लोकप्रिय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप जूम के बारे में खबरें आ रही है कि इसमें हैकिंग का खतरा है और हाल में एक जांच में खुलासा हुआ है कि कंपनी कुछ गोपनीय जानकारी चीन भेजती है। लेकिन भारत अभी इससे बेखबर है और इस ऐप की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ रही है।
शुक्रवार को कनाडा की एक स्वतंत्र शोध संस्था सिटिजन लैब्स ने खुलासा किया कि जूम पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए एनक्रिप्शन और डिक्रिप्शन के वितरण के वास्ते चीन के सर्वरों का इस्तेमाल किया गया। सिटिजन लैब्स के शोधकर्ताओं ने कहा, 'हमें संदेह है कि की चीन के सर्वरों के जरिये जानकारी वितरित की जा रही हैं। मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका के ग्राहकों को सेवा देने वाली एक कंपनी कभी-कभी चीन के सर्वर से एनक्रिप्शन का वितरण करती है। यह चिंताजनक है क्योंकि जूम को चीन के अधिकारियों के समक्ष इनका खुलासा करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य किया जा सकता है। इसके अलावा यह भी पता चला है कि एंड टु एंड एनक्रिप्शन का कंपनी का दावा भ्रामक है।'
हाल के दिनों में जूम बेहद लोकप्रिय बनकर उभरा है क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण अधिकांश देशों में लॉकडाउन की स्थिति है और लोग घरों से काम कर रहे हैं। पिछले सप्ताह गूगल प्ले से डाउनलोड के मामले में इसने व्हाट्सऐप और टिकटॉक को भी पीछे छोड़ दिया था।
कनाडा की संस्था के खुलासे के जवाब में जूम के मुख्य कार्याधिकारी एरिक युआन ने ब्लॉगपोस्ट किया कि ऐप में अचानक यूजर की बाढ़ आ गई है और यही वजह है कि कंपनी जियो फेंसिंग की अपनी व्यवस्थाओं का पूरी तरह पालन करने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा, 'फरवरी में जूम ने चीन में भारी मांग को पूरा करने के लिए अपनी क्षमता का तेजी से विस्तार किया। जल्दबाजी में गलती से हमने चीन के दो डेटा सेंटरों को बैकअप ब्रिज की सूची में जोड़ दिया जो चीन के बाहर के लोगों से जुड़े थे।'
उन्होंने साथ ही कहा कि इस गलती का जूम फॉर गवर्नमेंट क्लाउड पर कोई असर नहीं हुआ। यह सरकारी ग्राहकों के लिए कंपनी की अलग क्लाउड सेवा है। कई भारतीय कंपनियां और यहां तक की सरकारी बैठकें भी जूम पर होती हैं। इस तरह के खुलासों और लिंक्डइन तथा फेसबुक के साथ यूजर डेटा साझा करने से निजता से जुड़ी चिंता और जूमबॉम्बिंग के कारण कैलिफ ोर्निया के सैन होजे की इस कंपनी को टेस्ला और न्यूयॉर्क सिटी डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन जैसे ग्राहकों से हाथ धोना पड़ा है। ऐसा देखनें में आया है कि जूमबॉम्बिंग में लोग बिना बुलाए जूम की बैठकों में घुस जाते हैं और हेट स्पीच तथा अश्लील तस्वीरें साझा करते हैं। हालांकि भारत में जूम लोकप्रिय हो रहा है और इन खुलासों का उसके कारोबार पर कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है। बड़ी संख्या में कंपनियां और सरकारें लगातार इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रही हैं।
इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम ने जूम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप के सुरक्षित इस्तेमाल के बारे में 30 मार्च को एक परामर्श जारी किया था। इसमें बताया गया था कि अपने डेटा के संरक्षण के लिए यूजर को क्या-क्या कदम उठाने चाहिए।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। हमने इस बारे में जूम से बात की है और कंपनी से आश्वासन दिया है कि भारत के डेटा को चीन के सर्वरों में नहीं भेजा जा रहा है।' इसी तरह बैठकों में जूम का व्यापक इस्तेमाल करने वाली कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि उन्हें सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी अपने कर्मचारियों को ईमेल भेजकर जूम के सही और सुरक्षित इस्तेमाल के बारे में जानकारी दे रही है।हालांकि साइबर सुरक्षा के विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा संवेदनशील बैठकों के लिए यूजरों को अधिक सुरक्षित ऐप का इस्तेमाल करना चाहिए। साइबर सिक्योरिटी फर्म एवलांस ग्लोबल सॉल्यूशंस के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी मनन शाह ने कहा, 'मैं निजता सुनिश्चित करने के लिए एंड टु एंड इनक्रिप्टेड वीडियो प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल की सलाह दूंगा।'
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