कोविड-19 का प्रकोप और इसका प्रसार रोकने के लिए लॉकडाउन किए जाने से इस्पात कंपनियों के उत्पादन पर असर पडऩे की आशंका पैदा हो गई है। टाटा स्टील महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में अपनी एकल डाउनस्ट्रीम इकाइयों को संबंधित राज्यों के दिशा-निर्देशों के अनुसार बंद कर रही है। सूत्रों का कहना है कि हालांकि जमशेदपुर, कलिंगनगर और अंगुल में मुख्य इकाइयां चल रही हैं क्योंकि वे प्रसंस्करण वाले संयंत्र हैं और उन्हें स्थानीय विभागों से अनुमति प्राप्त है।
टाटा स्टील भारत की सबसे बड़ी इस्पात विनिर्माताओं में से एक है। झारखंड के जमशेदपुर, ओडिशा के कलिंगनगर और ढेंकनाल, उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद तथा महाराष्ट्र के खोपोली में विनिर्माण केंद्रों की इसकी समेकित कच्चा इस्पात उत्पादन क्षमता 1.96 करोड़ टन है।
विनिर्माण इकाइयों पर प्रतिबंध के अलावा लॉजिस्टिक सीमित किए जाने से भी परिचालन पर असर पड़ा है। आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) के प्रवक्ता ने कहा कि कोविड-19, कम मांग और लॉजिस्टिक सीमित होने की वजह से उत्पादन प्रभावित हुआ है।
एएम/एनएस इंडिया का मुख्य संयंत्र हजीरा में है और पुणे में डाउनस्ट्रीम सुविधा केंद्र है। कंपनी की क्षमता 85 लाख टन है। जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक वीआर शर्मा ने कहा कि कंपनी के संयंत्र फिलहाल चालू हैं। हालांकि अगर यह स्थिति एक सप्ताह से अधिक समय तक रहती है तो इससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है। जेएसपीएल को उम्मीद है कि वर्ष 2020-21 तकरीबन 85 टन उत्पादन के साथ समाप्त होगा।
लॉकडाउन की वजह से पेश आने वाली एक बड़ी दिक्कत यह है कि 80 से 85 प्रतिशत ट्रक नहीं चल रहे हैं जिससे माल ढुलाई पर असर पड़ रहा है। शर्मा ने बताया कि जहां एक ओर लौह अयस्क और कोकिंग कोल जैसा कच्चा माल माल गाडिय़ों द्वारा संयंत्र में लाया जाता है, वहीं दूसरी ओर उपभोग्य सामग्री और छोटे पुर्जे आदि ट्रकों द्वारा लाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि तैयार माल ट्रेन के जरिये लाया जा सकता है, लेकिन समस्या यह है कि ट्रेन से लेकर उपयोगकर्ता उद्योग तक तो ट्रकों का ही उपयोग करना पड़ेगा।
शर्मा ने कहा, 'इसलिए हम सरकार से उद्योग के लिए ट्रकों की आवाजाही की अनुमति दिए जाने का अनुरोध कर रहे हैं। ट्रक उद्योग का एक अहम हिस्सा हैं। वरना हमें बड़ी मंदी का सामना करना पड़ सकता है।' उन्होंने कहा कि उद्योग देश की रीढ़ है। इसे काम करते रहना चाहिए। शर्मा ने सुझाव दिया है कि काम के घंटों को विनियमित किया जा सकता है और संयंत्र 50 प्रतिशत कार्यबल तथा पर्याप्त सावधानी के साथ काम कर सकते हैं। हालांकि काम के घंटे विनियमित करने से उत्पादन पर असर पड़ेगा। लेकिन इससे कम से कम उत्पादन लागत के स्तर तक तो पहुंच ही जाएंगे। उद्योग एक सूत्र ने कहा कि एक तरफ इस्पात कंपनियां लॉजिस्टिक संबंधी दिक्कतों से जूझ रही थीं, वहीं दूसरी तरफ मांग कम थी क्योंकि ज्यादातर उपयोगकर्ता उद्योग लॉकडाउन का असर झेल रहे थे। कई वाहन विनिर्माता वायरस के प्रकोप के मद्देनजर उत्पादन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर चुके हैं। निर्माण कार्य में ठहराव आ चुका है।
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