चाय कंपनियों को सता रहा वित्तीय संकट | अभिषेक रक्षित / कोलकाता April 05, 2020 | | | | |
चाय कंपनियां गहराते वित्तीय संकट को लेकर चिंतित हैं। उन्हें इस साल करीब आठ करोड़ किलोग्राम चाय उत्पादन का नुकसान होने के आसार नजर आ रहे हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने चाय कंपनियों को लॉकडाउन के बीच फिर से चाय उत्पादन शुरू करने की मंजूरी दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार रात कंपनियों को परिचालन फिर से शुरू करने की मंजूरी दी। हालांकि उन्हें किसी भी समय आधे कामगारों के साथ परिचालन करना होगा। अब संबंधित राज्य सरकारों और जिलाधीशों को यह आदेश जारी करना होगा और आगे के दिशा-निर्देश जारी करने होंगे।
एक बागान कंपनी के प्रवर्तक ने कहा, 'उत्पादन रुके होने और परिवहन सेवाएं उपलब्ध न होने के कारण कोई आमदनी नहीं हो रही। दूसरी ओर पारिश्रमिक, कर्ज अदायगी, ब्याज जैसी निश्चित लागतों को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। इससे वित्तीय असंतुलन और बिगड़ेगा, जिससे चाय कंपनियां पहले ही जूझ रही हैं।'
उद्योग के सूत्रों ने आरोप लगाया कि इस उद्योग को कई वर्षों से कर्ज मिलना कम हो गया है। ज्यादातर चाय बागान कंपनियां या तो घाटे में हैं या उनके लाभ में तेजी से गिरावट आ रही है।
उदाहरण के लिए वारेन टी का शुद्ध लाभ 2013-14 में 20.24 करोड़ रुपये था, जबकि कंपनी 2018-19 में 15.92 करोड़ रुपये के घाटे में चल रही थी। गुडरिक समूह को कैलेंडर वर्ष 2014 में 22.24 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था, लेकिन यह 31 मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में घटकर 9.49 करोड़ रुपये पर आ गया। रोसेल इंडिया को भी 2013-14 में 20.40 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था, जो पिछले वित्त वर्ष में घटकर 0.57 करोड़ रुपये पर आ गया।
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, 'चाय पत्ती तोडऩे के पहले सीजन में उत्पादन के नुकसान से वित्तीय स्थिति और खराब होने के आसार हैं और हम यह भी नहीं जानते कि मौजूदा हालात में दूसरा सीजन भी कैसा रहेगा। हालांकि आरबीआई के दिशानिर्देशानुसार कर्ज लौटाने में कुछ समय की मोहलत दी जा रही है, लेकिन हमें असर को समझना होगा और फिर कोई फैसला लेना होगा।' कंपनियां केंद्र की अधिसूचना में कामगारों की शर्त को लेकर भी चिंतित है, जिससे चाय तुड़ाई के अगले सीजन की शुरुआत में उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
जय श्री टी ऐंड इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक और सीईओ डी पी माहेश्वरी ने कहा, 'सबसे अधिक उत्पादन की अवधि शुरू हो चुकी है, जिसमें हमें पूरी क्षमता पर परिचालन की जरूरत है। कम कामगारों के साथ परिचालन से निश्चित रूप से उत्पादन प्रभावित होगा।'
उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि हालांकि उत्पादन फिर से शुरू करने का आदेश जारी कर दिया गया है, लेकिन चाय पत्ती तोडऩे का पहला सीजन लगभग पूरा हो चुका है। इसके चलते फसल के नुकसान का अनुमान बदलकर आठ करोड़ किलोग्राम कर दिया गया है, जो पहले 10 करोड़ किलोग्राम था। इसका मतलब है कि उद्योग को करीब 1,600 करोड़ रुपये का नुकसान होगा, जिसका पहले 2,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था। चाय बागान मालिकों ने कहा कि मई से शुरू होने वाले पत्ती तुड़ाई के दूसरे सीजन की तैयारियां की जा सकती हैं, लेकिन वे उत्पादन को लेकर सुनिश्चित नहीं हैं। गुडरिक समूह के प्रबंध निदेशक अतुल अस्थाना ने कहा, 'बागानों के फिर से खुलने के बाद सबसे पहले स्कीफिंग करनी होगी और चाय उत्पादन शुरू होने से पहले इसमें 8-10 दिन लगेंगे।'
अधिकारियों ने कहा कि आदेश के समय को देखते हुए उत्पादन अप्रैल के मध्य से पहले शुरू नहीं हो सकता है। माहेश्वरी ने कहा, 'हम नहीं जानते कि कोविड-19 का प्रसार कितना होगा और दूसरा सीजन शुरू होने पर कैसी स्थितियां रहेंगी।' हालांकि बागान कंपनियों का मानना है कि दूसरे सीजन में आम उत्पादन का कम से कम 70 फीसदी उत्पादन संभव है, लेकिन वे मजदूरों की उपलब्धता और श्रम संगठनों के रुख को लेकर फिक्रमंद हैं। पूरे देश में दूसरे सीजन के दौरान करीब 23 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है, जो पूरे साल में उत्पादित होने वाली चाय का करीब 17 फीसदी है। यह चाय सबसे महंगी होती है और वर्ष के शेष सीजनों की तुलना में सबसे बेहतर गुणवत्ता की होती है।
चाय बोर्ड के चेयरमैन और बोकाहोला टी कंपनी के प्रबंध निदेशक पीके बेजबरुआ ने कहा, 'राज्य सरकारों को भी ऐसे ही आदेश जारी करने चाहिए। कामगारों को भी सहयोग देना चाहिए ताकि उत्पादन शुरू हो सके।'
विश्व में श्रमिकों के सबसे बड़े संगठन असम चाय मजदूर संघ (एसीएमएस) बागानों के प्रबंधकों के साथ सहयोग को तैयार है। हालांकि इस संगठन ने पहले बागानों को बंद करने की बात कही थी।
एसीएमएस के अध्यक्ष पवन सिंह घटोवार ने कहा, 'उत्पादन को 3-4 महीने और वह भी उत्पादन के प्रमुख सीजन में बंद करना अव्यावहारिक है। हम सभी की राय सुनने को तैयार हैं और राज्य प्रशासन और चाय बागानों के साथ सहयोग करेंगे बशर्ते कि कामगारों की उचित सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए।'
|