लॉकडाउन की आफत में दुरुस्त रखें घर का बजट | |
बिंदिशा सारंग / 04 10, 2020 | | | | |
चीन से निकले कोरोनावायरस के बारे में सोचना बहुत हो गया। अब वक्त है उन सवालों के व्यावहाारिक जवाब का, जो इसके कारण हमारे दैनिक जीवन में आए हैं। मुंबई के प्रमाणित वित्तीय योजनाकार पंकज मठपाल ने कहा, 'हम सभी को अलग-थलग रहना होगा और महीनों घर से काम करना होगा। शायद देर-सबरे कम वेतन पर काम करना होगा या बिना वेतन के हालात से भी जूझना होगा। इस तरह हरेक व्यक्ति को नए माहौल से पार पाने के लिए अपनी वित्तीय रणनीतियों में बदलाव लाने की जरूरत है।'
उन्होंने कहा, 'इसका मतलब है कि अपने नकदी प्रवाह (पैसे की आमदनी एवं खर्च) का ठीक से ध्यान रखा जाना चाहिए और उनमें हालात के मुताबिक बदलाव किया जाना चाहिए।' संक्षेप में कहें तो अगर आपने पहले से ही घरेलू मासिक बजट बनाया हुआ है तो आपको इसमें सुधार करना होगा। अगर घरेलू बजट नहीं बनाया हुआ है तो अब ऐसा करने का वक्त आ गया है।
वित्तीय स्थिति का आकलन
सबसे पहले अपनी वित्तीय स्थिति का जायजा लें। अपनी आमदनी, खर्च, परिसंपत्तियों, बीमा कवर आदि को जानें। एनए शाह एसोसिएट्स में संस्थापक साझेदार चार्टर्ड अकाउंटेंट अशोक शाह ने कहा, 'अपने बजट का फिर से आकलन करते वक्त आपको सबसे बुरे, सामान्य और अच्छे हालात के बारे में सोचना चाहिए और देखना चाहिए कि उन हालात में आप क्या करेंगे।'
सबसे बुरे हालात यह हो सकते हैं कि आपकी नौकरी चली जाए या वेतन में 20 से 30 फीसदी की बड़ी कटौती हो जाए। सामान्य हालात वे हैं, जिनमें आम तौर पर स्थितियां वित्तीय रूप से बहुत ज्यादा नहीं बदलती हैं या केवल मामूली बदलती हैं। बेहतर हालात वे हो सकते हैं, जिनमें आपकी आमदनी पर कोई असर न पड़े और लॉकडाउन एवं घर से काम करने की वजह से आपकी जेब में ज्यादा पैसा आए। शाह कहते हैं, 'हर हालात के हिसाब से अपने नकदी प्रवाह का अनुमान लगाएं। यह पता करें कि प्रत्येक स्थिति में आप कितने महीने टिके रह सकते हैं। अगर आप अगले महीने बीमार पड़ जाते हैं तो आप इस खर्च को तीन साल बाद के लिए नहीं टाल सकते। आपको इसके लिए पैसा खर्च करना होगा। अगर आपके लिए हालात बदलते हैं तो परिसंपत्तियों की बिक्री की रणनीति बनाने से आप उन्हें औने-पौने दाम पर बेचने से बच जाएंगे।' यह वह समय है, जब आप अपने दिमाग में रणनीति के खाके बना लें, खर्च का फिर से आकलन और आवंटन करें, परिसंपत्तियों की बिक्री से प्राप्त आमदनी का आकलन करें और आपात योजना बनाएं।
खर्च
आपकी स्थिति कितनी ही अच्छी क्यों नहीं हो, आपको अपने खर्चों में और कटौती करनी ही चाहिए। लॉकडाउन के कारण कुछ खर्च तो अपने आप ही बंद हो गए हैं जैसे फिल्म देखने बाहर जाना, रेस्तरां में खाना या कपड़े खरीदना। मठपाल ने कहा, 'घर पर होने के बावजूद हम कुछ गैर जरूरी खर्चों को कम करने की कोशिश कर सकते हैं। जिन लोगों के पास एमेजॉन प्राइम की सेवा पहले से ही है मगर वे नेटफ्लिक्स का कनेक्शन भी ले रहे हैं या यूट्यूब से फिल्में खरीद रहे हैं, वे असल में घर बैठे ही अपने खर्चों में इजाफा करते जा रहे हैं।'
याद रखें कि खर्च दो तरह के होते हैं- तय और परिवर्तनशील। परिवर्तनशील श्रेणी को भी दो हिस्सों में बांटा जा सकता है-आवश्यक और स्वैच्छिक। आवश्यक परिवर्तनशील खर्च वे होते हैं, जिनके बिना आप जीवन नहीं जी सकते। उदाहरण के लिए किराना, बिजली बिल, मोबाइल बिल और अन्य जरूरतें। लेकिन स्वैच्छिक खर्च मसलन ऑनलाइन मनोरंजन आदि में आप कमी कर सकते हैं क्योंकि इन दिनों मनोरंजन के लिए बहुत से मुफ्त संसाधन उपलब्ध हैं।
