लॉकडाउन में काम के साथ बढ़ गया टीवी की ओर रुझान | मीडिया मंत्र | | वनिता कोहली-खांडेकर / April 10, 2020 | | | | |
लॉकडाउन के बीच में लोग किस तरह स्वादिष्ट पकवान बनाने में जुटे हुए हैं? कोरोनावायरस के प्रसार की वजह से देश भर में लागू हुए लॉकडाउन के तीसरे हफ्ते में प्रवेश करने के साथ ही यह सवाल मुझे परेशान कर रहा है। दर्जनों मित्र एवं सहयोगी अपने ट्विटर, फेसबुक एवं व्हाट्सऐप खातों पर लजीज खानपान से संबंधित तस्वीरें एवं वीडियो पोस्ट कर रहे हैं और उनका यह बरताव मुझे उलझन में डाल रहा है। क्या उन्हें अपने घर की साफ-सफाई, बच्चों एवं बुजुर्गों की देखभाल और घर से ही काम नहीं करना होता है? और वे लोग थोड़ी-बहुत सब्जियों, दाल और चावल के अलावा बाकी सामान कहां से जुटा ले रहे हैं? सामान्य परिस्थितियों में मुझे खाना बनाना अच्छा लगता है। लेकिन हर दिन घर की साफ-सफाई, झाड़ू-पोछा और खाना पकाने के अंतहीन सिलसिले ने इस खुशी को छीन लिया है। खास तौर पर लॉकडाउन के शुरुआती 10 दिनों में तो इससे थोड़ी भी राहत नहीं मिल पाई क्योंकि दिल्ली के मेरे इलाके में तो बाहर से कुछ मंगाने का विकल्प ही नहीं था।
पिछले हफ्ते डोमिनोज ने होम डिलिवरी करनी फिर से शुरू की लेकिन वह भी गिने-चुने सामान की। अब तो करीब आधा दर्जन जगहों से संपर्क-रहित डिलिवरी होने लगी है। इसका मतलब है कि भुगतान केवल ऑनलाइन ही किए जा सकते हैं और डिलिवरी देने वाला व्यक्ति मास्क एवं ग्लव्स पहने हुए आएगा और आपकी कॉलोनी के मुख्य दरवाजे पर ही पैकेट देकर चला जाएगा। हमें भी खाने का वह पैकेट लेने के लिए मास्क पहने हुए अपने घर से बाहर निकलना होता है। इस सुविधा ने कुछ समय की बचत कर दी है लेकिन वह भी लगातार अपने पसंदीदा कार्यक्रम देखने के लिए काफी नहीं है।
इसी से मेरा दूसरा सवाल खड़ा होता है। अगर हम अपने घरों में रहते हुए दफ्तर का काम कर रहे हैं तो फिर टेलीविजन देखने वाले और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर एक साथ कई एपिसोड देखने (बिंज वॉचिंग) वाले दर्शकों की संख्या अचानक इतनी कैसे बढ़ गई है? देश भर में टीवी के कुल दर्शकों की संख्या कोविड-19 की वजह से हुई बंदी के दौरान (21-27 मार्च) 37 फीसदी तक उछल गई। टेलीविजन रेटिंग करने वाली संस्था ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) ने यह आंकड़े 11-31 जनवरी की तुलनात्मक संख्या के आधार पर जारी किए हैं। एक और नजरिये से देखें तो वर्ष 2018 की तुलना में टीवी के दर्शक 2019 में 38 फीसदी तक बढ़ गए हैं। पहले एक व्यक्ति औसतन रोजाना तीन घंटे 46 मिनट तक टीवी देखता था लेकिन कोविड-19 के बाद वह संख्या बढ़कर चार घंटे 38 मिनट हो चुकी है। इसी के साथ रोजाना टीवी देखने वाले दर्शकों की औसत संख्या भी 67 करोड़ से बढ़कर 62.2 करोड़ हो गई।
