निवेशकों के लिए जोखिम लेने का समय यह नहीं | संजय कुमार सिंह / April 06, 2020 | | | | |
शेयरों में इन दिनों अनिश्चितता से खुदरा निवेशकों को कोई खास आश्चर्य नहीं हुआ है, लेकिन फिक्स्ड इनकम पोर्टफोलियो में गिरावट ने उन्हें बिल्कुल चौंका दिया है। पिछले सप्ताह डेट फंडों को हुए भारी नुकसान से कई निवेशकों को जबरदस्त चूना लगा है। आम तौर पर सुरक्षित समझे जाने वाले छोटी अवधि के फंडों में भी गिरावट दर्ज हुई है। हालांकि 27 मार्च को भारतीय रिजर्व बैंक की घोषणाओं से उन्हें जरूर राहत मिली है। रिजर्व बैंक के कदमों से पहले करीब एक पखवाडे में बॉन्ड कमजोर हो गए थे और प्राप्तियों में खासी तेजी दिखी थी। 3 महीने से लेकर 3 वर्ष में परिपक्व होने वाले बॉन्ड पर खासा असर हुआ था। बाजार में नकदी की भारी कमी इसकी मुख्य वजह थी। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारी बिकवाली की थी और विषेशज्ञों की नजर में बॉन्ड की खस्ता हालत के लिए यह बात मुख्य रूप से जिम्मेदार थी। फंड्स इंडिया के शोध प्रमुख अरुण कुमार कहते हैं, 'विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत सहित तेजी से उभर रहे बाजारों से रकम निकाल रहे हैं असैर इस रकम को सुरक्षित बाजारों में डाला जा रहा है। मार्च में वे भारतीय बॉन्ड बाजार से करीब 52,910 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।'
ऐक्सिस बैंक में फिक्स्ड इनकम प्रमुख आर शिवकुमार का कहना है कि डेट एवं शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों की बिकवाली रुपये में कमजोरी की प्रमुख वजह रही है। उन्होंने कहा, 'रुपये में कमजोरी से बॉन्ड पर प्राप्तियां भी बढ़ गईं। वित्त वर्ष के अंत में कंपनियों द्वारा रकम निकाले जाने, कोविड-19 की महामारी फैलने और म्युचुअल फंडों द्वारा बिकवाली किए जाने से भी बॉन्ड में कमजोरी आई।'
बाजार रिजर्व बैंक से हस्तक्षेप की उम्मीद जरूर कर रहा था, लेकिन उसे इतने बड़े कदम की उम्मीद नहीं थी। सुंदरम म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी द्विजेंद्र श्रीवास्तव ने कहा, 'बाजार रीपो दर में 50 आधार अंक की कमी की उम्मीद कर रहा था, लेकिन आरबीआई ने इसमें 75 आधार अंक तक की कटौती कर दी। बाजार नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में कमी की उम्मीद नहीं कर रहा था और उसे टारगेटेड लॉन्ग टर्म रीपो ऑपरेशंस (टीएलआरओ) की भी उम्मीद नहीं थी।'
खासकर टीएलआरओ से बॉन्ड बाजार में हालत सुधर सकती है। श्रीवास्तव ने कहा कि अब कारोबारियों को लग रहा है कि हालत सुधारने के उपाय मौजूद हैं और बैंक केंद्रीय बैंक से उधार लेकर नकदी की किल्लत दूर कर सकते हैं। आरबीआई के कदमों से प्राप्तियों में कमी आनी शुरू हो गई है। एक साल तक की अवधि के बॉन्ड में 100 से 250 आधार अंक तक की कमी आई है। इसी तरह 3 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले बॉन्ड में प्राप्तियां करीब 150 अंक तक कम हो गई हैं। डेट फंडों की श्रेणी का औसत प्रतिफल भी सुधर गया है।
आरबीआई के उपायों से पहले डेट फंडों में गिरावट अल्पावधि की थी, लेकिन खुदरा निवेशकों के लिए इसे भी झेलना मुमकिन नहीं है। उन्हें खास तौर पर साख से जुड़े जोखिमों से चिंतित होने की जरूरत है। कोरोनावायरस के कारण कई कंपनियों का परिचालन लगभग ठप हो गया है, जिससे वे निकट अवधि में भुगतान में चूक कर सकती है। जाहिर है कि उनकी क्रेडिट रेटिंग पर भी इसका असर पड़ेगा। कुमार कहते हैं, 'जब तक आपका निवेश उच्च रेटिंग वाले फंड में आपका निवेश है तब तक आप के लिए जोखिम कम है। जिन फंडों की अवधि 3 वर्ष तक ही है, वे निवेश के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।' वैलिडस वेल्थ के मुख्य निवेश अधिकारी राजेश चेरुवु कहते हैं, 'शॉर्ट डृयूरेशन, कॉर्पोरेट बॉन्ड, बैंकिंग और पीएसयू फंडों में चरणबद्ध तरीके से निवेश किया जा सकता है।' चेरुवु को लगता है कि दीर्घ अवधि के फंडों में निवेश से बचना चाहिए। बकौल श्रीवास्तव, सरकार बड़े पैमाने पर उधारी ले सकती है, जिससे बाद में दीर्घ अवधि के फंडों के साथ परेशानी पेश आ सकती है। उन्होंने कहा, 'आप उन फंडों में निवेश करने से बचें, जिनकी परिपक्वता आपकी निवेश योजना के समय से अधिक है। अगर ऐसा होता है तो पिछले महीने की तरह प्राप्तियों में तेजी आने से आपको नुकसान हो सकता है।'
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