नकदी
इसके बाद देखिए कि आपके हाथ में कितना पैसा है। मठपाल ने कहा, 'इस समय नकदी रखना सबसे जरूरी है। अगर आपके पास छह महीने घर चलाने का पैसा जमा है तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता। जिनके पास ऐसा कोष नहीं है, उन्हें दफ्तर आने-जाने में रोज होने वाला खर्च एक जगह इक_ा कर लेना चाहिए। यह रकम बहुत ज्यादा नहीं होगी मगर शुरुआत तो होगी और इस समय यही सबसे अच्छी शुरुआत होगी।'
कुबेर डॉट इन के मुख्य कार्याधिकारी गौरव रस्तोगी ने कहा, 'अगर आपके पास आपात कोष नहीं है तो आप आगे जो राशि बचा सकते हैं, उसे लिक्विड फंडों में लगाएं। कुल मिलाकर आपात कोष में इतनी राशि रखी जानी चाहिए, जो यह मुश्किल दौर खत्म होने तक पर्याप्त हो। विशेषज्ञ कम से कम छह महीने के खर्च लायक राशि आपात कोष में रखने की सलाह देते हैं।'
कर्ज
बैंक बहुत से ऋणों पर तीन महीने ईएमआई टाल रहे हैं। अगर आप किस्त चुकाने में सक्षम हैं तो इस मोहलत से बचें। लेकिन अगर आपके पास पैसे नहीं हैं तो इसका मतलब है कि आपके पास कोई विकल्प नहीं है और आपको इसका इस्तेमाल करना होगा। पैसा बचाने का एक अन्य तरीका ब्याज की लागत को कम करना है। माना कि आपने पिछले साल नवंबर में ऊंची दर पर पर्सनल लोन लिया था और अब पर्सनल लोन की दरें घट गई हैं। ऐसे में आप इस कर्ज को उस ऋणदाता के पास ट्रांसफर करा सकते हैं, जो सस्ता कर्ज दे रहा है। निस्संदेह आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसमें बचत काफी अधिक है और नए कर्ज की प्रोसेसिंग फीस बहुत अधिक नहीं है।
निवेश
अगर आपके वेतन में कटौती होती है तो आप आगे शायद पहले जितनी राशि का निवेश नहीं कर पाएं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आपको निवेश बंद करने की जरूरत है, विशेष रूप से उस स्थिति में जब आपके पास आपात कोष है। रस्तोगी कहते हैं, 'मौजूदा लॉकडाउन जैसे समय में बहुत से लोगों का खर्च पहले के महीनों की तुलना में 30 से 40 फीसदी कम हो चुका है। हमें नहीं लगता कि अगले छह महीनों में ज्यादातर लोगों के वेतन में 10 से 15 फीसदी से अधिक कमी आएगी। दुनिया भर के अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि अगले छह महीनों के दौरान भारत समेत पूरे विश्व में निजी कंपनियों की बचत में भारी बढ़ोतरी होगी।'
इसका मतलब है कि आपका खर्च आपकी आमदनी से ज्यादा घट सकता है। रस्तोगी ने कहा, 'जब बजट बनाने की बात आती है तो आपको अगले छह महीने में अपनी आमदनी में संभावित कमी का आकलन करने की जरूरत है। अगर आपके वेतन में कटौती नहीं होती है और आपके खर्चों में कमी आती है तो आपकी बचत बढ़ेगी, जिसे आपको निवेश करना चाहिए। अगर आप इक्विटी में निवेश का जोखिम नहीं उठा सकते तो आपको कम जोखिम वाले निवेश करने चाहिए।' मठपाल ने जोखिम कम करने के बारे में कहा, 'अगर आपका नियोक्ता चिकित्सा बीमा मुहैया कराता भी है तो आपको जल्द से जल्द अपने और अपने परिवार के लिए व्यक्तिगत बीमा खरीदना चाहिए। मौजूदा अर्थव्यवस्था में बहुत से लोगों की नौकरी जाने की आशंका है।'
सच्चाई यह है कि आपको अपना नया बजट बनाने पर काम करना होगा, ये केवल कुछ दिशानिर्देश हैं। हर एक रुपये का सोच-समझकर इस्तेमाल करें। हरसंभव बचत करें। इसका नेटफ्लिक्स के बजाय स्वास्थ्य बीमा लेने में इस्तेमाल करें। यह मुश्किल दौर बीत जाएगा। शाह कहते हैं, 'इस समय मितव्ययी बनकर जिएं ताकि बाद में लंबे समय तक आराम से जी सकें।'
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