सवाल यह है कि टीवी देख रहे ये लोग कौन हैं? सबसे तेज वृद्धि (47 फीसदी से भी अधिक) घरों के भीतर रहने को मजबूर 2-14 साल के बच्चों के बीच हुई है। दूसरी तीव्र वृद्धि (36 फीसदी) 31-40 और 41-50 साल की उम्र वाले दर्शकों में देखी गई है। ये कामकाजी लोग हैं जो लॉकडाउन के चलते घरों के भीतर हैं। इनमें कारोबारी, दुकानदार, अध्यापक, सरकारी कर्मचारी, घरेलू नौकर, लेखक, फिल्मकार, कंपनियों के कर्मचारी-अधिकारी सभी तरह के लोग हैं। खास बात यह है कि दर्शक संख्या में यह बढ़ोतरी सभी तरह के आर्थिक समूहों में देखी जा रही है। उच्च-आय वर्ग एवं अंग्रेजी भाषी लोगों में भी टीवी देखने की प्रवृत्ति खूब बढ़ी है, हालांकि उनका आकार छोटा है।
इसका मतलब एकदम साफ है कि घरों के भीतर रहने के लिए मजबूर सभी तरह के भारतीय इन दिनों टीवी सेट के आगे ही बैठे रह रहे हैं। यही कारण है कि लॉकडाउन के बाद प्राइम टाइम से अलग स्लॉट में भी टीवी दर्शकों की संख्या में 71 फीसदी की जबरदस्त उछाल देखी गई है।
हालांकि इसका एक पहलू यह भी है कि टीवी दर्शकों में हुई बढ़ोतरी की वजह से समाचार चैनल देखने वाले दर्शकों की तादाद कोविड महामारी से उपजी अनिश्चितता के दौर में सात फीसदी से बढ़कर 21 फीसदी तक पहुंच चुकी है। समाचार के नाम पर परोसे जा रहे कार्यक्रमों को देखने वालों में बच्चों की भी मौजूदगी है।
कुछ ऐसा ही परिदृश्य ऑनलाइन जगत का भी है। महामारी से जुड़ी खबरों के बारे में पढऩे के लिए समाचारों की वेबसाइट एवं ऐप का इस्तेमाल करने वाले मार्च में 61 फीसदी तक बढ़ गए हैं। कॉमस्कोर के आंकड़े बताते हैं कि फरवरी की तुलना में मार्च में सामान्य खबरों की वेबसाइट एवं ऐप का इस्तेमाल बढ़ा है। हालांकि स्ट्रीमिंग सेवाओं के बारे में कोई सटीक आंकड़ा अभी तक उपलब्ध नहीं है।
इसी से हम अपने अंतिम लेकिन सबसे अहम सवाल तक पहुंचते हैं। अगर आपको कुछ खाली वक्त मिलता है तो आप क्या देखते हैं? मेरे पसंदीदा टीवी शो में 'द क्राउन ऐंड शरलॉक' (नेटफ्लिक्स), 'डाउनटाउन ऐबी' और 'द मार्वलस मिसेज मैसल' (एमेजॉन प्राइम वीडियो) आते हैं जिन्हें मैं बार-बार देखती हूं। फिर द लाउडेस्ट वॉयस (हॉटस्टार), ब्रॉडचर्च और क्रिमिनल (नेटफ्लिक्स) भी हैं। अगर आपकी पसंद डॉक्यूमेंट्री या डॉक्यू-सीरीज हैं तो फिर आप बिल गेट्स के बारे में 'इनसाइड बिल्स ब्रेन' , खानपान से संबंधित 'शेफ्स टेबल' और भगवान रजनीश के बारे में एमी अवॉर्ड से सम्मानित शो 'वाइल्ड वाइल्ड कंट्री' देख सकते हैं। ये सारे शो नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध हैं।
नए ड्रामा शो के तौर पर मैंने हाल ही में द इंगलिश गेम देखना शुरू किया है लेकिन लॉकडाउन खत्म होने और सामान्य जिंदगी शुरू होने के बाद ही बिंज वॉचिंग का वक्त मिल पाएगा। उसके बजाय मैंने 'द बिग बैंग थिअरी' की तरफ अपना ध्यान भटकाने की कोशिश की है। यह रोजाना 20 मिनट तक हंसी के सफर पर ले जाता है और मेरे सारे सवालों के जवाब भी देता है।
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