कोरोना महामारी के कारण पैदा हुई असाधारण परिस्थिति के मद्देनजर केंद्र ने राज्यों को वित्त वर्ष 2020-21 में अपनी कुल उधारी जरूरतों का 50 फीसदी तक अप्रैल में ही लेने की अनुमति दे दी है। बिजनेस स्टैंडर्ड को सूत्रों से यह जानकारी मिली है।
घटते राजस्व के कारण केंद्र के पास भी संसाधनों की कमी हो गई है जिसके कारण ऐसा कदम उठाना जरूरी हो गया था। संसाधनों की कमी के कारण केंद्र विभिन्न मदों में राज्यों के बकाये का भुगतान नहीं कर पा रहा है। इसमें केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा, वस्तु एवं सेवा कर मुआवजा और अन्य अनुदान शामिल हैं। साथ ही विभिन्न राज्य वित्तीय पैकेज मांग रहे हैंए लेकिन केंद्र के पास इसके लिए संसाधनों की कमी है।
एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा, 'राज्यों को 2020-21 के लिए उनकी उधारी सीमा का 50 फीसदी तक हिस्सा अप्रैल में उधार लेने की अनुमति दे दी गई है। अगर वे अपनी कुल उधारी का आधा हिस्सा अग्रिम लेना चाहते हैं तो ऐसा कर सकते हैं।' उन्होंने साथ ही कहा कि अगर भविष्य में जरूरत पड़ी तो केंद्र राज्यों के लिए कुल उधारी सीमा में छूट देने पर भी विचार करेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 31 मार्च को राज्यों के लिए अप्रैल-जून के लिए सांकेतिक उधारी कैलेंडर और केंद्र के लिए अप्रैल-सितंबर का कैलेंडर जारी किया था। लेकिन उससे पहले ही केंद्र ने राज्यों को यह अनुमति दे दी थी। अधिकारी ने कहा कि 50 फीसदी की सीमा के भीतर राज्य कितना उधार लेना चाहते हैं। यह राज्यों और आरबीआई पर छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा, 'हर राज्य आरबीआई के साथ चर्चा के बाद यह फैसला करेगा कि उसे कितना उधार लेना है। भविष्य में ब्याज भुगतान में कितनी देनदारी चाहते हैंए बॉन्ड बाजार में उनकी प्रतिभूतियों की कितनी मांग है।' सामान्य स्थिति में राज्यों की राजकोषीय सीमाओं से भी उनकी उधार लेने की क्षमता का निर्धारण होता है। राजकोषीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन की सीमाएं अब भी लागू हैं लेकिन केंद्र और राज्यों के अधिकारियों का कहना है कि यह सामान्य समय नहीं है।
आरबीआई द्वारा अप्रैल-जून तिमाही के लिए जारी राज्यों के सांकेतिक कैलेंडर के मुताबिक राज्यों के इस अवधि में 1.27 लाख करोड़ रुपये उधार लेने का अनुमान है। इसमें से करीब 55,225 करोड़ रुपये की उधारी अप्रैल में लिए जाने की उम्मीद है। इस तरह यह तिमाही के कुल अनुमान को पार कर जाएगी। अधिकारी ने कहा कि आरबीआई के मुताबिक यह सांकेतिक कैलेंडर है। अमूमन राज्यों के अनुरोध पर केंद्रीय बैंक का रुख उदार होता है। इसलिए वे ज्यादा उधार ले सकते हैं।
हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक अनुमान मौजूद नहीं है कि राज्य वित्त वर्ष 2021 में कुल कितना उधार लेंगे क्योंकि सभी राज्यों ने अभी बजट पेश नहीं किया है। भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष के मुताबिक यह राशि 7 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। उन्होंने कहा, 'वित्त वर्ष 2020 में कुल उधारी 6.40 लाख करोड़ रुपये थी। मौजूदा असाधारण स्थिति को देखते हुए इस साल राज्यों की कुल उधारी इससे अधिक रह सकती है। हर साल सामान्य स्थिति में राज्यों की सकल उधारी में 10 फीसदी का इजाफा होता है। अगर हम इसके आधार पर देखें तो इस बार यह आंकड़ा 7 लाख करोड़ रुपये रह सकता है।
घोष के अनुमान को मानें तो अगर राज्य अपने पूरे साल की जरूरत का 50 फीसदी अप्रैल में लें तो यह राशि 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। केंद्र ने इस महीने 79,000 करोड़ रुपये की राशि उधार लेने की योजना बनाई है। इस तरह अप्रैल में सरकार कुल 3.8 लाख करोड़ रुपये उधार ले सकती है जिससे प्रतिफ ल पर भारी असर हो सकता है।