सुपरस्टॉक है हिंदुस्तान यूनिलीवर? | |
विशाल छाबडिय़ा और श्रीपाद एस ऑटे / मुंबई 04 12, 2020 | | | | |
ऐसी दुनिया में जहां बढ़त हासिल करना दुर्लभ हो गया हो, अग्रणी विश्लेषक वैश्विक मंदी की भविष्यवाणी कर रहे हों और भारत की जीडीपी की रफ्तार में कटौती कर उसे कई साल के निचले स्तर पर ले जा रहे हों तो स्थिर आय की पेशकश करने वाली कंपनी की ओर निवेशक खिंचे चले आएंगे और उसका मूल्यांकन प्रीमियम से लैस होगा। ऐसी चुनिंदा कंपनियों में से एक है हिंदुस्तान यूनिलीवर, जो देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी है और पिछले एक महीने में कंपनी का शेयर 12 फीसदी चढ़ा है जबकि निफ्टी में 13 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। एचयूएल अभी दिसंबर 2019 में समाप्त पिछले 12 महीने की आय के करीब 75 गुने पर कारोबार कर रही है, जो पांच साल के औसत के मुकाबले 55 फीसदी प्रीमियम दर्शाता है और निफ्टी-50 के पीई मूल्यांकन से पांच गुना ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन स्तरों पर इतनी भारी भरकम प्रीमियम चुकाए जाने में खतरा है। अपनी मूल कंपनी यूनिलीवर से तुलना करने पर भी एचयूएल काफी ऊंचा मूल्यांकन दर्शाती है।
प्रभुदास लीलाधर के सीईओ (पीएमएस) अजय बोडके ने कहा, एचयूएल का मूल्यांकन निवेशकों का अतार्किक कसरत दर्शाता है। यह एचयूएल की फ्रैंचाइजी के उचित मूल्यांकन को लेकर एक तरह का भ्रम बताता है, जो यूनिलीवर के मुनाफे में 13.8 फीसदी का योगदान करता है, लेकिन उसके बाजार मूल्यांकन में हिस्सेदारी 54 फीसदी है।
नेस्ले इंडिया का शुद्ध लाभ नेस्ले एसए का महज 2.2 फीसदी और मूल कंपनी के बाजार मूल्यांकन का 6.8 फीसदी। शुद्ध रूप से भारतीय संदर्भ में नेस्ले इंडिया का शेयर महंगा है, लेकिन वैश्विक संदर्भ में नेस्ले इंडिया के मुकाबले एचयूएल अपनी मूल कंपनी के मुकाबले ज्यादा प्रीमियम पर कारोबार कर रही है। एचयूएल का बाजार मूल्यांकन 5.14 लाख करोड़ रुपये है, जो भारत की 10 सूचीबद्ध ऑटोमोबाइल कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण 4.20 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। निश्चित तौर पर टाटा मोटर्स, एमऐंडएम और टीवीएस मोटर जैसी कंपनियों के ऊपर भारी-भरकम कर्ज (संयुक्त रूप से शुद्ध कर्ज 1.34 लाख करोड़ रुपये) है, लेकिन बाकी अन्य कंपनियां कर्ज मुक्त हैं या फिर उनके पास सरप्लस नकदी है।
ऐसे करीब 15 उदाहरण हैं जहां किसी एक क्षेत्र की सभी सूचीबद्ध कंपनियों का कुल मूल्यांकन एचयूएल से कम है और ऑटोमोबाइल क्षेत्र की तरह उन्होंने ज्यादा मुनाफा अर्जित किया। यह हालांकि सख्ती के साथ तुलनायोग्य नहीं हो सकता क्योंंकि कारोबारी मॉडल, कर्ज का स्तर, पूंजी की दक्षता और बढ़त के अनुमान अलग-अलग होते हैं। लेकिन ऐसी तुलना एचयूएल के बाजार मूल्यांकन का परिप्रेक्ष्य बताता है।
अन्य विशेषज्ञों ने भी बोडके की राय का समर्थन किया। सेंट्रम ब्रोकिंग के विश्लेषक शिरीष परदेशी ने कहा, हालांकि एचयूएल की आय पर स्पष्टता और बढ़त की क्षमता बेहतर है और सुरक्षित ठिकाने की ओर निवेशकों के जाने के कारण इस तरह का सुपर मूल्यांकन देखने को मिला है। फिलिप कैपिटल के उपाध्यक्ष विशाल गुटका ने कहा, कोविड-19 की महामारी और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की उम्मीद के बीच अन्य क्षेत्रों के कमजोर परिदृश्य से एचयूएल में तेजी देखने को मिली है।
