जरा सोचिए कि कितनी उथलपुथल मची हुई है - कोविड-19 की वजह से दुनिया भर के शेयर बाजार बुरी तरह लुढ़क चुके हैं, उद्योग ठप होते जा रहे हैं और तमाम देश अपने यहां लॉकडाउन यानी बंदी का ऐलान करते जा रहे हैं। महीना भर भी नहीं गुजरा है और भारत के लोग खुद को ऐसे वैश्विक बवंडर में फंसा महसूस कर रहे हैं, जिसने हर किसी की जिंदगी को हिलाकर रख दिया है। विमानन जैसे कुछ क्षेत्र पहले ही वेतन में कटौती शुरू कर चुके हैं और कुछ अरसे बाद ही हमें पता चलेगा कि इस बवंडर की वजह से कितने बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है। ऐसे वक्त में हर परिवार इसी उधेड़बुन में लगा है कि पैसा कैसे संभाला जाए और जरूरी सामान घर में किस तरह आए। मगर दिक्कत यह है कि इसका जो तरीका किसी एक परिवार के लिए कारगर होगा, वह दूसरे परिवार के साथ नहीं चल पाएगा। इसीलिए परिवारों या लोगों को चार श्रेणियों में बांटकर उनके लिए पैसा संभालने के गुर देना बेहतर रहेगा।
आपातकालीन कोष
यदि आपने अचानक आने वाली आफत के लिए रकम का इंतजाम पहले ही कर रखा है और आपका निवेश भी ठीकठाक है तो आपको माली दिक्कतों से नहीं गुजरना पड़ेगा। अगर किसी व्यक्ति के पास तीन से छह महीने तक घर चलाने के लिए जरूरी रकम जमा है, उसने अच्छी तरह निवेश किया है और उस पर ज्यादा कर्ज भी नहीं है तो उसे आराम से बैठना चाहिए। एएसके वेल्थ एडवाइजर्स में मैनेजिंग पार्टनर और फैमिली ऑफिस प्रमुख निशांत अग्रवाल मानते हैं, 'ऐसे लोगों के लिए हालात कुछ ज्यादा सहूलियत भरे होंगे। शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट के बाद भी निवेशकों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। जब तक तस्वीर और साफ नहीं हो जाती एक फंड छोड़कर दूसरे फंड में जाने की अपनी इच्छा दबाकर रखिए।' अगर बुरी खबरों का सिलसिला जारी रहता है तो हो सकता है कि एक बार फिर बाजार लुढ़कने जा रहा हो। लेकिन यह भी सच है कि आगे जाकर बाजार फिर उछाल भरेगा। इसीलिए इस वक्त हाथ पर हाथ धरकर बैठने में ही समझदारी है।
अगर आपने इक्विटी में पर्याप्त निवेश नहीं किया है और आपके हाथ में नकदी पड़ी है तो निवेश करने का यही सबसे उम्दा वक्त है। अग्रवाल समझाते हैं, 'अपनी किस्मत को सराहिए कि इस तरह का मौका आपके हाथ लगा है। आप इंडेक्स या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या म्युचुअल फंड अथवा पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं के जरिये लार्ज कैप शेयर खरीद सकते हैं। आप अपनी नकदी में से 5 से 8 फीसदी रकम लगा सकते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे पूरी रकम इसमें लगाई जा सकती है।'
अगर आपने इक्विटी यानी शेयरों में रकम लगा रही है तो भी आप अगले तीन महीने तक अपना निवेश बढ़ा सकते हैं। इनक्रेड वेल्थ मैनेजमेंट के मुख्य कार्य अधिकारी नितिन राव की सलाह है, 'इक्विटी आवंटन के लिए हम सक्रिय प्रबंधन वाले फंडों, पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं और उच्च गुणवत्ता वाले शेयरों को तरजीह देंगे। कम जोखिम चाहने वाले निवेशक इंडेक्स फंड या इंडेक्स ईटीएफ चुन सकते हैं। डेट निवेशक भी अपने डेट प्रतिफल को अधिक से अधिक बढ़ाने के लिए एएए रेटिंग वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड में निवेश कर सकते हैं। संपत्ति आवंटन पर दोबारा नजर डालना भी इस दौरान ठीक रहेगा।'
निवेश है मगर कोष नहीं
आज की तारीख में सबसे जरूरी कुछ है तो वह है आपात स्थितियों के लिए बचाकर रखी गई रकम। मगर इससे भी जरूरी यह सवाल है कि यह रकम जमा किस तरह की जाए? इसके लिए आपके पास तमाम विकल्प हैं - इक्विटी या इक्विटी म्युचुअल फंड को छोड़कर लिक्विड फंड का दामन थाम लीजिए या बैंक में पड़ी जमा रकम निकाल लीजिए। लैडरअप वेल्थ मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक राघवेंद्र नाथ कहते हैं, 'चूंकि इस श्रेणी के लोगों के पास आपात स्थितियों के लिए रकम नहीं है और शेयरों का हाल बुरा है, इसलिए उन्हें शेयर किसी सूरत में नहीं बेचने चाहिए।'
