देश में कोरोनावायरस का संकट गहराने और देश भर में बंदी झेल रहे कई कारोबारों की मुश्किलें कम करने लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आयकर दाखिल करने की मियाद 31 मार्च के बजाय तीन महीने के लिए बढ़ाते हुए विभिन्न क्षेत्रों के लिए कई नियामकीय और अनुपालन से जुड़े उपायों की घोषणा की है। इसके अलावा वित्त मंत्री ने आम लोगों के लिए अगले तीन महीने तक किसी भी एटीएम से पैसे निकालने पर शुल्क नहीं लगने का ऐलान किया और साथ ही न्यूनतम बैलेंस शुल्क भी माफ कर दिया है। कंपनियों के निदेशक मंडल के साथ होने वाली अनिवार्य बैठक को भी अगली दो तिमाहियों तक 60 दिनों के लिए टाल दी गई है। वहीं कंपनी (ऑडिटर रिपोर्ट) आदेश, 2020 को भी लागू करना अगले एक साल के लिए स्थगित कर दिया गया है। पहले इसे 2019-2020 के लिए अधिसूचित किया गया था लेकिन अब इसे 2020-2021 तक लागू किया जाएगा। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संवाददाताओं से बात करते हुए सीतारमण ने कहा कि एक बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा जल्द होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सभी हितधारकों के सुझावों पर विचार-विमर्श कर रहा था, जिनमें एक लक्षित आमदनी सहयोग योजना और व्यक्तियों तथा कंपनियों के लिए समान रूप से कर्ज भुगतान को स्थगित करने जैसे प्रावधान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 इकोनॉमिक रिस्पॉन्स टास्क फोर्स का गठन किया गया है जिसमें मंत्रियों, सांसदों, उद्योगपतियों, अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों को शामिल किया गया है और विभिन्न मुद्दों के लिए इसे उप-समूहों में बांटा गया था। सीतारमण ने कहा, 'हम एक आर्थिक पैकेज तैयार करने के करीब पहुंच चुके हैं। इस पैकेज की घोषणा जल्द ही की जाएगी' वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख को बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दिया गया है और उस समय तक किए जाने वाले विलंबित भुगतान पर देय ब्याज की दर भी 12 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी कर दी गई है। डेलॉयट इंडिया के साझेदार आलोक अग्रवाल सरकार के इस कदम को राहत देने वाला मानते हैं। उन्होंने कहा, 'यह फैसला उन सामान्य निवासी करदाताओं के लिए राहत है जिन्हें विदेशी कर जमा (एफटीसी) लेने के लिए संशोधित कर रिटर्न जमा करने की जरूरत है।' इस कदम ने सभी वैधानिक दायित्वों की समयसीमा को अपने-आप बढ़ा दिया है। मसलन, कर आकलन, टैक्स नोटिस भेजना, रिटर्न की प्रोसेसिंग, जुर्माना लगाने की कवायद, नए सिरे से आकलन। इसके अलावा संपत्ति कर अधिनियम, बेनामी संपत्ति अधिनियम, काला धन अधिनियम, प्रतिभूति लेनदेन कर एवं कमोडिटी लेनदेन अधिनियम के तहत कार्रवाई की समयसीमा भी बढ़कर 30 जून हो गई है। आधार कार्ड को पैन कार्ड से जोडऩे के लिए तय की गई 31 मार्च की समयसीमा और प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास योजना का दायरा 30 जून तक बढ़ा दिया गया है। विवाद से विश्वास योजना के तहत दी गई वह सुविधा भी 30 जून तक बढ़ा दी गई है जिसमें 31 मार्च तक भुगतान करने पर 10 फीसदी अतिरिक्तराशि नहीं देने का प्रावधान रखा गया था। वित्त मंत्री ने कहा, 'अग्रिम कर, स्व-आकलन कर, सामान्य कर, स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के 20 मार्च से 30 जून के बीच होने वाले विलंबित भुगतान पर देय ब्याज दर को भी 12-18 फीसदी से घटाकर नौ फीसदी कर दिया गया है। इस दौरान होने वाले भुगतान पर कोई लेट फी और जुर्माना भी नहीं लगेगा।' विवाद से विश्वास योजना का पूरा फायदा उठाने के लिए समयसीमा में की गई बढ़ोतरी को कर विशेषज्ञों ने सराहा है। पीडब्ल्यूसी इंडिया के कर एवं नियामकीय साझेदार विक्रम दोषी कहते हैं, 'इससे करदाताओं को इस समाधान योजना का फायदा उठाने के लिए पर्याप्त समय एवं अवसर मिल सकेगा।' इसी तरह खेतान ऐंड कंपनी के साझेदार अभिषेक रस्तोगी कहते हैं कि इस कदम से कारोबारी प्रतिष्ठान बढ़े हुए समय में लंबित मुकदमों का निपटारा करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। सीतारमण ने यह भी कहा कि पांच करोड़ रुपये से कम वार्षिक टर्नओवर वाले कारोबार मार्च से लेकर मई तक का जीएसटी रिटर्न जून के आखिरी सप्ताह तक दाखिल कर सकते हैं। उन पर किसी तरह का विलंब शुल्क, जुर्माना या ब्याज भी लगेगा। वहीं इस श्रेणी से बाहर के कारोबारियों पर नौ फीसदी की घटी दर से ब्याज लगेगा। वित्त मंत्री से जब कोविड-19 की वजह से देश भर में लगे लॉकडाउन के आर्थिक वृद्धि पर संभावित असर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ खुलकर नहीं कहा। उन्होंने कहा, 'कुछ लोगों ने सार्वभौम बुनियादी आय योजना लाने से लेकर कंपनियों एवं व्यक्तियों की किस्तें स्थगित करने के बारे में सुझाव दिए हैं। हम इन बिंदुओं पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। जल्द ही आपको कुछ सुनने को मिलेगा।' (श्रीमी चौधरी, दिलाशा सेठ और रुचिका चित्रवंशी का भी योगदान)
