प्रधानमंत्री कार्यालय के एक फीडबैक सर्वे में आईएएस अधिकारियों व जिलाधिकारियों के एक समूह ने कहा है कि देश पर वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के संकट को देखते हुए सरकार को गरीबों व हाशिये पर खड़े समाज के लिए स्वास्थ्य सेवाओं व जरूरी जिंसों पर राजकोषीय व्यय बढ़ाकर जीडीपी का करीब 2 प्रतिशत करने की जरूरत है।
प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग की ओर से कोविड-19 की राष्ट्रीय तैयारियों को लेकर 410 नौकरशाहों के बीच सर्वे कराया गया, जिससे कि सभी राज्यों की तैयारियों का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सके और आगे का खाका तैयार करने में खामियों को चिह्नित किया जा सके।
सरकार का खर्च बढ़ाकर 5 से 10 लाख करोड़ रुपये की सिफारिश करने के अलावा अधिकारियों ने आपात कदमों के सुझाव देते हुए जरूरी होने पर देशबंदी की अवधि बढ़ाने की बात कही है। इसमें कहा गया है, '21 दिन की देशबंदी का इस्तेमाल ज्यादा पॉजिटिव मामलों को चिह्नित करने में किया जाना चाहिए और उनके संपर्क में आए सभी लोगों को एकांतवास में भेजा जाना चाहिए।'
अधिकारियों ने कहा है कि देशबंदी तब तक जारी रखी जाए, जब तक कोविड-19 नियंत्रण में नहीं आ जाता है। उन्होंने कहा है कि देशबंदी का पालन न करने वाले लोगों, खासकर जहां 50 लोगों से ज्यादा एकत्र होते हैं, के साथ सख्ती से पेश आने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि कालाबाजारी को रोकने के लिए मूल्य तय किया जाए और जरूरी सामान के मूल्य की जांच के लिए अनिवार्य नियमित जांच की जाए। अन्य सुझावों में जरूरी सामान की आवाजाही के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच तालमेल, विस्थापित श्रमिकों और दैनिक मजदूरी करने वालों को आर्थिक मदद दिया जाना शामिल है।
प्रतिक्रिया देने वालों ने कहा है कि सरकार को जांच किट के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, ज्यादा जांच केंद्र स्थापित करने और सभी जिला और क्षेत्रीय अस्पतालों की क्षमता बढ़ाने व आइसोलेशन वार्ड बनाने का काम करना चाहिए, जिससे अनावश्यक देरी को रोका जा सके।
इस सर्वे में राज्य विशेष पर केंद्रित चुनौतियों की पहचान की गई है। अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और नगालैंड में व्यक्तिगत बचाव उपकरण (पीपीई) और मेडिकल सुविधा की अपर्याप्तता और बुनियादी मेडिकल उपकरणों जैसे मास्क और सैनिटाजर की कमी की जानकारी मिली है।
हरियाणा में मरीजों को चिह्नित करना व परीक्षण करना और विस्थापन को बड़ी चुनौती बताया गया है। साथ ही पीपीई और वेंटिलेटरों की कमी को भी अहम बताया गया है। झारखंड के दुमका जिले के बारे में कहा गया है कि यहां एनेस्थेटिक सुविधा नहीं है और ऐसे में वेंटिलेटर नहीं चलाए जा सकते हैं। वहीं असम को उचित तरीके से देशबंदी को लागू करने में संकट हो रहा है।
प्रतिक्रिया देने वाले 75 प्रतिशत लोगों ने कहा कि लोग इस वैश्विक महामारी को लेकर सावधानियां नहीं बरत रहे हैं। इसमें शामिल 69 प्रतिशत लोगों का कहना है कि लोग देशबंदी को शांतिपूर्ण तरीके से मान रहे हैं, जबकि 31 प्रतिशत ने कहा कि लोग सावधान व घबराए हुए हैं। वैश्विक महामारी कोविड-19 से अब तक 5 लाख लोगों के प्रभावित होने की पुष्टि हुई है और 20,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।