अगर आपके पास सावधि जमा (एफडी) में या दूसरे डेट फंडों में कुछ रकम पड़ी है तो उसे इस्तेमाल कर आपात कोष तैयार करने की कोशिश करें। इतना ही नहीं सोना भी इस मामले में कारगर साबित हो सकता है। पिछले कुछ समय में सोना चढ़ा है तो उसे बेचकर आपात कोष तैयार करना भी बुरा विचार नहीं है। आप सोने के जेवरात आदि के बदले कर्ज ले सकते हैं और अगर आपके पास एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड के रूप में सोना पड़ा है तो उसे बेचा जा सकता है।
अगर आपके पास बैंक खातों में रकम पड़ी है तो कुछ खाते बंद कर उसे एक जगह जमा करने में भी कोई बुराई नहीं है। एमबी वेल्थ सॉल्यूशन्स के संस्थापक एम बर्वे समझाते हैं, 'नौकरियां बदलने के कारण कई लोगों के ढेर सारे बैंक खाते खुल जाते हैं और कई बार उनमें से कुछ खातों में नकदी भी पड़ी रहती है। आपको यह जानकर हैरत होगी कि पति-पत्नी दोनों के खाते अगर खंगाले जाएं तो कुल इतनी रकम जमा मिलेगी कि दो महीने का पूरा खर्च निकल जाएगा।' मगर इन खातों को सक्रिय करना पड़ेगा। निष्क्रिय खाते को सक्रिय बनाने के लिए आपको बैंक की शाखा तक जाना होगा।
क्या करें फ्रीलांसर
अगर आप नौकरीपेशा नहीं हैं बल्कि फ्रीलांसर या कंसल्टेंट हैं तो आपके लिए हालात ज्यादा मुश्किल हो सकते हैं। गिग इकोनॉमी यानी फ्रीलांसरों का काम घटने वाला है, इसलिए आपको फौरन हरकत में आना पड़ेगा। टीबीएनजी कैपिटल एडवाइजर्स के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी तरुण बिरानी कहते हैं, 'ऐसे लोगों को अपने पास ज्यादा नकदी रखनी चाहिए। इस समय अनिश्चितता बहुत अधिक है, इसलिए हम उन्हें कम से कम छह महीने के खर्च के लिए जरूरी नकदी अपने पास रखने का मशविरा दे रहे हैं। जरूरत पड़े तो वे जोखिम की संभावना आंककर निवेश खत्म भी कर सकते हैं।'
बिरानी कहते हैं, 'आदर्श स्थिति तो यह है कि कर्ज से एकदम बचा जाए। अगर बहुत बुरी हालत होती है और आपके पास इक्विटी में निवेश तो है मगर हाथ में नकदी बिल्कुल नहीं है तो आपको लागत के बरअक्स फायदे का विश्लेषण करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति आती है तो शेयर बेचने के बजाय छोटी अवधि के लिए कर्ज लेकर अपनी जरूरत पूरी करना बेहतर होगा।'
लॉकडाउन खत्म होने और हालात सामान्य होने के बाद भी फ्रीलांसरों को कुछ महीनों के लिए सभी गैर-जरूरी खर्चों पर लगाम कसनी होगी। राव याद दिलाते हैं, 'फ्रीलांसर इस बात का ध्यान रखें कि उन्हें मिलने वाला काम अर्थव्यवस्था की स्थिति के हिसाब से ही बढ़ेगा या घटेगा।'
निवेश भी ईएमआई भी
अगर आप लगातार निवेश कर रहे हैं, लेकिन आपके ऊपर आवास ऋण या दूसरे किस्म के कर्जों की मासिक किस्तों (ईएमआई) का बोझ है तो आपके लिए ज्यादा मुश्किल हो सकती है। अगर आपका वेतन देर से आ रहा है या उसमें कटौती कर दी गई है या आपकी नौकरी ही चली गई है तो मुश्किल बहुत भारी होने जा रही है। ऐसी सूरत में नाथ का मशविरा है, 'यह मुश्किल दौर है। अपने निवेश के कुछ हिस्से को भुना लीजिए और कर्ज को वक्त से पहले चुका दीजिए ताकि आपके सिर से ईएमआई का बोझ कम हो जाए। लेकिन अगर आपकी इतनी कुव्वत है कि आप ईएमआई का बोझ बरदाश्त कर सकते हैं तो ईएमआई और निवेश दोनों को साथ ही चलाते रहना अच्छा होगा। इस बात की पूरी संभावना है कि अगले दो साल में आपके निवेश पर मिलने वाले मुनाफे की दर आपके आवास ऋण की ब्याज दर से अधिक हो जाएगी।' एक विकल्प और है। राव की तरकीब कुछ अलग है। वह कहते हैं, 'कुछ महीनों के लिए ईएमआई रोकने की दरख्वास्त बैंक से कीजिए या एफडी अथवा सिक्योरिटी के बदले ओवरड्राफ्ट ले लीजिए और कुछ समय के लिए उसी रकम से काम चलाइए।'