आईटी के लिए कठिन समय | संपादकीय / April 01, 2020 | | | | |
कोरोनावायरस से उपजी महामारी के प्रसार ने वैश्विक मूल्य शृंखला पर असर दिखाना शुरू कर दिया है। देश के सर्वाधिक एकीकृत क्षेत्र भी स्पष्ट जोखिम में नजर आ रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़ा सेवा क्षेत्र (आईटीईएस) भी उनमें से एक है।
इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) जैसी अव्वल कंपनियां इसी क्षेत्र से ताल्लुक रखती हैं। वैश्विक स्तर पर मांग में कमी आई है जो भविष्य में इन कंपनियों के ऑर्डर पर असर डालेगी।
वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट ने भी आईटीईएस की वृद्धि पर गहरा असर डाला था। संकट से पहले इस क्षेत्र का निर्यात तेजी से बढ़ रहा था। नोमुरा के एक विश्लेषक की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2007-08 में इसमें 30 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली थी। परंतु उसके बाद के दो वित्त वर्ष में वृद्धि में पहले 17 फीसदी और उसके बाद 6 फीसदी गिरावट आई। वैश्विक कंपनियों के व्यय में भारी कमी आई और इसने कंपनियों के राजस्व को प्रभावित किया।
यह देखना होगा कि मौजूदा संकट के कारण मांग में जो कमी आई है वह उसी स्तर की है या नहीं। आईटीईएस के ग्राहक आधार की बनावट को देखते हुए चिंतित होने की साफ वजह है। विश्लेषकों का मानना है कि इस समूचे क्षेत्र की राजस्व वृद्धि केवल 3 से 8 फीसदी के बीच रहेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका में बैंकिंग ग्राहक शायद नए अनुबंधों पर हस्ताक्षर नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा परिचालन क्षेत्र की तमाम बड़ी बाधाएं भी मौजूद हैं। इन्फोसिस ने मीडिया से कहा है कि कंपनी के 2.40 लाख कर्मचारियों में से 70 फीसदी घर से काम कर रहे हैं। टीसीएस के कुल 4 लाख कर्मचारियों में से 40 फीसदी घर से काम कर रहे हैं। यह ऐसे समय में हो रहा है जब खुद इनके ग्राहक भी अपने कामकाज और आईटी व्यवस्था की निरंतरता को लेकर चिंतित होंगे। आईटीईएस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों को भी कर्मचारियों के घर से काम करने के कारण कामकाज में कटौती करनी पड़ रही है।
सवाल यह है कि यह कठिन समय क्या केवल फौरी है। भारतीय आईटीईएस क्षेत्र वैश्विक वित्तीय संकट के बाद खराब दौर से गुजर चुका है और बड़ी बाजार हिस्सेदारी की तलाश में है।
इस क्षेत्र के ऊपर मौजूदा हालात का दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा? यह मानने की पर्याप्त वजह है कि प्रभाव शायद सकारात्मक न हो। श्रम आधारित आईटीईएस कंपनियों पर संकट के इस समय में अपने कर्मचारियों को बनाए रखने का दबाव होगा। कॉग्निजैंट ने पहले ही यह घोषणा कर दी थी कि वह अपने दो तिहाई भारतीय और फिलीपीनी कर्मचारियों को अप्रैल में 25 फीसदी बोनस देगी। अब इसकी समीक्षा होगी।
यह इस क्षेत्र के व्यापक रुझान में हस्तक्षेप है। यह क्षेत्र डिजिटल की ओर बढ़ेगा जहां शायद पहले की तरह कर्मचारियों की आवश्यकता नहीं रहेगी। अमेरिका के राजनीतिक हालात में विदेशी कामगारों के खिलाफ माहौल तैयार हो चुका है। इस बात ने भी आईटीईएस क्षेत्र के कारोबार को प्रभावित किया है। आईटीईएस क्षेत्र के मौजूदा तरीकों से संचालित होने वाली कंपनियों से दूरी बनाने का दबाव भविष्य में और बढ़ेगा। देश का आईटीईएस क्षेत्र सन 2000 के दशक में और 2008 के बाद दो बार यह साबित कर चुका है कि वह संकट से उबरकर नई ताकत के सामने आता है। यह अवसर सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है। देश की बड़ी कंपनियों को अपने कारोबारी मॉडल को नए सिरे से संवारना होगा। ऐसा करके ही वे राजस्व वृद्धि में सुधार कर पाएंगी।
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