धराशायी शेयरों पर दांव लगाने का माकूल समय | |
संजय कुमार सिंह / 04 14, 2020 | | | | |
हाल में दो म्युचुअल फंड कंपनियों एसबीआई म्युचुअल फंड और डीएसपी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स ने अपने मिड-कैप फंडों में एकमुश्त निवेश के दरवाजे खोल दिए हैं। कुछ दिनों पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ साक्षात्कार में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के मुख्य कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य निवेश अधिकारी एस नरेन ने कहा कि इस समय शेयरों में रकम लगाने के लिहाज से एकदम माकूल हालात हैं। उन्होंने कहा, 'इस समय शेयरों के भाव एकदम नीचे आ गए हैं और निवेशकों में बदहवासी पसर गई है। हमेशा यही देखा गया है कि ऐसे हालात लंबी अवधि के निवेशकों को खूब आकर्षित करते हैं।'
पिछले एक महीने के दौरान बड़े श्रेणी सूचकांकों में 26 से 31 फीसदी तक गिरावट आई है। ऐसे में इक्विटी निवेशकों के लिए अनिश्चितताएं खासी बढ़ गई हैं। मगर भारतीय बाजार में इस वक्त मूल्यांकन कम हो गया है और अच्छे शेयर सस्ते में मिल रहे हैं। आम तौर पर निवेशक गिरते बाजार से दूर रहते हैं, लेकिन अगर आप धारा के विपरीत चलने की हिम्मत रखते हैं तो यह आपके लिए निवेश का सबसे बढिय़ा वक्त है।
अगर लंबी अवधि में मुनाफा कमाना है तो बाजार गिरने पर शेयरों में निवेश बढ़ाना और बाजार चढऩे पर निवेश घटाना कारगर होता है। एक जैसा निवेश बनाए रखने के मुकाबले यह कमोबेश हमेशा ही बेहतर रहता है। लेकिन जो निवेशक खुद ऐसा नहीं कर पाते हैं, वे डायनमिक एसेट अलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का सहारा ले सकते हैं और उनमें निवेश कर सकते हैं। नरेन कहते हैं, 'इस समय ज्यादातर निवेशक शेयर बाजार में गिरावट देखकर निवेश करने से परहेज कर रहे हैं। ऐसे में बैलेंस्ड एडवांटेज फंड विपरीत मगर फायदेमंद नीति अपनाकर लंबी अवधि में निवेशकों को लाभ दे सकते हैं।' इस तरह के फंड उस समय शेयर में निवेश बढ़ाते हैं, जब उनका मूल्यांकन कम होता है और उस समय घटा देते हैं, जब मूल्यांकन अधिक हो जाता है। नरेन समझाते हैं, 'इस तरह का नजरिया सुनिश्चित करता है कि कम भाव पर शेयर खरीदा जाए और ऊंचे भाव पर उसे बेच दिया जाए।' मगर इस श्रेणी में निवेश करने वालों को सुनिश्चित करना चाहिए कि जो फंड उन्होंने चुना है वह वास्तव में डायनमिक तरीक से संभाला जा रहा है यानी मूल्यांकन के हिसाब से ही इक्विटी आवंटन भी बदल रहा है।
जो निवेशक धारा के विपरीत चलते हैं, उनके लिए यह सबसे उम्दा मौका है। सुंदरम म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (इक्विटी) एस कृष्ण कुमार कहते हैं, 'अगर आप मौजूदा गिरावट से डरे बगैर निवेश की हिम्मत रखते हैं तो उन शेयरों पर ध्यान लगाइए, जो काफी गिर चुके हैं और अब उनमें और गिरावट की गुंजाइश नहीं है।' कुमार अपने पोर्टफोलियो में उपभोक्ताओं की पसंद पर बिकने या न बिकने वाले सामान बनाने वाली कंपनियों तथा वित्तीय क्षेत्र के शेयर दीर्घ काल के लिए जोडऩा चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ये शेयर उनकी कसौटी पर खरे उतर रहे हैं।
क्वांटम म्युचुअल फंड में एसोसिएट फंड मैनेजर (इक्विटी) नीलेश डी शेट्टïी कहते हैं, 'बाजार में गिरावट की वजह से सार्वजनिक क्षेत्र के अच्छे बैंकों के शेयर भी अब खरीदारों की पहुंच में आ गए हैं।' उनकी सलाह है कि जिन निजी बैंकों के पास ठीकठाक पूंजी पर्याप्तता हो और जो संकट के इस दौर को झेल सकते हैं तथा जिनके पास जोखिम संभालने की क्षमता भी अधिक है, उन बैंकों के शेयरों पर दांव खेलना अच्छा हो सकता है। शेट्टïी को दोपहिया श्रेणी के शेयर भी अच्छे लग रहे हैं क्योंकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आने पर दोपहिया वाहनों की बिक्री में तेजी आने लगेगी। अर्थव्यवस्था बिगडऩे पर भी ये कंपनियां टिकी रहेंगी क्योंकि उनके पास प्रतिकूल हालात से निपटने के लिए पर्याप्त नकदी है।
पिछले एक महीने में वैल्यू फंड श्रेणी को भी खासा नुकसान हुआ है। वैल्यू फंड प्रबंधक दीर्घ अवधि के औसत मूल्यांकन से नीचे कारोबार करने वाली कंपनियों में निवेश की सलाह देते हैं। आगे चलकर आर्थिक हालात बेहतर होने से मुनाफा भी बढ़ सकता है। ऐसे फंडों को आय वृद्घि और पीई रेटिंग में संशोधन का लाभ मिलता है। इन्वेस्को म्युचुअल फंड के प्रबंधक अमित गणात्रा कहते हैं 'कुछ साल से हालात काफी खराब रहे हैं। इस साल मुश्किलों से उबरने की उम्मीद थी मगर कोविड-19 महामारी ने रंग में भंग कर दिया। आर्थिक गतिविधियों और आय में सुधार की उम्मीदों पर पानी फिर गया।' गणात्रा मानते हैं कि आर्थिक स्थिति सुधरने और आय सुधार से मूल्यांकन आधारित फंडों को सबसे ज्यादा लाभ होगा। निवेशक अगले पांच साल के लिए वैल्यू फंडों में 10-15 फीसदी निवेश कर सकते हैं।
स्मॉल-कैप फंडों में लगातार अच्छा कारोबार करने वाले शेयरों की कमी होती है। क्षमता से जुड़ी बाधाओं को देखते हुए कई स्मॉल-कैप फंड प्रबंधक अपने फंडों में एकमुश्त निवेश की सलाह नहीं दे रहे हैं। हालांकि एसबीआई और डीएसपी म्युचुअल फंडों ने अपने स्मॉल-कैप फंडों को हाल में एकमुश्त निवेश के लिए खोल दिया है। एसबीआई म्युचुअल फंड में इक्विटी प्रमुख आर श्रीनिवासन कहते हैं, 'इस समय टिकाऊ कारोबारी मॉडल वाले कई कारोबार आकर्षक मूल्यांकन के साथ कारोबार कर रहे हैं। लेकिन एकमुश्त निवेश के लिए खोले जाने को स्मॉल फंडों में निश्चित सुधार के संकेत के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। हां, जिन निवेशकों के पोर्टफोलियो में छोटे शेयर नहीं हैं, उन्हें इनमें निवेश शुरू कर देना चाहिए। इन फंडों में आप 5 से 20 फीसदी तक आवंटन कर सकते हैं।
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