एलपीजी सिलिंडर से भरे ट्रक का 28 वर्षीय चालक मोहम्मद जावेद मंगलवार दोपहर से ही हुबली चेकपोस्ट पर फंसा हुआ है। उसके लिए वहां न भोजन है, न ही पानी की व्यवस्था। सीमा पर तैनात पुलिसकर्मी उसे सीमा पार करने की अनुमति नहीं देंगे क्योंकि कोविड-19 लॉकडाउन पर सख्ती से अमल किया जा रहा है।
जावेद उन लगभग 5 लाख चालकों और हेल्परों में शामिल है जो विभिन्न राज्यों की सीमाओं पर फंसे हुए हैं। यह अनुमान इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग (आईएफटीआरटी) द्वारा व्यक्त किया गया है। सरकार द्वारा सीमाओं को सील किए जाने के सरकारी आदेश के बाद जरूरी सामान ले जाने वाले ट्रकों को भी निकलने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
वह कहते हैं, 'मैं आज सुबह 4 बजे मंगलोर से चला था और 1 बजे से हुबली के चेक पोस्ट पर ही रुका हुआ हूं। यहां तैनात पुलिस अधिकारी मुझे आगे जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं और जब मैं उनसे जाने देने को कहता हूं तो वे मुझे पीटने लगते हैं। वे ठीक से बात करने को भी तैयार नहीं हैं। मैं यहां सिर्फ पानी के सहारे जिंदा हूं और अब वह भी समाप्त हो गया है।' उन्होंने कहा कि इस इलाके में एलपीजी सिलिंडरों से लदे कम से कम 25-30 ट्रक फंसे हुए हैं।
श्री आनंद ट्रांसपोर्ट एजेंसी (जहां जावेद काम करते हैं) के पार्टनर सुरेश खोसला का कहना है कि वह तत्काल आधार पर ट्रकों की रिहाई के लिए फेडरेशन ऑफ बॉम्बे मोटर ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स के संपर्क हैं। खोसला ने बताया कि उनकी कंपनी जरूरी थोक जिंसों की आपूर्ति करती है, लेकिन उन्हें अपना व्यवसाय बरकरार रखना एक चुनौती बन गई है, क्योंकि महाराष्टï्र के सभी प्रवेश मार्गों को कोरोनावायरस की वजह से बंद कर दिया गया है।
इस व्यवसाय से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, 'हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सभी ढाबा और रेस्टोरेंट बंद कर दिए गए हैं, जिससे चालकों के लिए भूखे मरने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह गया है। सामान की लदाई के वक्त तो भोजन मिल जाता है पर रास्ते में ढाबा खुले नहीं नहीं मिलते।'
सभी एंसिलियरी ऑटोमोबाइल दुकानों को बंद कर दिए जाने से वाहन की मरम्मत करना भी संभव नहीं है और किसी तरह की खराबी की स्थिति में आप वाहन को दोबारा सड़क पर नहीं ले जा सकते। चालकों और हेल्परों के पारिवारिक सदस्य भी चिंतित हैं और वे उनकी जल्द घर वापसी चाहते हैं। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के चेयरमैन बालमलकीत सिंह का मानना है कि उत्पादों की ढुलाई गंभीर रूप से प्रभावित होगी।
सिंह का कहना है, 'पर्याप्त भोजन या बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं होने से ट्रक चालक घर पर ही रहना चाहते हैं।' वह कहते हैं कि ट्रकों की आवाजाही में विलंब जरूरी सामान की श्रेणी को लेकर भ्रम की वजह से भी हो रहा है। चालकों को यह पूरी जानकारी नहीं है कि क्या एसेंशियल यानी जरूरी और क्या गैर-जरूरी है।
आईएफटीआरटी में वरिष्ठï फेलो एस पी सिंह कहते हैं, 'ट्रक चालकों का लदान स्थलों से बड़ी तादाद में पलायन हुआ है। वे घर लौट रहे हैं। लगभग 250,000 से 300,000 चालक पहले ही अपने पैतृक स्थान जा चुके हैं।' सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'हमने सरकार से राहत पैकेज देने को कहा है। ट्रक मालिक किसी तरह की मदद करने में सक्षम नहीं हैं। चालकों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।' कोरोनावायरस के मामलों में तेजी आने और देशव्यापी बंद के बाद, सभी स्टैपल्स और जरूरी सामान के लिए मांग प्रभावित हुई है और विभिन्न सामान के निर्माता मांग पूरी करने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं।