बजाज फाइनैंस के प्रबंध निदेशक राजीव जैन के नेतृत्व वाली प्रबंधन टीम ने विश्लेषकों के साथ बातचीत में सोमवार को बताया कि लॉकडाउन की वजह से पिछले 10 दिन के दौरान, कंपनी को लगभग 3,50,000 ग्राहक गंवाने पड़े हैं, जिससे उसकी प्रबंधन अधीन परिंसपत्तियों (एयूएम) पर 4,750 करोड़ रुपये (31 मार्च 020 तक कुल एयूएम का 3.22 प्रतिशत) तक का प्रभाव पड़ा।
जैन का कहना है, 'हम अनिश्चितता के दौर में हैं। हम 15 अप्रैल से 30 जून के बीच गंभीर अनिश्चितता के संकट में आ जाएंगे।' अप्रत्याशित लॉकडाउन की वजह से देश की सबसे बड़ी उपभोक्ता वित्त कंपनी प्रभावित हुई है।
बेहद छोटी अवधि की अप्रैल-जून 2020 तिमाही (लॉकडाउन की वजह से 60 दिन की तिमाही का अनुमान) में कंपनी के प्रदर्शन मानकों पर बड़ा दबाव देखा जा सकता है।
कंपनी के व्यवसाय पर प्रभाव पड़ा है और यदि लॉकडाउन को 14 अप्रैल को समाप्त कर दिया जाता है तो उसका कारोबार सितंबर 2020 तक ही सामान्य स्थिति में लौट पाएगा। ज्यादा खराब हालात में, व्यवसाय को पटरी पर लौटने में मार्च 2021 की तिमाही तक का वक्त लग सकता है।
बजाज फाइनैंस ने चौथी तिमाही के लिए कुछ प्रमुख प्रदर्शन आंकड़े जारी किए हैं। नई ग्राहक वृद्घि और मार्च तिमाही के लिए नए ऋण वितरण की रफ्तार वित्त वर्ष 2015 के बाद से सबसे कमजोर रही है और वित्त वर्ष 2017 की नोटबंदी-प्रभावित तिमाहियों की तुलना में भी दबाव ज्यादा दिख रहा है।
नए ग्राहक जोडऩे की दर 22.8 प्रतिशत की कमी के साथ 19 लाख रही जो दिसंबर 2019 की तिमाही में 24.6 लाख थी। यह एक साल पहले की तिमाही के 19.2 लाख ग्राहकों के मुकाबले भी कम है। इसी तरह, नए ऋण तिमाही आधार पर 22.7 प्रतिशत तक की गिरावट के साथ 60 लाख के आंकड़े पर रह गए, हालांकि सालाना आधार पर इस आंकड़े में महज 3.5 प्रतिशत तक की वृद्घि दर्ज की गई।
विश्लेषकों का मानना है कि बजाज फाइनैंस के शेयर में मंगलवार के कारोबार में कमजोरी देखी जा सकती है। एक विदेशी ब्रोकरेज फर्म के विश्लेषक ने कहा, 'शेयर पर कमजोर वृद्घि और परिसंपत्ति गुणवत्ता का असर दिखेगा और इससे निवेशक इसके महंगे मूल्यांकन पर पुनर्विचार कर सकते हैं।' भले ही प्रबंधन ने अपना सतर्क आशावादी रुख अपनाए रखा है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से व्यवसाय का नुकसान ऋणदाता के लिए काफी ज्यादा है।
व्यावसायिक प्रभाव से मुकाबले के लिए कंपनी अपनी परिचालन लागत को नियंत्रित बनाए रखेगी। कंपनी ने नई नियुक्तियों, यात्रा और शाखा विस्तार जैसी योजनाओं को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। इससे उसे लागत में 7-8 प्रतिशत की बचत में मदद मिल सकती है। दबाव लंबे समय तक बने रहने की स्थिति में कंपनी ज्यादा लागत कटौती पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। परिचालन में सुधार काफी हद तक इस पर निर्भर करेगा कि आर्थिक गतिविधियां देश में कब पुन: शुरू होती हैं।