सीएसआर की राशि कोरोना पर खर्च हो सकेगी | रुचिका चित्रवंशी / नई दिल्ली March 23, 2020 | | | | |
वैश्विक आपदा कोरोना में कंपनियों के अंशदान को अनुमति देने के मकसद से आज सरकार ने इसे कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉसिबिलिटी (सीएसआर) गतिवधि में शामिल कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा, 'भारत में कोरोनावायरस के प्रसार को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने इसे वैश्विक आपदा घोषित किया है और भारत सरकार ने इसे आपदा के रूप में अधिसूचित किया है। ऐसे में कोविड-19 के लिए सीएसआर फंड को खर्च किया जा सकता है और यह सीएसआर गतिविधि में है।'
कंपनियां अपने सीएसआर फंड को अनुसूची 7 में सूचीबद्ध कार्यों स्वास्थ्य सेवाओं के प्रचार, निवारक स्वास्थ्य सेवा, साफ सफाई और आपदा प्रबंधन के तहत खर्च कर सकती हैं। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा है, 'अनुसूची 7 में शामिल कार्यों का दायरा व्यापक है और इस उद्देश्य के लिए इसकी व्याख्या उदार तरीके से की जा सकती है।' अनुसूची 7 में प्रधानमंत्री राहत कोष, स्वच्छ भारत कोष जैसे कई कोष शामिल किए गए हैं। पिछले सप्ताह सरकार ने पंजीकृत निजी प्रयोगशालाओं को कोविड-19 के जांच की अनुमति दे दी थी।
कॉर्पोरेट क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि अंतिम तिथि मार्च के निकट आने के साथ इसके आवंटन का उचित विकल्प देखा जा रहा है। हाल की अधिसूचना से उम्मीद है कि इस आपदा में अंशदान में मदद मिल सकेगी। पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर अंशुल जैन ने कहा, 'कई कंपनियां हैं, जो सरकार को अंशदान देकर समर्थन करना चाहती थीं, लेकिन यह साफ नहीं था कि वे निवारक स्वास्थ्य देखभाल या आपदा प्रबंधन के तहत इसे खर्च कर सकती हैं या नहीं। एमसीए की इस अधिसूचना से भ्रम दूर करने में मदद मिलेगी।'
सरकार ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉसिबिलिटी के लिए मसौदा नियम पेश किया है, जिसमें सीएसआर के सख्त मानक हैं और कंपनियोंं को सीएसआर गतिविधियोंं का व्यापक ब्योरा देना होगा और इस बात की निगरानी बढ़ाई जाएगी कि किस तरह से ऐसे धन का इस्तेमाल किया गया है। कंपनियों को अब व्यापक ब्योरा पेश करना होगा। यह सिर्फ न केवल चल रही परियोजनाओं के लिए होगा बल्कि अन्य परियोजनाओं पर भी यह लागू होगा। रिपोर्टिंग सिर्फ चालू वित्त वर्ष तक सीमित नहीं होगी, बल्कि इसे पहले के वित्त वर्षों तक भी बढ़ाया जाएगा।
इस मकसद के लिए सरकार ने चल रही परियोजनाओं की परिभाषा भी तय की है। इसके मुताबिक कंपनी की ओर से कई साल तक के लिए चलाई जा रही परियोजनाओं में सीएसआर बाध्यताओं का पालन करना होगा और जिस वित्त वर्ष में परियोजना शुरू की गई है, उसे छोड़कर इसकी समयसीमा 3 साल से ज्यादा नहीं होगी। प्रस्तावित नियमों के मुताबिक कंपनियों को अलग प्रारूप में सीएसआर की खर्च की गई राशि या बची राशि का ब्योरा आगामी तीन वर्षों के लिए देना होगा। आर्थिक गतिविधियों पर वैश्विक महामारी का असर व्यापक तौर पर महसूस किया जा रहा है और विमानन, यात्रा, पर्यटन व आतिथ्य सत्कार क्षेत्रों पर इसका असर ज्यादा है।
|