मई में भी लॉकडाउन तो 7,000 से 7,500 के स्तर तक टूटेगा निफ्टी | |
विशाल छाबडिय़ा / 04 13, 2020 | | | | |
बीएस बातचीत
कोविड-19 के प्रसार के कारण दुनिया भर के बाजार धराशायी हुए हैं। ऐक्सिस सिक्योरिटीज के मुख्य निवेश अधिकारी नवीन कुलकर्णी ने कहा है कि बाजार में और गिरावट का जोखिम है। विशाल छाबडिय़ा को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021 में आय की रफ्तार 5 फीसदी से लेकर 15 फीसदी नकारात्मक रह सकती है, जो लॉकडाउन की अवधि पर निर्भर करेगा। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश...
कोविड-19 के प्रसार पर आपकी क्या राय है और भारत पर इसका असर कितना लंबा और गहरा होगा?
यह स्पष्ट नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और इक्विटी बाजारों पर इसका खासा असर होगा। बड़ा सवाल यह है कि असर कितना होगा, जो इसकी अवधि और लॉकडाउन पर निर्भर करता है। अगल लॉकडाउन 15 अप्रैल तक खत्म होता है (जिसकी संभावना नहीं है) तो असर काफी कम होगा और उसका प्रबंधन किया जा सकेगा और भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार वित्त वर्ष 2021 में 4 फीसदी होगी। हालांकि हर दिन बीतने के साथ ही जीडीपी पर असर बढ़ता जाएगा। लेकिन जीडीपी की रफ्तार पर असर के मुकाबले कंपनियों की बैलेंस शीट और लोगों पर पड़ रहा असर लंबी अवधि की चुनौतियां पेश करेंगी। लॉकडाउन बढ़कर मई तक जाता है तो मंदी का जोखिम काफी ज्यादा बढ़ जाएगा।
बाजार में और कितनी गिरावट आ सकती है?
वैश्विक व देसी घटनाक्रम इसे प्रभावित करेगा। अगर अमेरिकी बाजार सुधार के संकेत देता है तो यह देसी बाजार को भी कुछ सहारा देगा। हालांकि भारत का मामला पूरी तरह लॉकडाउन की अवधि पर निर्भर करता है। लॉकडाउन की लंबी अवधि और अनिश्चितता से बाजारों में उतारचढ़ाव होगा और उसके टूटने की संभावना ज्यादा है। सबसे खराब परिस्थितियों में लॉकडाउन मई तक जा सकता है और तब निफ्टी की आय वित्त वर्ष 2021 में करीब 470-500 रुपये होगी। साथ ही बाजार करीब 7,000-7,500 के दायरे में आ सकता है।
वैश्विक केंद्रीय बैंक राहत दे रहे हैं। सामान्य तौर पर जब वैश्विक स्तर पर रकम सस्ती हो जाती है तो जोखिम वाली परिसंपत्तियों का आकर्षण बढ़ जाता है। कोरोनावायरस के कारण क्या यह इस बार अलग होगा?
इस पर ध्यान दीजिये : अगर लोग घर में बैठे हैं, वे काम पर नहीं जा सकते तो ब्याज दर में कटौती से कैसे लाभ हासिल होगा। दूसरी ओर, क्या यह लंबी अवधि की मांग पर असर डाल सकता है तो इसका जवाब हां में है। ऐसे में इसकी वजह से परिसंपत्ति की कीमत बनी रहेगी, केंद्रीय बैंक न सिर्फ कीमतों का प्रबंधन कर रहे हैं बल्कि वे कीमतों को लेकर उम्मीद का भी प्रबंधन करते हैं। अगर लंबी अïवधि की कीमत का अनुमान यह है कि इसमें बढ़ोतरी होने जा रही है तो संभव है कि लोग कुछ समय में उसे खरीदना शुरू कर देंगे। इस तरह से लंबी अवधि में जोखिम वाली परिसंपत्तियों खास तौर से इक्विटी में और आवंटन देखने को मिलेगा।
वित्त वर्ष 2021 में निफ्टी-50 की आय कैसी रहने की उम्मीद है?
यह कपट वाला परिदृश्य है। लॉकडाउन अवधि जितनी लंबी होगी, आय उतनी ही ज्यादा सिकुड़ेगी। वित्त वर्ष 2021 की आय की रफतार 5 फीसदी से लेकर 15 फीसदी नकारात्मक तक रह सकती है, जो लॉकडाउन की अवधि 21 दिन से 45 दिन पर निर्भर करेगी।
ऐसे में आप कौन सा शेयर खरीदेंगे?
बैंकिंग शेयरों में आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और कोटक बैंक टूटे हैं और आकर्षक नजर आ रहे हैं। जिस तरह से दूरसंचार में टैरिफ बढ़ा है और आगामी एक साल में और बढऩे की संभावना है वह दूरसंचार कंपनियों के शेयरों को आकर्षक बनाते हैं। यह अगले दो-तीन साल में काफी वैल्यू दे सकता है। भारती एयरटेल और जियो (आरआईएल के जरिये) अच्चे नजर आ रहे हैं। खुदरा कंपनियों में टाइटन में लंबी अवधि में बढ़त की बेहतर क्षमता है। बदलते माहौल में डाबर और मैरिको जैसे शेयर बेहतर स्थिति में हैं।
मिडकैप और स्मॉलकैप में कौन से क्षेत्र में नजर डाली जा सकती है?
इस माहौल में मिडकैप और स्मॉलकैप में अलग तरह की चुनौतियां दिखेंगी। हालांकि मिडकैप में केमिकल, अल्कोहल बेवरिजेज व अन्य में लंबी अवधि के लिहाज से निवेश वाली कंपनियां हैं। स्मॉलकैप से अभी दूर रहना चाहिए।
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