कोरोना संकट को लेकर घबराए परिधान निर्यातक | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली April 03, 2020 | | | | |
फैक्टरियां बंद हैं। कामगार जा चुके हैं। वैश्विक मांग घट गई है। ऐसे में चिंतित परिधान निर्यातकों ने चेतावनी दी है कि अगर इस क्षेत्र के लिए जल्द राहत पैकेज की घोषणा नहीं की जाती है तो लाखों लोग बेरोजगार हो सकते हैं।
21 दिन की देशबंदी में उद्योगों का पहिया थम गया है। ऐसे में उद्योग को यूरोप और अमेरिका जैसे बड़े ग्राहकों की ओर से विदेशी ऑर्डर रद्द किए जा रहे हैं। साथ ही श्रमिकों की अचानक आई कमी की वजह से भी यह क्षेत्र थमा है क्योंकि औद्योगिक इलाकों से बड़े पैमाने पर कामगार दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में चले गए हैं।
उद्योग के अनुमान के मुताबिक करीब 70 प्रतिशत परिधान इकाइयां सूक्ष्म, लघु और मझोले क्षेत्र में आती हैं। इस उत्पाद में मजदूरी पर खर्च 25 से 30 प्रतिशत है, जबकि इसके अतिरिक्त कुल मिलाकर घरेलू उद्योगों में वेतन पर 7-8 प्रतिशत खर्च का मानक है।
प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन ए शक्तिवेल ने कहा कि इस उद्योग में 1.29 करोड़ कामगार लगे हुए हैं और अगर सरकार तत्काल परिधान क्षेत्र के लिए पैकेज की घोषणा नहीं करती है तो यह क्षेत्र धीरे धीरे मर जाएगा। शक्तिवेल ने कहा है, 'परिधान उद्योग मौसमी उद्योग है और सभी उत्पाद खराब होने वाले जिंस की ही तरह होते हैं क्योंकि वे टेलर मेड और विशेष डिजाइन, विशेष फैशन से जुड़े निर्यात हैं। अगर इस साल ऑर्डर रद्द होते हैं तो अगले साल उनका बहुत मामूली मूल्य रह जाएगा।'
प्रधानमंत्री को लिखे गए इसी तरह के एक पत्र में कॉन्फेडरेशन आफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री के चेयरमैन टी राजकुमार ने सुझाव दिया कि सभी कच्चे मालों, डाई और केमिकल्स, इंटरमीडिएटरीज, स्पेयर और एसेसरीज को एंटी डंपिंग शुल्क और बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त किया जाना चाहिए।
एईपीसी ने इस बात की वकालत की है कि ज्यादातर क्षेत्र इस समय 3 से 4 प्रतिशत तक बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धी मुनाफे पर काम कर रहे हैं और पूरी तरह से सरकार द्वारा दिए जा रहे निर्यात लाभ पर निर्भर हैं। आयात में बाधाओं का हवाला देते हुए परिषद ने अनुरोध किया है कि निर्यात संर्वधन योजनाओं के तहत उपभोग न हो पाए सामान की वैधता की अवधि 6 महीने बढ़ाई जानी चाहिए। इसने एडवांस अथराइजेशन की वैधता की अवधि भी मौजूदा 12 महीने से बढ़ाकर 24 महीने करने की मांग की है। साथ ही निर्यात बाध्यताएं पूरी करने के लिए मौजूदा 18 महीने की जगह 36 महीने का वक्त दिए जाने की मांग की गई है।
निर्यातकों ने उद्योग विशेष के मुताबिक उठाए जाने वाले कदमों को विस्तार से बताया है, जो अन्य सरकारें उठा रही हैं और भारत को भी तत्काल उसके मुताबिक कदम उठाने की जरूरत है। परिधान क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टीटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एसके जैन ने कहा, 'परिधान के निर्यात में भारत का मुख्य प्रतिस्पर्धी बांग्लादेश इस समय मजदूरों व कर्मचारियों के 3 महीने के वेतन का वित्तपोषण मौजूदा कर्ज को 2 साल के लिए 2 प्रतिशत भुगतान पर कर रहा है। भारत को कम से कम इतना करने की जरूरत है। सरकार को मजदूरों व उद्योग दोनों की मदद करने की जरूरत है क्योंकि बैंक या ग्राहकों से धन आना रुक गया है।'
विश्व व्यापार संगठन के मुताबिक चीन, यूरोपीय संघ, बांग्लादेश और वियतनाम 2018 में विश्व के प्रमुख शीर्ष निर्यातक बने रहे। इन चारों की बाजारर हिस्सेदारी 72.3 प्रतिशत है। बांग्लादेश का परिधान निर्यात 2008 से 2018 के बीच तीन गुने से ज्यादा बढ़ा है।
कोरोना संकट शुरू होने के पहले से ही मुख्य आयातकों, खासकर संयुक्त अरब अमीरात की ओर से मांग बहुत कम हुई है। यह धारमा 2018 के आखिर में शुरू हुई, जब तमाम नई विनिर्माण इकाइयां यूएई के मुक्त बाजार क्षेत्र में स्थापित हुईं, जो भारत से कच्चा माल लेना पसंद करती हैं और तैयार माल का विरोध करती हैं।
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