मजबूत फंडामेंटल के अलावा अच्छा कारोबारी मॉडल और कर्ज मुक्त बैलेंस शीट, एचयूएल का विस्तृत वितरण नेटवर्क, मजबूत ब्रांड इक्विटी और विशाल प्रॉडक्ट मिक्स, आवश्यक वस्तुओं में खासी हिस्सेदारी काफी सहजता प्रदान करता है। यूबीएस सिक्योरिटीज के मुताबिक, वितरण के विश्लेषण के आधार पर एचयूएल वैसी चुनिंदा कंज्यूमर कंपनियों में शामिल है जो अपनी रणनीति के कारण अंतिम छोर पर तब भी पहुंच में सुधार लाने के लिहाज से बेहतर स्थिति में है जब अन्य कंपनियां वितरण में अवरोध का सामना कर रही हैं।
एचयूएल को मौजूदा हालात में कमजोर कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी मिल सकती है। बोडके ने हालांकि कहा कि एचयूएल की अंतर्निहित आय ज्यादा है तो यह भी समझने योग्य है। इसका श्रेय उसकी मजबूत बैलेंस शीट और नकदी सृजन की बेहतर क्षमता को दिया जाना चाहिए। उसकी आय में बढ़त की स्थायी रफ्तार 14-15 फीसदी अनुमानित है (ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन कंज्यूमर के अधिग्रहण समेत)। गैर-आवश्यक पोर्टफोलियो (यूबीएस के मुताबिक 9 फीसदी राजस्व) मौजूदा परिस्थितियों में किस करबट बैठता है, उस पर भी नजर रखनी होगी। इसके अलावा ग्रामीण व शहरी मांग पर भी संशय है क्योंकि नौकरियों के नुकसान और वेतन में कटौती के कारण आय में संभावित कमी हो सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति रिपोर्ट में भी कोविड-19 के कारण भारत पर गंभीर आर्थिक जोखिम की बात कही गई है। ऐसे में एचयूएल की आय पर भी जोखिम है। इसके अतिरिक्त विगत में भी ऐसे मामले देखे गए हैं जब बाजार ने उसे दंडित किया है। फरवरी 2000 और साल 2001 के आखिर के बीच जब तकनीक, मीडिया और दूरसंचार का बुलबुला फूटा था तब विप्रो का शेयर 6,700 रुपये से 1,500 रुपये पर आ गया था, इन्फोसिस का 10,960 रुपये से 3,300 रुपये पर और ज़ी का शेयर 1,350 रुपये से 50 रुपये के स्तर पर। साल 2008 में रियल एस्टेट का शेयर भी इसी तरह धराशायी हुआ था। वोडके ने चेतावनी देते हुए कहा है, निवेशकों को मूल्यांकन वास्तविक स्तरों पर लाने की दरकार है। एचयूएल के शेयर भाव को लेकर बड़ा जोखिम है। हालांकि ब्लूमबर्ग की रायशुमारी में शामिल 42 विश्लेषकों में से 30 ने एचयूएल की खरीद की सलाह दी है, लेििकन उनका एक साल का औसत लक्षित कीमत 2,281 रुपये 4 फीसदी की गिरावट का संकेत देता है। गुटका ने कहा, ऐसे महंगे भाव पर जीएसके पीएलसी (जिसे जीएसके की बिक्री के चलते एचयूएल का शेयर मिलना है) को एफएमसीजी दिग्गज की 5.7 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का लुभावना मौका दिख सकता है। यह एचयूएल के शेयरों पर दबाव डाल सकता है। परदेसी ने कहा, जब अन्य क्षेत्रों की बढ़त का परिदृश्य सामान्य हो जाएगा तब मूल्यांकन में गिरावट हो सकती है। तथापि एचयूएल भी कोविड-19 महामारी से प्रभावित होगी।
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