कोविड-19 के खिलाफ राष्ट्रीय प्रयासों को 'युद्ध' की संज्ञा दी जा रही है। इस बीच रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि सेना के अतिरिक्त चिकित्सा एवं लॉजिस्टिक संसाधनों का इस्तेमाल सरकारी स्वास्थ्य प्रशासन की मदद में किया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सशस्त्र बल पहले ही मुंबई, जैसलमेर, जोधपुर, हिंडन, मानेसर और चेन्नई में छह क्वारंटीन केंद्र बना चुके हैं। इसके अलावा सेना देश भर में सशस्त्र बलों के 51 अस्पतालों में हाई डिपेंडेंसी यूनिट और इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) उपलब्ध कराएगी।
रक्षा मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी विज्ञप्ति में कहा गया, 'इन अस्पतालों में से कुछ कोलकाता, विशाखापत्तनम, कोच्चि, हैदराबाद के निकट डूंडीगल, बेंगलूरु, कानपुर, जैसलमेर, जोरहाट और गोरखपुर में हैं।'
रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि इनके अलावा 15 अन्य सैन्य अस्पतालों को जरूरत पडऩे पर इस्तेमाल के लिए तैयार रखा गया है। इनमें संयुक्त रूप से कोविड-19 के मरीजों के लिए करीब 15,000 बेड होंगे। सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कोविड-19 से निपटने के प्रयासों में सहयोग के लिए 8,500 डॉक्टर और सहायक स्टाफ मुहैया कराने की पेशकश की है।
कोरोनावायरस की जांच में तेजी आ रही है, इसलिए सशस्त्र बलों के अस्पतालों में पांच वायरल जांच लैब को नैशनल ग्रिड का हिस्सा बनाया गया है। सशस्त्र बलों के अस्पतालों की इन लैब में कोविड-19 की जांच की सुविधाएं हैं।
मंत्रालय ने कहा, 'इनमें सेना अस्पताल (रिसर्च ऐंड रेफरल) दिल्ली कैंट, एयर फोर्स कमांड हॉस्पिटल बेंगलूरु, आर्मड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज पुणे, कमांड हॉस्पिटल लखनऊ, और कमांड हॉस्पिटल उधमपुर शामिल हैं। छह अन्य अस्पतालों में कोविड-19 की जांच के लिए जरूरी सुविधाएं तैयार की की जा रही हैं।'
सशस्त्र बलों के पहले से चालू क्वारंटीन केंद्र पहले ही 1,737 मरीजों को संभाल चुके हैं। इन लोगों में से 403 को घर जाने को कहा जा चुका है, जबकि कोविड-19 के तीन पॉजिटिव लोगों को आगे के इलाज के लिए नई दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल भेजा जा चुका है। इन तीन मरीजों में दो हिंडन और एक मानेसर से आया था।
सेना का मुख्य कार्य भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करना है, लेकिन यह मुश्किल घड़ी में सरकार को नागरिक मामलों में भी मदद देती है। सेना जम्मू-कश्मीर जैसे अशांत क्षेत्रों कानून व्यवस्था और नागरिक प्रशासन बहाल करने के अलावा सरकार के कहने पर प्राकृतिक आपदा और महामारी को नियंत्रित करने में भी मदद देती है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने मीडिया से कहा, 'सेना सरकार और लोगों की मदद के लिए पूरी तरह तैयार है।' रावत ने इस समय लॉकडाउन और बाद में गर्मियों की छुट्टी के कारण बंद सैन्य स्कूलों के परिसरों का इस्तेमाल क्वारंटीन केंद्र बनाने में किए जाने की पेशकश की है।
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने आवश्यक आपूर्ति, दवाएं एवं चिकित्सा उपकरणों के परिवहन के लिए अपने विमानों का बेड़ा तैयार कर लिया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'अब तक करीब 60 टन सामान विमानों के जरिये देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाया जा चुका है। देश में बहुत सी जगहों पर 28 फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट और 21 हेलिकॉप्टर तैयार खड़े हैं।'
इस बीच भारतीय वायु सेना की विशेष उड़ानों के जरिये भारतीय नागरिकों को लाया गया है और 25 टन से अधिक चिकित्सा सामग्री पहुंचाई गई है। मंत्रालय ने कहा, 'एक सी-17 ग्लोबमास्टर 3 चीन में 15 टन चिकित्सा सामग्री पहुंचा चुका है और वापसी में 125 लोगों को निकालकर ला चुका है। इन लोगों में भारतीय नागरिक और कुछ मित्र देशों के नागरिक शामिल थे।'
एक आईएएफ सी-17 ग्लोबमास्टर 3 ईरान गया था और वहां फंसे 58 भारतीयों को लेकर आया था। इस उड़ान के जरिये कोविड-19 की जांच के लिए 529 नमूने लाए गए थे।
भारत हमेशा हिंद महासागर क्षेत्र के छोटे देशों की मदद करता रहा है। इसी क्रम में सी-130जे सुपर हक्र्यूलिस विमान 6.2 टन दवाएं लेकर मालदीव पहुंचा था। रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'आर्मी मेडिकल कॉप्र्स की एक टीम 13 से 21 मार्च तक मालदीव में गई थी और वहां उनकी खुद की जांच, इलाज और क्वारंटीन सुविधाएं स्थापित करने में मदद दी। इस टीम में पांच डॉक्टर, दो नर्सिंग अधिकारी और सात पैरामैडिकल स्टाफ शामिल था।'
नौसेना ने तटीय पड़ोसियों की मदद के लिए छह युद्धक पोत तैयार कर लिए हैं। इसके अलावा मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और अफगानिस्तान में तैनाती के लिए नौसेना की पांच चिकित्सा टीम तैयार हैं।
इस बीच रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पांच परत का नैनोटेक्नोलॉजी फेस मास्क बनाया है, जिसे एन99 नाम दिया गया है। डीआरडीओ ने अपना दैनिक मास्क उत्पादन बढ़ाकर 20,000 कर दिया है। डीआरडीओ वेंटिलेटर में भी कुछ बदलाव कर रहा है ताकि एक मशीन एक समय में चार मरीजों को सेवाएं दे सके।
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