ऐसा कहा जाता है कि 'जो जनरल मोटर्स के लिए अच्छा है वह अमेरिका के लिए भी अच्छा है'। पर अब यह सही नहीं है। अब अमेरिका में बिकने वाली कुल कारों में कंपनी की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से कम रह गई है, जबकि दूसरी कंपनियां ज्यादा अच्छी, छोटी और कम ईंधन की खपत वाली कारों का निर्माण और बिक्री करती हैं, जिन्हें बाजार भी पसंद कर रहा है। और इस वजह से राष्ट्रपति ओबामा ने आखिरकार जीएम के संदर्भ में 'दिवालिया' जैसे भयावह शब्द का इस्तेमाल कर दिया है, यद्यपि वह चाहते हैं कि यह एक 'प्रबंधित' दिवालियापन हो (जहां कर्मचारियों और सेवामुक्त लोगों को सुरक्षा कवच मुहैया कराया जाए, लेकिन प्रबंधन को नहीं)। ओबामा को पता है कि कंपनी के बचे रहने के मुकाबले पूरी तरह से दिवालियापन अधिक विध्वंसक हो सकता है और एक संघर्षशील देश को होने वाले मनोवैज्ञानिक असर के तौर पर यह एक राजनीतिक बम साबित हो सकता है। इसलिए उन्होंने चरणबद्ध प्रक्रिया को अपनाना उचित समझा- उन्होंने सीईओ को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद कंपनी के प्रबंधन को एक मौका और दिया। उन्हें उम्मीद है कि कंपनी को एक बार फिर पटरी पर लाने के लिए यूनियन और बॉन्डधारक वित्तीय बलिदान करेंगे। मजदूरी की लागत टिकाऊ नहीं है और कंपनी के ऊपर इतना भारी कर्ज है कि वह पूंजीगत पुनर्गठन किए बगैर कभी भी लाभ नहीं कमा सकती है। 60 दिन की समयसीमा तय करने के साथ ही ओबामा ने देशवासियों को भी थोड़ा वक्त दे दिया है ताकि वह संभावित बंदी, विभाजन और बिक्री की संभावना के लिए तैयार हो जाएं। आखिर ओबामा ने और अधिक सरकारी मदद देने से पहले जीएम को एक और पुनर्गठन योजना पेश करने के लिए अंतिम मौका क्यों दिया?ऐसी योजनाओं की पिछली असफलताओं को देखते हुए एक नई योजना पर दांव लगाना काफी जोखिमपूर्ण है। इनमें वह योजना भी शामिल है जिसे व्हाइट हाउस के कार्यबल ने रद्द कर दिया था, हालांकि जब बंदूक सर पर लटकी हो तो इससे दिमाग को एकाग्रचित करने में मदद मिलती है। क्रिसलर के मामले में विकल्प अधिक सीधा-सपाट था। क्रिसलर एक स्वतंत्र कंपनी के तौर पर जिंदा नहीं रह सकती है, यह तय था, और इसलिए सरकार को केवल इसलिए सहायता देनी थी ताकि वह फिएट के साथ अपना विलय कर सके। ऐसे गठजोड़ों के सफल होने की गारंटी नहीं होती है लेकिन इसके अलावा तत्काल मौत का विकल्प ही खुला है। जीएम और क्रिसलर दोनों ने ही किसी सराहनीय अंतर के बिना सरकार से 17.4 अरब डॉलर का कर्ज हासिल किया, और अब उन्हें 21 अरब डॉलर की और दरकार है। ओबामा ने अपनी बेसब्री व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा, 'साल दर साल, एक दशक के बाद दूसरा दशक, हमने समस्याओं को बढ़ते हुए देखा है और कठिन विकल्पों को अपनाया है, यहां तक कि विदेशी प्रतिस्पर्धियों ने हमें पीछे छोड़ा है... अब वक्त है कि हम समस्याओं का सामना करें और उनके समाधान के लिए जो जरूरी हो, करें।' ओबामा की अंतरिम कार्रवाई उपभोक्ता संरक्षण से जुड़ी है। इसके तहत सरकारी कार खरीद कार्यक्रम के जरिए उन्हें गारंटी, वारंटी और भरोसा दिया जा रहा है। जब तक लागत और उत्पाद में बदलाव नहीं लाया जाता है, कोई राहत योजना कारगर साबित नहीं होगी व अंतिम विकल्प धीमी या अचानक मौत का होगा।
