नवी मुंबई में एक सुपरमार्केट के मालिक महेंद्र चौधरी को साबुन, तेल और शैम्पू सहित आटा, चावल, और दाल जैसे अनाज की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। देशव्यापी बंदी की वजह से ऐसी चीजें लोग जरूरतमंदों के बीच बांट रहे हैं और दानदाताओं की तरफ से ऐसे सामानों की मांग बढऩे की वजह से इनमें कमी दिख रही है। चौधरी ने कहा, 'सोमवार को किसी ने आटे के 50 पैकेट के साथ अन्य उपभोक्त वस्तुओं की मांग भी की थी जिसकी वजह से मेरे पास सामान खत्म हो गया।' चौधरी के सामने जो समस्या खड़ी हुई थी उसकी वजह से कारखानों और वितरण केंद्रों का बंद होना और सड़कों पर ट्रकों का प्रतिबंधित तादाद में चलना है। पुलिस द्वारा परेशान किए जाने की आशंका और अज्ञात डर की वजह से भी बड़ी संख्या में ट्रक ड्राइवरों ने परिवहन केंद्रों पर अपने वाहन छोड़कर घर चले गए हैं। माल को बिना किसी बाधा के दूसरी जगह भेजने के लिए 21 दिन की देशबंदी के पहले सप्ताह में ही सरकार ने कई कदम उठाए लेकिन इसके बावजूद जमीन स्तर पर हालात कुछ और ही बयां करते हैं। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि माल वाले परिवहन बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं क्योंकि विभिन्न हितधारकों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है और सड़क परिवहन को नीति निर्माताओं और स्थानीय प्राधिकरणों के बीच पर्याप्त संपर्क न होने का नुकसान झेलना पड़ रहा है। इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग (आईएफटीआरटी) के अनुसार, 50 लाख ट्रकों में से करीब 25 लाख ट्रक सड़क पर नहीं है। आईएफटीआरटी के सीनियर फेलो एस पी सिंह ने कहा, 'सरकार ने लॉजिस्टिक्स से जुड़ी एक समिति का गठन किया है और यह आवश्यक सामानों की सुचारु आवाजाही के संबंध में बड़ा दावा कर रही है। लेकिन हकीकत यह है कि लॉकडाउन की वजह से सड़क परिवहन क्षेत्र पूरी तरह प्रभावित हुआ है।' उन्होंने कहा कि इस बात पर भी कोई स्पष्टता नहीं है कि रबी की बंपर फसल की खरीद और वितरण को किस तरह से संभाला जाएगा। सिंह ने कहा कि सरकार ने गैर-जरूरी वस्तुओं की आवाजाही की अनुमति दी है लेकिन इसकी कोई अहमियत नहीं है क्योंकि कारखाने, गोदाम आदि बंद है। उन्होंने कहा कि ट्रकों की आवाजाही को सुचारु बनाने के लिए हाल की सभी पहल का कोई मतलब नहीं है जब तक कि पूरा तंत्र सामान्य तौर पर काम न करने लगे जिसमें ढाबा, भोजनालय, टायर मरम्मत की दुकान शामिल हैं। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के चेयरमैन बालमलकित सिंह ने कहा, 'ट्रक ड्राइवरों को डर है कि गाड़ी खराब होने की स्थिति में वे कई दिनों तक भोजन और पानी के बिना फंसे रहेंगे। इसलिए वे गांव चले गए हैं।' एक ट्रक एग्रीगेटर मैवइन के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी सचिन हरिताश का कहना है कि उसके प्रमुख ग्राहकों में हिंदुस्तान यूनिलीवर, एमेजॉन, ग्रोफर्स और फ्लिपकार्ट शामिल हैं लेकिन कंपनी अपने ग्राहकों के लिए ट्रक पाने के लिए जूझ रही है। मैवइन के प्लेटफॉर्म पर 7,000 ट्रक पंजीकृत हैं जिनमें से केवल 4,000 ही चल रहे हैं। बाकी ट्रक ड्राइवर न होने की वजह से सड़क से दूर हैं। ये सभी ड्राइवर ट्रक के मालिक भी हैं।
