कोविड-19 के मामले सामने आए हैं। उनमें से कुछ हो हॉटस्पॉट घोषित किया गया है और वहां किसी भी गतिवधि की अनुमति नहीं दी सकती है। ऑरेंज जोन में उन क्षेत्रों को शामिल किया गया है जहां कोविड के कुछ मामले सामने आए हैं और अब उसमें कमी आ रही है। वर्तमान में 10 अप्रैल तक देश के कुल 727 जिलों में से लगभग 48 फीसदी जिलों में कोविड के मामले सामने आ चुके हैं जबकि शेष कोविड से मुक्त हैं।
उद्योग जगत के सीईओ का कहना है कि सरकार के साथ उनकी बातचीत में विभिन्न मॉडलों पर चर्चा हुई है। एक प्रमुख टायर कंपनी के सीईओ ने कहा, 'जिन मुद्दों पर गौर किया जा रहा है उनमें से एक एक यह भी है कि किस कारखाने को कितनी क्षमता की अनुमति दी जानी चाहिए और वह किस क्षेत्र में है। उदाहरण के लिए, ग्रीन जोन में 50 फीसदी क्षमता की अनुमति मिल सकती है जबकि ऑरेंज जोन में 25 फीसदी क्षमता की लेकिन रेड जोन में बिल्कुल भी अनुमति नहीं दी जाएगी।'
टायर कंपनियां भी उम्मीद कर रही हैं कि कृषि कार्यों के लिए टायरों के उत्पादन की अनुमति मिलनी चाहिए और उसे आश्वक सेवाओं की सूची में शामिल किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि इस्पात, रिफाइनरी आदि की तरह टायर को भी सतत परिचालन वाली सूची में रखने की आवश्यकता है।
उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में 34 में से 17 क्षेत्र रेड जोन में हैं। इनमें चेन्नई, कोयम्बटूर (इंजीनियरिंग हब), तिरुपुर (निट वियर हब), इरोड (कपड़ा) और त्रिची (इंजीनियरिंग) आदि शामिल हैं। श्रीपेरुंबदुर और ओरैगडम के ऑटो हब येलो जोन मेंं हैं जहां हुंडई, निसान, रेनो, फोर्ड, रॉयल एनफील्ड और यामाहा जैसी प्रमुख कंपनियों के संयंत्र हैं। राज्य सरकार के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा कि अभी यह तय करना बाकी है कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देश आने के बाद इन क्षेत्रों में उत्पादन गतिविधियों को किस प्रकार शुरू किया जाए।
उद्योग जगत ने लॉकडाउन बढ़ाने का समर्थन किया, राहत पैकेज पर जोर
भारतीय उद्योग जगत ने मंगलवार को कहा कि मनुष्य जीवन पर बढ़ते संकट को रोकने के लिये देशव्यापी लॉकडाउन बढ़ाना जरूरी था। लेकिन इसके साथ ही उद्योगों ने कोरोनावायरस महामारी के चलते अर्थव्यवस्था के सामने पैदा हुए मुश्किल हालात से उबरने के लिए प्रोत्साहन पैकेज की जरूरत पर भी जोर दिया है। इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को 3 मई 2020 तक बढ़ाने की घोषणा की और कहा कि कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप को रोकना जरूरी है। फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डïी ने कहा, 'अनुमान है कि भारत को देशव्यापी लॉकडाउन के चलते प्रतिदिन करीब 40,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है और पिछले 21 दिनों के दौरान 7 से 8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।' उन्होंने कहा कि अप्रैल से सितंबर 2020 के दौरान करीब 4 करोड़ नौकरियों पर संकट रहेगा। इसलिए तत्काल राहत पैकेज भी महत्त्वपूर्ण है।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि लॉकडाउन जारी रखने का प्रधानमंत्री का फैसला एक बड़े मानवीय संकट को रोकने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री ने 20 अप्रैल के बाद लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए एक दिशानिर्देश भी दिया है, जिससे उद्योगों की बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी।'
नैसकॉम ने कहा, 'हम संक्रमण रहित क्षेत्रों में प्रतिबंधों से छूट देने के प्रस्ताव से खुश हैं और आशा करते हैं कि सरकार जल्द ही आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की भी घोषणा करेगी ताकि हम अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर सकें। जीवन और आजीविका, दोनों को सहेजने का काम साथ-साथ चलना चाहिए।' भाषा
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