जिनके पास ज्यादा नकदी, उनमें दिख रही मजबूती | |
विशाल छाबडिय़ा और राम प्रसाद साहू / 04 06, 2020 | | | | |
पिछले महीने के दौरान प्रमुख सूचकांकों में 28 प्रतिशत की गिरावट आई और फरवरी के अंत में शुरू हुआ कमजोरी का रुझान बरकरार रहने का अनुमान है। कोविड-19 महामारी की वजह से पैदा हुई चुनौती से व्यावसायिक गतिविधि ठहर गई है और बिक्री जैसे आंकड़ों में इसका स्पष्ट असर दिखा है। वाहन बिक्री की रफ्तार थम गई है।
अचानक पैदा हुई इस समस्या से मूल्यांकन में भारी गिरावट आई है। जहां निफ्टी के लिए पिछला कीमत-आय अनुपात 6 साल के निचले स्तर पर है, वहीं प्राइस-टु-बुक वैल्यू पिछले 11 वर्षों में सबसे नीचे है। हालांकि सभी क्षेत्रों के मूल्यांकन में बड़ी कमजोरी आई है और अनिश्चितता तथा राजस्व में सीमित संभावना को देखते हुए बाजार विश्लेषकों ने 'सबसे पहले सुरक्षा' का दृष्टिकोण अपनाया है।
गिरावट और मांग में उतार-चढ़ाव का प्रभाव कम करने का एक तरीका नकदी संपन्न कंपनियों पर ध्यान देना है। विश्लेषकों का मानना है कि नकदी संपन्न कंपनियां राजस्व पर दबाव, लागत में वृद्धि, और मांग में गिरावट का सामना करने में अन्य कंपनियों की तुलना में ज्यादा मजबूती के साथ सक्षम होंगी। जहां सभी कंपनियों को मांग पर दबाव का सामना करना पड़ेगा, वहीं अपने संबद्ध उद्योगों में मजबूत दबदबा रखने वाली और शानदार बैलेंस शीट वाली कंपनियां बेहतर तरीके से इस चुनौती का मुकाबला कर सकेंगी। वह हालात सामान्य होने की स्थिति में वृद्धि के अवसरों का तेजी से फायदा उठाने में भी आगे रहेंगी।
मोतीलाल ओसवाल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज के प्रमुख मनीष संथालिया ने कहा, 'यह सुनामी कई कंपनियों को बरबाद करेगा। इस हालात से अच्छी तरह से मुकाबले के लिए कंपनी को पर्याप्त नकदी और पूंजी तक पहुंच बनाने की जरूरत होगी और उसे अपना कर्ज स्तर शून्य बनाए रखना होगा।'
ऐसे में कई विश्लेषक निवेशकों के लिए नकदी संपन्न कंपनियों पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं जो इस संदर्भ में चिंताजनक है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए संकट का असर अल्पावधि से परे हो सकता है। प्रभुदास लीलाधर के मुख्य कार्याधिकारी एवं मुख्य पोर्टफोलियो मैनेजर (पीएमएस) अजय बोडके का कहना है, 'लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भी सभी क्षेत्रों में खपत और मांग प्रभावित बनी रह सकती है। इसलिए नकदी संपन्न कंपनियां अपने परिचालन और निर्धारित लागत के प्रबंधन के लिहाज से बेहतर स्थिति में होंगी।' सोंथालिया का कहना है, 'कंपनियों को निरंतरता बनाए रखने के लिए आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करना होगा। यह ऐसी स्थिति है जिसमें नकदी हाथ में रखने की जरूरत होती है।'
बहीखाते में नकदी के अलावा, निवेशकों को ब्याज कवरेज और कैश बर्न रेशियो (कार्यशील पूंजी में बदलाव के बाद परिचालन नकदी प्रवाह) जैसे मानकों पर भी ध्यान देना चाहिए।
कम कर्ज स्तर और मजबूत परिचालन नकदी प्रवाह की जरूरत को देखते हुए ऐक्सिस सिक्योरिटीज के सीआईओ नवीन कुलकर्णी एफएमसीजी, दूरसंचार और फार्मास्युटिकल कंपनियों को पसंद कर रहे हैं, क्योंकि वे अपने उत्पादों और सेवाओं के लिए अपेक्षाकृत बेहतर मांग देख रही हैं। वे बैंकिंग एवं वित्तीय सेवा क्षेत्र और रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों से परहेज कर रहे हैं, क्योंकि इनमें कर्ज और नकदी प्रवाह के प्रबंधन को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।
यह बताने की जरूरत नहीं होगी कि विश्लेषक वैश्विक और घरेलू चक्रीयता से दूरी बनाना पसंद कर रहे हैं, क्योंकि इन्हें अक्सर या तो कर्ज, नकदी प्रवाह की समस्या या अनिश्चित विकास परिदृश्य का सामना करना पड़ता है। जहां कुछ विश्लेषको का मानना है कि सॉफ्टवेयर दांव अच्छा निर्णय हैं, वहीं जेपीमॉर्गन का मानना है कि यह क्षेत्र कोविड-19 की वजह से मांग पर संभावित दबाव को देखते हुए प्रभावित हो सकता है, क्योंकि इसके प्रमुख बाजारों में अमेरिका और पश्चिमी यूरोपीय देश शामिल हैं। बोडके का कहना है कि निवेशकों को विमानन, होटल, मल्टीप्लेक्स, ट्रैवल, लगेज निर्माताओं और एनबीएफसी था बैंक जैसे क्षेत्रों की कंपनियों से परहेज
करना चाहिए।
नकदी संपन्न कंपनियों तक पहुंचने के लिए, हमनें न सिर्फ कैश इक्विलंट्स (नकदी एवं बैंक बैलेंस के साथ साथ निवेश) पर ध्यान दिया बल्कि अतिरिक्त नकदी पर भी जोर दिया जो व्यवसाय अपने परिचालन खर्च के लिए लगातार अर्जित करते हैं। इसके अलावा, कर्ज स्तर को न्यूनतम बनाए रखने की जरूरत को देखते हुए, कर्ज-पूंजी अनुपात 0.5 से कम समझा गया था। इसके अलावा, 20 प्रतिशत से कम आरओई वाली कंपनियों को भी अलग रखा गया। ताजा गिरावट में निवेशकों ने भी उन कंपनियों में अपनी दिलचस्पी दिखाई, जिनका रिकॉर्ड अच्छा रहा है, उनकी आय के लिए जोखिम कम रहा, मजबूत नकदी स्थिति रही। एचडीएफसी सिक्योरिटी में पूंजी बाजार रणनीति के प्रमुख विनोद शर्मा कहते हैं, 'नकदी संपन्न कंपनियां मौजूदा बाजार हालात के लिए अनुकूल हैं। जब बाजार हालात खराब हैं, अतिरिक्त नकदी वाली कंपनियों के शेयरों में कम अंतर से गिरावट आती है और जब बाजार में सुधार आता है तो इनमें तेजी की गति मजबूत होती है।' कुछ सावधानियां भी बरतने की जरूरत है। निवेशकों को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वे जो शेयर खरीदने की सोच रहे हैं वे गिरवी न रखे हों।
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