दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार ऑपरेटरों से कहा है कि वे प्रत्येक सर्किल में स्पेक्ट्रम की मात्रा के विवरण के साथ वायरलेस प्लानिंग ऐंड कोऑर्डिनेशन विंग (डब्ल्यूपीसी) को जानकारी प्रदान करें कि उन्हें मांग में आई मौजूदा तेजी को पूरा करने के लिए कितने स्पेक्ट्रम की आवश्यकता है।
देश भर में लॉकडाउन और अधिकतर लोगों के घर से काम करने के कारण दूरसंचार कंपनियों ने पिछले रविवार को अपने नेटवर्क पर मांग में 15 से 20 फीसदी तक की तेजी दर्ज की। इससे पहले क्षमता में करीब 10 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। दूरसंचार ऑपरेटरों के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक राजन मैथ्यू ने कहा, 'हरेक दूरसंचार ऑपरेटर को दूरसंचार विभाग द्वारा अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की अपनी मांग प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। उन्हें हरेक सर्किल के हिसाब से विवरण तैयार कर उसे डब्ल्यूपीसी को प्रस्तुत करना होगा। फिलहाल दूरसंचार ऑपरेटर विवरण तैयार करने की प्रक्रिया में हैं। डब्ल्यूपीसी स्पेक्ट्रम आवृत्ति आवंटित करने और उनकी निगरानी करने वाली सरकार की इकाई है।
सीओएआई के अनुमान के अनुसार, दूरसंचार नेटवर्क में किसी तरह के व्यवधान को रोकने के लिए हरेक दूरसंचार ऑपरेटर को 5 मेगाहर्ट्ज अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की आवश्यकता होगी। उन्हें 4जी बैंड में स्पेक्ट्रम की आवश्यकता होगी क्योंकि डेटा के लिए मांग काफी अधिक दिख रही है। मैथ्यू ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि दूरसंचार ऑपरेटरों के परिचालन के लिए कुल 20 मेगाहर्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम को प्राथमिकता दी जाएगी क्योंकि डेटा के लिए उसका उपयोग किया जा रहा है। उनकी गणना के अनुसार रक्षा क्षेत्र के पास इस बैंड में लगभग 100 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम मौजूद है जिसका उपयोग नहीं हो रहा है। ऑपरेटरों को मौजूदा संकट से निपटने के लिए सीमित अवधि के लिए इसे उपलब्ध कराया जा सकता है। सीओएआई ने इससे पहले दूरसंचार विभाग को लिखे अपने पत्र में सीमित अवधि के लिए सरकार से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था।